संजय सिंह, पटना। कांग्रेस ने सीएम फेस स्पष्ट नहीं कर आरजेडी को असमंजस में डाल दिया है। तेजस्वी यादव ने अब प्रदेश के 11 जिलों में अकेले दौरा करने का मन बनाया है। पुत्र तेजस्वी को राजनीति में फंसा देख लालू ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। आरजेडी को दिल्ली में सीटों को लेकर हुई बैठक को सार्वजनिक करने पर भी आपत्ति है। इस तत्कालिक संकट से लालू अपने पुत्र को कैसे निकालेंगे। इसपर सबकी निगाहें लगी हैं।
बीमारी के बाद लालू प्रसाद ने तेजस्वी यादव को आरजेडी की बागडोर सौंप दी थी। वे इस बात से निश्चिंत हो गए थे कि तेजस्वी उनकी बागडोर को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाएंगे। लालू ने बड़ी सूझ बूझ के तहत आरजेडी के पुराने नेताओं से भी किनारा किया। अपने बड़े बेटे तेजप्रताप को घर और पार्टी से बेदखल किया। पुत्री मीसा भारती और रोहिणी आचार्य भले ही राजनीति में सक्रिय हों पर लालू ने अपनी विरासत उन्हें नहीं सौंपी। पार्टी का सर्वेसर्वा तेजस्वी को बना दिया। यहां तक कि टिकट बांटने-काटने और गठबंधन को दलों में शामिल करने का फैसला खुद तेजस्वी करने लगे।
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पैरों तले खिसकी जमीन?
तेजस्वी यादव ने वोटर अधिकार यात्रा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। यात्रा के शुरुआत के दिन लालू प्रसाद भी मंच पर मौजूद थे। अपनी राजनीतिक चतुराई के दम पर कांग्रेस ने इस यात्रा को हाईजैक कर लिया। कांग्रेस ने इस यात्रा को इस तरह पेश किया कि मानो यह कांग्रेस की ही यात्रा हो। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस शासित तीन प्रदेशों के सीएम भी इस यात्रा में शामिल हुए। तब तक तेजस्वी यादव को यह बात समझ में नहीं आई, जब तक वे इन बातों को वे समझते तब तक उनके पैरों तले की राजनीतिक जमीन धीरे-धीरे खिसक चुकी थी। रैली के बहाने कांग्रेस ने अपना राजनीतिक वर्चस्व बढ़ा लिया।
तेजस्वी यादव को यह बात उसी समय समझ जानी चाहिए थी कि जब राहुल गांधी से पत्रकारों ने सीएम फेस को लेकर सवाल किया था। राहुल ने इसका गोल मटोल जवाब दिया था। बाकी बचे भ्रम को कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने निकाल दिया। दिल्ली में सीटों को लेकर हुए बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी ने यह बयान दिया कि विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश की जनता सीएम चुनेगी। आरजेडी का मानना है कि कांग्रेस सीटों का दबाव को लेकर इस तरह का बयान दे रही है।
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कांग्रेस को कितना सीटें देने पर राजी?
पिछले चुनाव में कांग्रेस को तो 70 सीट दी गई थी। 70 में से कांग्रेस 19 सीट ही जीत सकी थी। सीट बंटवारे के दौरान कांग्रेस को ज्यादातर सीटें ऐसी दी गई जिसपर हारना तय था। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस चुनाव में कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम रख रही है। पार्टी चाहती है कि अच्छी और खराब दोनों तरह की सीटें उनके खाते में आए। लेकिन आरजेडी 70 सीटों के बदले 45 सीटें देने को तैयार है। वर्तमान हालात को देखते हुए ऐसा लगता है कि तेजस्वी सहित पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को गहरा झटका लगा है।
क्या है लालू प्रसाद का मकसद?
लालू प्रसाद यादव का एकमात्र उद्देश्य है तेजस्वी यादव को सत्तासीन करना। बीमार रहने के वावजूद वे दौड़ धूप करने लगे हैं। लालू यह मान चुके हैं कि उनके हस्तक्षेप के बिना इस समय का समाधान नहीं हो सकता। उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि मुस्लिम और यादव समीकरण में कुछ हिस्सेदार खड़े हो गए हैं। उनका यह भी मानना है कि नीतीश और मोदी के खिलाफ आक्रामक हुए बिना आरजेडी के वोट बैंक का विस्तार नहीं हो सकता। इस कड़ी में वे क्षेत्रीय स्मिता को उभारने वाला बयान भी दे रहे हैं। विरोधियों के साथ-साथ अपनों को साधने के लिए वे क्षेत्र का दौरा भी करने लगे हैं। सत्ता और विपक्ष के नेताओं की निगाहें इस बात पर टिकी है कि लालू अपने पुत्र को इस तात्कालिक संकट से कैसे उबारते हैं।