बिहार की सिंहेश्वर विधानसभा सीट मधेपुरा जिले में पड़ती है। लोकसभा में यह सुपौल संसदीय सीट का हिस्सा है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में आरजेडी ने बाजी मारी। यादव समुदाय के अलावा सिंहेश्वर में कुर्मी, मुसलमान, महतो और सादा की भूमिका निर्णायक है। पहले यह सीट मधेपुरा लोकसभा का हिस्सा थी। 2008 में परिसीमन के बाद इसे सुपौल संसदीय सीट में शामिल किया गया। विधानसभा क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण है। इसमें सिंघेश्वर, शंकरपुर और कुमारखंड प्रखंड शामिल है।
विधानसभा सीट की भूमि उपजाऊ है। कोसी बेल्ट पर पड़ने की वजह से बाढ़ यहां की आम समस्या है। रोजगार की कमी और बाढ़ के कारण पलायन भी होता है। लोगों की रोजी-रोटी खेती पर निर्भर है। छोटी जोत और भूमिहीन किसान अन्य प्रदेश जाने को मजबूर हैं। सिंहेश्वर सीट में दाल, गेहूं और मक्का की खेती होती है। सिंहेश्रर का उल्लेख वराह पुराण में मिलता है। यहां प्रसिद्ध सिंहेश्वर नाथ महादेव मंदिर है।
मौजूदा समीकरण
सिंहेश्वर विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 2,96,382 है। इनमें से 1,54,442 पुरुष और 1,41,940 महिला मतदाता हैं। जातिगत समीकरण पर सभी दलों की निगाह होती है। यहां लगभग 25.3 फीसदी यादव मतदाता हैं। अगर मुस्लिमों की बात करें तो उनकी हिस्सेदारी लगभग 12.7 फीसद है। अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 20.59 फीसदी है। 0.52 फीसदी अनुसूचित जनजाति के वोटर्स हैं।
2020 चुनाव रिजल्ट
पिछले विधानसभा चुनाव में सिंहेश्वर सीट से 10 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई। आरजेडी ने चंद्रहास चौपाल टिकट दिया। जवाब में जदयू ने रमेश ऋषिदेव को अपना प्रत्याशी बनाया। आरजेडी प्रत्याशी चंद्रहास को जनता का साथ मिला। उन्होंने 5,573 मतों के अंतर से रमेश को करारी शिकस्त दी। इन दोनों प्रत्याशियों के अलावा कोई अन्य उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया।
मौजूदा विधायक का परिचय
मौजूदा विधायक चंद्रहास चौपाल पिछले 20 साल से सामाजिक जीवन से जुड़े हैं। पंचायत से विधायक तक का सफर तय किया। पिछले विधानसभा चुनाव में सिंहेश्वर सीट से पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। उनके सामने जदयू ने अपने मंत्री डॉ. रमेश ऋषिदेव को उतारा था। विधायक चंद्रहास चौपाल मधेपुरा के रायभीड़ गांव के रहने वाले हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के हलफनामे के मुताबिक चंद्रहास के पास 2 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। तीन लाख रुपये की देनदारी भी है। उन्होंने 1996 में मधेपुरा के बीएन मंडल विश्वविद्यालय से बीएससी किया। उनके खिलाफ दो आपराधिक मामले भी दर्ज हैं।
विधानसभा सीट का इतिहास
सिंहेश्वर विधानसभा सीट साल 1977 में पहली बार अस्तित्व में आई। 2005 से 2015 तक सिंहेश्वर सीट पर जेडीयू का कब्जा रहा। पिछले चुनाव में चंद्रहास ने जेडीयू को करिश्मा को खत्म किया। अब तक यहां कुल 11 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। जेडीयू सबसे अधिक चार बार अपना परचम लहरा चुकी है। आरजेडी और जनता पार्टी को दो-दो बार, लोकदल, निर्दलीय और जनता दल को एक-एक बार कामयाबी मिली। सिंहेश्वर सीट पर भाजपा और कांग्रेस कभी नहीं जीती।
सिंहेश्वर विधानसभा: कब-कौन जीता?
वर्ष |
विजेता |
दल |
1977 |
दीनबंधु प्रसाद यादव |
जनता पार्टी |
1980 |
जय कुमार सिंह |
जनता पार्टी (SC) |
1985 |
रामेंद्र कुमार यादव रवि |
लोकदल |
1990 |
राजेश रंजन |
निर्दलीय |
1995 |
बम भोला यादव |
जनता दल |
2000 |
विजय कुमार सिंह |
आरजेडी |
2005 (फरवरी) |
रमेश्वर प्रसाद यादव |
जेडीयू |
2005 (नवंबर) |
रमेश्वर प्रसाद यादव |
जेडीयू |
2010 |
रमेश ऋषिदेव |
जेडीयू |
2015 |
रमेश ऋषिदेव |
जेडीयू |
2020 |
चंद्रहास चौपाल |
आरजेडी |
नोट: आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग