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महाराष्ट्र चुनाव में फ्रीबीज़ को पूरा कैसे करेंगी पार्टियां

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में महायुति और एमवीए जनता से दुनिया भर के वादे कर रही हैं. पर सवाल है यह पूरा कैसे होगा.

Mallikarjuna Kharge issuing MVA Manifesto

एमवीए का मैनिफस्टो जारी करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने वाले हैं, ऐसे में महाराष्ट्र में वोटर्स को अपनी ओर लुभाने के लिए महा विकास अघाड़ी और महायुति दोनों ने फ्रीबीज़ देने के वादों की बरसात कर रखी है.


चुनाव से पहले महायुति और एमवीए दोनों ने अपना मैनिफेस्टो लॉन्च किया. दोनों ने महिलाओं, बेरोज़गार युवाओं, किसानों और गरीबों के लिए दिल खोल के वादे किए. महायुति सरकार अपनी जिस लाडकी बहिन योजना को अपनी बेहतरीन उपलब्धियों में गिनवाते नहीं थकती थी, उसकी प्रतिमाह दी जाने वाली राशि को 1500 रुपये से बढ़ाकर 2100 रुपये कर दिया.

 

लाडकी बहिन योजना के तहत महाराष्ट्र सरकार 21 से 65 वर्ष की महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपये देती है. खास बात यह है कि जो विपक्षी दल लाडकी बहिन योजना का विरोध कर रहे थे वही एक हाथ आगे बढ़कर अब खुद महालक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को 3000 रुपये प्रतिमाह देने का वादा कर रहे हैं. साथ ही एमवीए ने सरकारी बसों में महिलाओं के लिए यात्रा को फ्री करने वादा किया है.

कहां से आएंगे पैसे

भले ही ऐसा लगे अजित पवार और बीजेपी एक-दूसरे को लेकर असहज हैं, लेकिन उन्होंने भी विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष जिस तरह से वादे कर रहा है उसके लिए उसे 3 लाख करोड़ रुपयों की जरूरत पड़ेगी. उनको इतने पैसे कहां से मिलेंगे. जबकि हमारे वादे तार्किक हैं और इसके लिए एक लाख करोड़ से ज्यादा की जरूरत नहीं होगी.

 

लेकिन इस पर पलटवार करते हुए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महाराष्ट्र के इंचार्ज रमेश चेन्निथला ने कहा कि हमारे सारे वादे एक्सपर्ट्स से बात करके किए गए हैं. ये घोषणाएं चुनाव को ध्यान में रख कर नहीं की गई हैं. हमें पता है कि हमें वित्त को कैसे मैनेज करना है और पैसे कहां से लाने हैं.

 

इंडियन एक्सप्रेस को वित्त विभाग के अधिकारी द्वारा दिए गए एक बयान के मुताबिक लाडकी बहिन योजना के लाभार्थियों की संख्या 2.35 करोड़ है जिसकी वजह से राज्य के खजाने पर 96 हजार करोड़ का भार पड़ रहा है. इसकी वजह से राज्य का राजस्व घाटा बढ़कर 2 लाख करोड़ से ज्याद हो गया है. उनके मुताबिक अगर इनमें से की गई कोई भी घोषणा लागू की जाती है तो खजाने पर काफी भार पड़ेगा जिसको वहन करना मुश्किल होगा.

किसानों का ऋण होगा माफ

महिलाओं के अलावा महायुति और एमवीए ने किसानों के लिए भी कई तरह के वादे किए. जहां एमवीए ने किसानों के लिए साफतौर पर कहा कि अगर उनकी सरकार आती है तो वे किसानों का 3 लाख तक का ऋण माफ कर देंगे और समय से लोन चुकाने पर 50 हज़ार की प्रोत्साहन राशि भी देंगे, वहीं महायुति ने साफ तौर पर कुछ नहीं कहा. हालांकि, महायुति ने साफ तौर पर कुछ नहीं कहा लेकिन उन्होंने किसानों को दी जाने वाली सहायता राशि को 12 हजार से बढ़ाकर 15 हज़ार करने को कहा है. साथ ही महायुति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी 20 फीसदी बढ़ाने को कहा है.

बेरोज़गारों को 4 हजार रुपये देने का वादा

राज्य में बेरोज़गारी भी एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है. एमवीए और महायुति ने इसको भी साधने की कोशिश की है. न सिर्फ महायुति ने बल्कि बीजेपी और एनसीपी ने भी राज्य में 25 लाख नौकरियां देने का वादा किया है. इसके अलावा सत्ताधारी गठबंधन ने 10 लाख छात्रों को 10 हज़ार रुपये ट्यूशन फीस भी देने और 25 हजार महिलाओं को पुलिस में भर्ती करने का भी का वादा किया है. वहीं एमवीए ने राज्य में प्रत्येक बेरोजगार युवा को 4 हज़ार रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया है.

 

स्वास्थ्य सेवा को लेकर भी दोनों गठबंधनों ने कई वादे किए हैं. जहां एमवीए ने राज्य के प्रत्येक परिवार को 25 लाख रुपये के हेल्थ इंश्योरेंस और आवश्यक दवाओं को भी मुफ्त उपलब्ध कराने का वादा किया है. बीजेपी ने भी आयुष्मान भारत स्कीम और महात्मा फुले जनारोग्य योजना का विस्तार करके इस बात को सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि राज्य में कोई भी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे.

चुनाव जीतने की गारंटी नहीं हैं ऐसे वादे

हालांकि, यह नहीं कहा जा सकता कि इस तरह के लोकलुभावन वादों की बदौलत चुनाव जीता जा सकता है. भले ही माना जाता है कि मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना के आधार पर बीजेपी ने जीत हासिल की जिसके आधार पर महाराष्ट्र में भी लाडकी बहिन योजना को लॉन्च किया गया. लेकिन तेलंगाना में बीआरएस सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव और आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी चीफ वाई जगनमोहन रेड्डी ने भी इसी तरह के लोकलुभावन वादों का तरीका अपनाया था पर उन्हें करारी हार का मुंह देखना पड़ा.

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