कैमूर जिला: आरजेडी के गढ़ में कितना सेंध लगा पाएगी एनडीए?
कैमूर जिले की चार विधानसभा सीटों में से तीन पर आरजेडी का कब्जा है। बाकी की एक सीट भी बीएसपी के पास है। ऐसे में एनडीए के लिए यहां अपनी पैठ जमाना आसान नहीं होगा।

कैमूर जिला, बिहार के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में बसा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह जिला कभी स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, लेकिन आज राजनीतिक दृष्टिकोण से यह राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का मजबूत गढ़ बन चुका है। कैमूर जिले की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर आरजेडी का कब्जा है। अगर कांग्रेस को बिहार में अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करना है, तो कैमूर जिले को मजबूत करने की रणनीति उसकी पहली कड़ी हो सकती है।
कैमूर जिला, जिसका मुख्यालय भभुआ में है, प्रशासनिक रूप से 1986 में रोहतास जिले से अलग होकर अस्तित्व में आया। यह जिला चार विधानसभा सीटों - रामगढ़, मोहनिया, भभुआ और चैनपुर - के साथ बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक संपदा, खासकर कैमूर पहाड़ियों, और ऐतिहासिक स्थलों जैसे मुंडेश्वरी मंदिर और धुआं कुंड के लिए प्रसिद्ध है। यह जिला उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है और भोजपुरी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
ऐतिहासिक दृष्टिकोण से, कैमूर स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रहा है। स्वतंत्रता सेनानियों ने इस क्षेत्र में ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलन चलाए। इसके अलावा, कैमूर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी इसे विशिष्ट बनाता है। प्राचीन मुंडेश्वरी मंदिर, जो विश्व का सबसे पुराना कार्यशील मंदिर माना जाता है, यहीं स्थित है। प्राकृतिक संसाधनों की बात करें तो यह जिला अपनी खनिज संपदा, विशेष रूप से बलुआ पत्थर और चूना पत्थर, के लिए भी जाना जाता है। कृषि भी इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का आधार है, जिसमें धान, गेहूं और दालों की खेती प्रमुख है।
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राजनीतिक समीकरण
कैमूर जिले की चार विधानसभा सीटें दो लोकसभा क्षेत्रों - सासाराम और बक्सर - के अंतर्गत आती हैं। इनमें से रामगढ़ बक्सर में और मोहनिया, भभुआ और चैनपुर सासाराम लोकसभा क्षेत्र में शामिल हैं। पिछले कुछ दशकों में, खासकर 2008 के परिसीमन के बाद, कैमूर जिले की राजनीति में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों का वर्चस्व रहा है। कांग्रेस ने इस क्षेत्र में लगातार उम्मीदवार उतारे, लेकिन उसका प्रदर्शन कमजोर रहा। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में, कैमूर की चार में से तीन सीटों पर आरजेडी को जीत मिली, जबकि एक सीट बहुजन समाज पार्टी (BSP) के खाते में गई।
विधानसभा सीटें
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रामगढ़: यह विधानसभा सीट ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रही है। 2008 के परिसीमन के बाद इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है। 2020 के चुनाव में आरजेडी के सुधाकर सिंह ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2024 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के अशोक कुमार सिंह ने इस सीट पर जीत हासिल की। 1985 से 2005 तक इस सीट पर जगदानंद सिंह का दबदबा रहा है। आरजेडी और बीजेपी के बीच यहां बराबर की टक्कर दिखती है।
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मोहनिया (सुरक्षित): पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से आरजेडी की संगीता देवी ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने बीजेपी के निरंजन राम को हराया था। इस सीट पर आरजेडी और बीजेपी के बीच बराबर की टक्कर दिखती है।
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भभुआ: भभुआ पर इस वक्त आरजेडी का कब्जा है। इस सीट पर कोइरी और कुर्मी जातियों की बड़ी संख्या है। इसके बाद ब्राह्मण और कायस्थ जातियों की संख्या है। इस सीट पर कांग्रेस को 6 बार, बीजेपी और आरजेडी को तीन-तीन बार जीत मिली है। 2020 में आरजेडी के भरत बिंद ने बीजेपी की रिंकी रानी पांडेय को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की।
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चैनपुर: पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से बीएसपी के मोहम्मद जमा खान ने जीत दर्ज की थी। उसके पहले दो विधानसभा चुनावों में बीजेपी के बृज किशोर बिंद काबिज थे। कांग्रेस ने इस सीट पर भी उम्मीदवार उतारा था, लेकिन वह चौथे स्थान पर रही।
जिले का प्रोफाइल
कैमूर जिले की जनसंख्या लगभग 16.28 लाख (2011 की जनगणना के अनुसार) है। जिले का क्षेत्रफल 3,332 वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या घनत्व 488 प्रति वर्ग किलोमीटर है। यहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या 1000 पर 918 है। साक्षरता दर 69.34% है, जो बिहार के औसत से थोड़ा बेहतर है। जिले में 2 अनुमंडल (भभुआ और मोहनिया), 11 प्रखंड और 1,414 गांव हैं।
मौजूदा स्थिति
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कुल सीटें: 4
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वर्तमान स्थिति:
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RJD: 2
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BSP-1
- BJP-1
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कैमूर जिला, अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ, बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कांग्रेस भले ही इस जिले में अपनी पैठ नहीं जमा पाई हो लेकिन चूंकि अब वह महागठबंधन में आरजेडी के साथ है तो आरजेडी की जीत को भी उसके गठबंधन की जीत मानी जाएगी।
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