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मुजफ्फरपुर विधानसभा: क्या बिजेंद्र चौधरी का किला ढहा पाएगी बीजेपी?

मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट पर बिजेंद्र चौधरी कई बार जीत चुके हैं। हालांकि, 2010 औऱ 2015 में बीजेपी ने यहां से जीत दर्ज की थी लेकिन पिछली बार कांग्रेस ने इस पर कब्जा कर लिया था।

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मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट बिहार के काफी महत्त्वपूर्ण विधानसभा सीटों में से एक है। यह सीट 1957 में बनी, लेकिन तब से लेकर अब तक किसी भी एक पार्टी का इस पर अधिकार नहीं रहा। हालांकि, सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी ने इस पर 6 बार जीत दर्ज की है। जबकि बीजेपी औऱ सीपीआई ने इस पर दो-दो बार जीत दर्ज की है, आरजेडी, जनता पार्टी, जनता दल, पीडीएसपी ने एक एक बार जीत दर्ज की है।

 

मुजफ्फरपुर में मुस्लिम आबादी अच्छी-खासी है, जो कुल मतदाताओं का लगभग 18.5 प्रतिशत है, जिसकी वजह से यहां वोटों का ध्रुवीकरण देखने को मिलता है। अनुसूचित जाति के मतदाता की संख्या भी लगभग 9.5 प्रतिशत हैं, इसलिए वे भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

मौजूदा समीकरण

ऐसा लग रहा था कि 2010 और 2015 में चुनाव जीतने के बाद बीजेपी अपने को इस सीट पर मजबूत कर रही है लेकिन 2020 के चुनाव में फिर से कांग्रेस के बिजेंद्र चौधरी ने बीजेपी के सुरेश कुमार शर्मा को हराकर विधायक बन गए।

 

मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट के लिए 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने करीब ढाई लाख वोटों ले जीत दर्ज करके अपनी ताकत को दिखाया है और उसमें भी मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट पर काफी अच्छी बढ़त देखने को मिली थी।

2020 के रिजल्ट

2020 के विधानसभा चुनावों में, मुजफ्फरपुर में 322,538 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान बढ़कर 330,837 हो गए। चुनाव आयोग द्वारा 2025 के चुनावों के लिए मतदाता सूची जारी करने पर यह आंकड़ा थोड़ा बढ़ने की उम्मीद है।

 

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बिजेंद्र चौधरी ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने बीजेपी विधायक सुरेश कुमार वर्मा को करीब 6 हजार वोटों से हराया था। बिजेंद्र चौधरी को 81,871 वोट मिले थे जो कि कुल वोटों का 48.16 प्रतिशत था, वहीं सुरेश कुमार शर्मा को 75,545 वोट मिले थे जो कि कुल वोटों का 44.44 प्रतिशत था। यह आंकड़ा दर्शाता है कि 2015 के चुनाव की तुलना में बीजेपी कैंडिडेट को 10 प्रतिशत वोट कम मिले थे। तीसरे स्थान पर प्लूरल्स पार्टी की पल्लवी सिन्हा रहीं। हालांकि, उन्हें कुल 3,522 वोट ही मिले जो कि कुल वोट प्रतिशत का 2 प्रतिशत ही था।

विधायक का परिचय

बिजेंद्र चौधरी अब तक पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं, जिसमें से चार बार मुजफ्फरपुर से और एक बार कुढ़नी विधानसभा सीट से। पहली बार वह 1995 में विधायक चुने गए थे, उसके बाद उन्होंने साल 2000, फिर 2005 के फरवरी और अक्तूबर में हुए चुनावों में, उसके बाद 2010 में कुढ़नी से और फिर 2020 में फिर से मुजफ्फरपुर से जीत दर्ज की।

1995 में उन्होंने जनता दल से चुनाव लड़ा था इसके बाद साल 2000 में आरजेडी से चुनाव लड़ा। उसके अगले साल 2005 में निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में मैदान में उतरे और जीत दर्ज की।

 

कुल संपत्ति की बात करें तो उनके पास साल 2005 में कुल संपत्ति 25 लाख रुपये थी जो कि 2020 तक बढ़कर 2,71,95,771 हो गई। उनके खिलाफ इस वक्त कुल 6 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं।

विधानसभा का इतिहास

इस सीट पर सर्वाधिक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, जनता दल, बीजेपी ने भी इस सीट पर अपनी दावेदारी सिद्ध की है। 1957 से लेक अब तक जीत दर्ज करने वाले विधायकों की सूची ये है-

1957- महामाया प्रसाद सिन्हा (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

1962- देवेंद्र सहाय (कांग्रेस)

1967- एमएल गुप्ता (कांग्रेस)

1969- रामदेव शर्मा (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया)

1972- रामदेव शर्मा (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया)

1977- मनजय लाल (जनता पार्टी)

1980- रघुनाथ पाण्डेय (कांग्रेस)

1985- रघुनाथ पाण्डेय (कांग्रेस)

1990- रघुनाथ पाण्डेय (कांग्रेस)

1995- बिजेंद्र चौधरी (जनता दल)

2000- बिजेंद्र चौधरी (आरजेडी)

2005- बिजेंद्र चौधऱी (निर्दलीय)

2010- सुरेश कुमार शर्मा (बीजेपी)

2015- सुरेश कुमार शर्मा (बीजेपी)

2020- बिजेंद्र चौधरी (कांग्रेस)

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