सीलमपुर विधानसभा सीट, उत्तर-पूर्वी दिल्ली की एक सीट है। यह दिल्ली की विधानसभा सीटों में से एक है। इस विधानसभा की सीट संख्या 65 है। यह दिल्ली की सबसे संवेदनशील विधानसभाओं में से एक है।
यहां अल्पसंख्यक वोटर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जिन्हें लुभाने की कोशिश कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने की है।
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दल बदलकर एक-दूसरे के सामने हैं। साफ सड़कें, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाओं पर लोग काम चाहते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सीलमपुर के मुद्दों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। इस इलाके में अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है, जिसकी वजह से आए दिन सड़कों पर जाम की समस्या से लोग जूझते हैं.
सीलमपुर विधानसभा के मुद्दे क्या हैं?
सीलमपुर में भी खराब पानी बड़ा मुद्दा है। एक बड़ा वर्ग है जिसकी शिकायत है कि उन्हें पेंशन देने का वादा किया गया था लेकिन मिलती नहीं है। भारतीय जनता पार्टी आरोप लगाती रही है कि सीलमपुर में बड़े पैमाने पर अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को बसाया गया है। सीलमपुर में अनियमित बस्तियां, अवैध तरीके से निर्माण को भी एक वर्ग मुद्दा मानता है। सीलमपुर में रह रहे लोगों की शिकायत है कि उन्हें पीने का साफ पानी नहीं मिलता है। सीमलपुर में खराब सड़कों का भी मुद्दा लोग उठा रहे हैं। यह विधासभा बेहद संवेदनशील है। 2019 में इसी इलाके में भीषण दंगे हुए थे।
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सामाजिक तानाबाना क्या है?
सीलमपुर मुस्लिम बाहुल इलाका है। सीलमपुर में कुल 2.3 लाख वोटर हैं। यह उत्तर-पूर्वी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। मौजपुर, चौहान बांगर, सीलमपुर और गौतमपुरी 4 नगर निगम के वार्ड हैं। यहां करीब 60 फीसदी आबादी मुस्लिम है, हिंदू 40 प्रतिशत हैं। ब्राह्मण और ठाकुर वोटर 10 प्रतिशत, ओबीसी 13 और अन्य जातियां 17 प्रतिशत हैं।
सीट का इतिहास?
सीलमपुर विधानसभा सीट साल 1993 में अस्तित्व में आई थी। यह विधानसभा सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता चौधरी मतीन अहमद का गढ़ रही है। इस विधानसभा सीट से वह साल 1993 के विधानसभा चुनाव में पहली बार चुने गए थे। साल 1998, 2003, 2008 और 2013 में वही जीत कर आए। साल 2015 में इस विधानसभा से कांग्रेस का गढ़ टूट गया। साल 2015 में मोहम्मद इशराक इस विधानसभा सीट से चुने गए। 2020 में इस सीट से अब्दुल रहमान जीते।
कैसा था साल 2020 का चुनाव?
आम आदमी पार्टी के नेता अब्दुल रहमान इस सीट से जीते थे। वह अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें कुल 72694 वोट पड़े थे। भारतीय जनता पार्टी के नेता कौशल कुमार मिश्रा दूसरे नंबर पर थे, उन्हें 35 हजार वोट मिले थे। चौधरी मतीन अहमद का तिलिस्म टूटा था, वह महज 20 हजार वोट पर सिमट गए थे। साल 1993 से ही वह सत्ता में थे।
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साल 2025 में कौन-कौन है चुनावी मैदान में?
आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के 5 बार के विधायक रहे मतीन अहमद के बेटे जुबैर अहमद को उतारा है। वह पहले कांग्रेस में थे। कांग्रेस पार्टी ने अब्दुल रहमान पर भरोसा जताया है। बसपा ने दीपक कुमार को टिकट दिया है। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले ) ने मोहम्मद नाजिर को टिकट दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनिल कुमार शर्मा गौर को टिकट दिया है। इस विधानसभा सीट से कुल 18 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।