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विधानसभा और उपचुनाव, किसको क्या हासिल हुआ? सब समझिए

महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव में क्या हुआ, उपचुनावों के नतीजों का हासिल क्या रहा, किसकी जीत हुई, किसकी हार, किसकी सरकार, सब समझिए, एक क्लिक में।

Maharashtra Jharkhand Assembly Elections 2024

महाराष्ट्र में प्रचंड जीत के बाद दिल्ली मुख्यालय में समर्थकों से मिलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (तस्वीर- x.com/bjp)

हिंदी का एक शब्द है 'यथावत।' सहज अर्थों में कहें तो ज्यों का त्यों। झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के नतीजे कुछ ऐसे ही रहे। सत्ताधारी गठबंधन की वापसी तो हुई लेकिन प्रचंड बहुमत के साथ। दोनों राज्यों में सत्ता विरोधी लहर तो थी लेकिन नतीजे ऐसे आए कि लहर 'सूख' गई। झारखंड में अवैध घुसपैठिए, आदिवासी संस्कृति पर प्रहार, रोटी-बेटी-माटी जैसे नारे फेल रहे और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की प्रचंड वापसी हो गई। 

महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने प्रचंड बहुमत से सरकार में वापसी की है। जीत के नायक देवेंद्र फडणवीस,एकनाथ शिंदे और अजित पवार रहे। तीनों नेताओं ने पूरे चुनाव में खूब कैंपेनिंग की, नारे गढ़े, जिसका असर भी जमीन पर दिखा। चुनाव की इस रेस में उद्धव ठाकरे, शरद पवार और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, कमजोर साबित हुए। यूपी के उपचुनाव में इंडिया ब्लॉक अपनी जीत को लेकर बेहद आशान्वित थी लेकिन करारा झटका लगा। योगी-मोदी फैक्टर एक बार फिर असरदार नजर आया। 

झारखंड चुनाव को समझिए
झारखंड में 81 विधानसभा सीटें हैं। बहुमत के लिए सिर्फ 41 सीटें चाहिए। यह आंकड़ा इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने आसानी से छू लिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास 34 सीटें हैं, कांग्रेस 16, राष्ट्रीय जनता दल 4, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिन) लिबरेशन के पास 2 सीटें हैं। इंडिया गठबंधन के पास 56 से ज्यादा सीटें हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए के पास सिर्फ 24 सीटें हैं। 21 सीटों पर बीजेपी है, एक जनता दल यूनाइटेड (JDU) के खाते में एक सीट गई है, वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के खाते में एक सीट गई है। ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के खाते में 1 सीट गई है। अन्य में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा ने भी एक सीट हासिल ही है।

इंडिया की जीत, एनडीए की हार की वजह
- लोगों ने आदिवासियों की घटती जनसंख्या, घुसपैठिया, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण, रोटी-बेटी-माटी पर संकट और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को नकार दिया।
-बटेंगे तो कटेंगे नारे से झारखंड की जनता को प्रभावित नहीं कर सके।
- आदिवासी और मुस्लिम वोटरों के सहारे हेमंत सोरेन ने सरकार में वापसी कर ली। 
- मइयां सम्मान योजना ने असर किया। हर महीने 1000 रुपये मिले।
- 1.7 लाख किसानों का कर्ज माफ किया गया।
- हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी भी भारी पड़ी।
- बीजेपी के पास स्थानीय राजनीति में चेहरा नहीं रहा।

इंडिया ब्लॉक की जीत लेकिन आगे क्या?
हेमंत सोरेन, रविवार को ही राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। वे सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। ऐसी अटकलें हैं कि वे 26 नवंबर को शपथ लें। झारखंड के विधायक दल की बैठक भी होनी है, जिसमें हेमंत सोरेन को विधायक दल का नेता चुना जाएगा। गठबंधन भी उन्हें नेता चुनेगा। 

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के चीफ हेमंत सोरेन (तस्वीर- फेसबुक)

महाराष्ट्र चुनाव को समझिए
महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (MVA), महा पिछाड़ी हो गई है। महायुति प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई है। लोकसभा चुनाव में जिस खराब प्रदर्शन को लेकर एनडीए के नेता चुनाव में डरे हुए थे, उनके चेहरे खिल गए हैं। महायुति के पास 235 सीटें हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 132 सीटें जीती हैं। शिवसेना 57, एनसीपी ने 41 सीटें हासिल की हैं। महा विकास अघाड़ी की शिवसेना (UBT) 20, कांग्रेस 16 और एनसीपी (शरद पवार) ने सिर्फ 10 सीटों पर सिमट गई है। महा विकास अघाड़ी 50 सीटें भी हासिल नहीं कर पाई है।

क्यों जीती है महायुति?
-लाडकी बहिन योजना ने असर दिखाया। जिन 15 सीटें पर महिलाओं ने ज्यादा वोटिंग की हैं, उनमें 12 सीटों पर महायुति जीत गई है। 
- बीजेपी का एक हैं तो सेफ हैं और बटेंगे तो कटेंगे नारा हिट रहा।
- महायुति की कर्जमाफी, मराठा आरक्षण, किसानों की आर्थिक दशा जैसे वादे काम आए।
- जमीन पर महाविकास अघाड़ी कम सक्रिय नजर आई। संदेश यह गया है कि पार्टियां बिखरी हैं।
-  उद्धव ठाकरे का विचारधारा से भटकाव भारी पड़ा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना से लोग भावनात्मक तौर पर जुड़े रहे।
- राहुल गांधी जातिगत जनगणना को मुद्दा बनाना चाह रहे थे, महाराष्ट्र की जनता ने उसे खारिज कर दिया।

देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार।



महाराष्ट्र में कैसे बनेगी सरकार, आगे के घटनाक्रम क्या हैं?
महायुति की तीनों पार्टियां यह तय करेंगी कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। 3 दिन में नई सरकार का गठन होना जरूरी है, क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल ही 26 नवंबर को खत्म हो जाएगा। अब महायुति की पार्टियां मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगी। चुनाव के बाद राज्यपाल, सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी को सरकार बनाने का दावा पेश करते हैं।

उपचुनावों का क्या रहा गुणा-गणित?

'मोदी-योगी अब भी हैं उपयोगी'
यूपी उपचुनावों में बीजेपी को प्रचंड सफलता मिली है। 9 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी ने 7 सीटें हासिल की। कुंदरकी जैसी विधानसभा, जहां 30 साल से कभी बीजेपी सत्ता में नहीं थी, वहां भी लौटी। लोकसभा चुनावों में कहा जा रहा था कि बीजेपी की जमीन अब यूपी में डगमगा गई है, 6 महीने के भीतर योगी आदित्यनाथ और बीजेपी की टीम ने उसे संभाल लिया। बीजेपी का नारा भी था, मोदी-योगी योगी। सपा के नेतृत्व में इंडिया ब्लॉक की ओर से अल्पसंख्यकों के अत्याचार, जातिगत जनगणना जैसे कुछ मुद्दे उठाए गए, लेकिन योगी के एक नारे ने उनका काम बिगाड़ दिया। सीएम योगी ने अपने कैंपेनिंग में बार-बार कहा कि बटेंगे तो कटेंगे। ओबीसी-दलित वोट बटें नहीं और जातीय समीकरण ध्वस्त हो गए।

विधानसभा उपचुनावों में योगी का नारा बंटोगे तो कटोगे खूब चर्चा में रहा। (तस्वीर- फेसबुक, योगी आदित्यनाथ)



वायनाड के उपचुनाव का क्या हुआ?
वायनाड के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी चुने गए थे लेकिन उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी। अब इस चुनाव में प्रियंका गांधी ने जीत दर्ज की है। उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पहले चुनाव से भी बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। 

कर्नाटक के उपचुनाव में क्या हुआ?
कर्नाटक की शिगोआं, संडुर और चन्नापटना में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है। बीजेपी ने वक्फ का मुद्दा यहां जोर-शोर से उठाया था। बीजेपी का कहना था कि यहां किसानों की जमीन ही वक्फ बोर्ड छीन रहा है, बीजेपी का यह नैरेटिव फेल साबित हुआ।

वायनाड के एक चुनावी जनसभा में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी। (तस्वीर- कांग्रेस, फेसबुक)



बिहार के उपचुनाव में क्या हुआ?
बिहार में 4 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, 2 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है। एक सीट पर जेडीयू जीती है और एक सीट पर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने जीत हासिल की है। प्रशांत किशोर के महत्वाकांक्षी मिशन, का उद्घाटन ठीक नहीं हुआ है। प्रशांत किशोर को अभी और लंबा इंतजार करना होगा।

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