दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में एक महीने से भी कम समय बचा है। आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस तीनों ही राजनीतिक पार्टियां जनता को लुभाने में लगी हुई है। कोई बड़े वादे कर रहा है तो कोई बड़ी योजनाओं से जनता का समर्थन पाने में जुटा हुआ है।
लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव हो, जैसे-जैसे यह नजदीक आते है, राजनीतिक दलों का डिजिटल कैंपेन सहित जनता तक बड़े पैमाने पर पहुंच की कोशिशें तेज हो जाती हैं। ऐसे में दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियां कितना खर्च कर रही है? आइये यहां समझें गणित...
इस साल विज्ञापन में कितना खर्च कर रही पार्टियां?
रिपोर्ट्स से पता चला है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (आप) सहित राजनीतिक दल विज्ञापन अभियानों पर 200 करोड़ से 250 करोड़ रुपये के बीच खर्च कर सकती है। हालांकि, विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) दोनों ही अपने चुनाव प्रचार में बड़े पैमाने पर खर्चा कर रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों पार्टियां विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं। वैसे तो चुनाव आयोग उम्मीदवारों के खर्च की निगरानी करती है लेकिन पार्टी स्तर के खर्च के आंकड़े अक्सर चुनाव के बाद ही सार्वजनिक होते हैं।
दिल्ली की सड़कों पर ऐड ही ऐड
AAP और भाजपा के बीच छिड़ी पोस्ट वॉर की बात करें तो केवल प्रचार का बिल ही 200 से 250 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। एक तरफ आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में वापस लौटना चाहती है। वहीं, बीजेपी 1998 से दिल्ली की सत्ता से दूर है। तीसरी ओर कांग्रेस को भी अपने अच्छे दिन की उम्मीद है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर प्रचार और विज्ञापन शुरू हो चुका है। ऐसे में एक ऐड एजेंसी स्टोरीबॉर्ड18 ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें खुलासा हुआ है कि प्रचार का खर्च कुल मिलाकर 250 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। ऐड इंडस्ट्री के सूत्रों के अनुसार, केवल आउटडोर प्रचार पर पार्टियां लगभग 150 करोड़ रुपये तक खर्च कर देती हैं। वहीं, डिजिटल प्रचार पर इसकी रकम 100 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। इसी वजह से दिल्ली की सड़कें, बस स्टॉप, ऑटो और फ्लाईओवर भी पोस्टरों से छाए रहते हैं।
क्या कहती है RTI की रिपोर्ट?
RTI की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021-2022 में दिल्ली सरकार ने विज्ञापनों पर लगभग 488.97 करोड़ रुपये खर्च किए जो 2012-2013 में 11.18 करोड़ रुपये था। हालांकि, विज्ञापन पर अधिक खर्चे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना की जिसके बाद 2023-2024 में विज्ञापन मूल्य पिछले वर्ष के 186.2 करोड़ रुपये से घटकर 26.2 करोड़ रुपये हो गया। बिहार के एक कार्यकर्ता कन्हैया कुमार द्वारा RTI फाइल करने के बाद पता चला कि वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए, सरकार ने विज्ञापनों के लिए 66 करोड़ रुपये आवंटित किए।
दिल्ली के LG ने किया बड़ा दावा
हाल ही में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्दे के साथ हुए एक इंटरव्यू में एलजी वीके सक्सेना ने शीला दिक्षित सरकार और आप सरकार के विज्ञापन खर्च को लेकर बड़े अंतर को उजागर किया। सक्सेना के अनुसार, AAP सरकार विज्ञापन पर करीब 600 करोड़ रुपये तक खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि शीला दिक्षित सरकार अपनी सरकार के कामों को लोगों तक पहुंचाने के लिए साल में महज 15 से 20 करोड़ का खर्च करती थीं। हालांकि, वीके सक्सेना के दावों पर आप पार्टी की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन जिस तरीके से भाजपा और AAP के बीच 'ऐड वॉर' चल रहा है उससे यह उम्मीद लगाया जा सकता है कि दोनों ही पार्टियां जमकर पैसा बहा रही है।