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नजफगढ़ विधानसभा: क्या AAP तीसरी बार बचा ले जाएगी सीट? BJP ने लगाया जोर

नजफगढ़ विधानसभा से केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलोत ने बीजेपी ज्वाइन कर ली है। इस वजह से नजफगढ़ का मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

najafgarh assembly seat

नजफगढ़ विधानसभा। Photo Credit- (Khabargaon)

नजफगढ़ विधानसभा सीट इस बार दिल्ली की सबसे हॉट सीटों में से एक मानी जा रही है। 'आप' के दिग्गज नेता रहे कैलाश गहलोत के पार्टी छोड़ने के बाद नजफगढ़ में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। यह सीट पश्चिमी दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। नजफगढ़ हरियाणा के गुड़गांव और बहादुरगढ़ के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है।
 

नजफगढ़ में रोशन पुरा, सुरहेड़ा, उजवा, मलिकपुर जेर, सारंगपुर, मुंढेला कलां, सुरखपुर, झरोदा कलां, दिचाऊं कलां, मित्राऊं, कैर जैसे इलाके आते हैं। नजफगढ़ विधानसभा सीट आम आदमी पार्टी पिछली दो बार से जीत रही है। 2020 के चुनाव में बीजेपी का उम्मीदवार बहुत ही करीबी मुकाबले में 'आप' से हार गया था।

इस बार कौन-कौन मैदान में?

नजफगढ़ में इस बार आम आदमी पार्टी ने तरुण यादव को टिकट दिया है। यहां से अरविंद केजरीवाल सरकार में दो बार मंत्री रहे कैलाश गहलोत दो बार विधायक रहे हैं। गहलोत की जगह 'आप' ने तरुण यादव पर भरोसा जताया है। तरुण के सामने बीजेपी ने नीलम पहलवान और कांग्रेस ने सुषमा यादव को उतारा है। 

नजफगढ़ की समस्याएं क्या हैं?

दिल्ली देहात और शहरी क्षेत्र को जोड़ने वाले नजफगढ़ में समस्याओं की कमी नहीं है। यहां के लोग पार्क, ट्रैफिक जाम, बदहाल सड़क व जलभराव जैसी समस्याओं से काफी समय परेशान रहते हैं। नजफगढ़ में जलभराव की समस्या बारिश के समय में हर बार हो जाती है, क्योंकि यहां का सीवरेज सिस्टम खराब है। इस सीट में विकास और स्वास्थ्य के मुद्दे भी अहम हैं। 

2020 में क्या हुआ था?

2020 में यहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कैलाश गहलोत की जीत हुई थी। तब अरविंद केजरीवाल के बेहद खास कहे जाने वाले कैलाश ने बीजेपी के अजित सिंह खारखारी को 6231 मतों के अंतर से हराया था। गहलोत को 49.86 वोट प्रतिशत के साथ में 81,507 मत और खारखारी को 46.05 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ 75,276 मत मिले थे। वहीं, कांग्रेस के साहब सिंह को महज 2,379 वोट ही मिले थे।

कैलाश गहलोत वह 2015 के चुनाव में भी 'आप' के विधायक चुने गए थे। 

विधानसभा का इतिहास

नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र में सबसे पहली बार साल 1993 में चुनाव हुए थे। सूरज प्रसाद नजफगढ़ के पहले विधायक बने थे, उन्होंने बीजेपी के रण सिंह को हराकर निर्दलीय चुनाव जीता था। इसके बाद 1998 में यह सीट कांग्रेस के कंवल सिंह के पास चली गई। नजफगढ़ में 2003 और 2008 के चुनाव में एक बार फिर से निर्दलीयों ने चुनाव जीता। 

 

इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी के अजित सिंह खारखारी ने कमल खिलाया था, लेकिन पिछले दो चुनावों से आम आदमी पार्टी नजफगढ़ पर बढ़त बनाए हुए है।

जातिगत समीकरण

नजफगढ़ का ज्यादातर हिस्सा गांवों की श्रेणी में आता है। यहां सबसे ज्यादा 25 फीसद जाट मतदाता हैं। 15 फीसद आबादी ब्राह्मण, जबकि 25 फीसद आबादी ओबीसी का है, साथ ही यहां यादव मतदाताओं की अच्छी संख्या हैं।

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