दिल्ली में 5 फरवरी को वोट पड़ने वाले हैं। चुनाव होने में एक दिन बचा है लेकिन नेता चुनाव प्रचार नहीं कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न तो दिल्ली की विधानसभाओं में जाकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए वोट मांग सकते हैं, न ही दिल्ली के पूर्व मु्ख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार कर सकते हैं।
कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? वजह यह है कि चुनाव खत्म होने के 48 घंटे पहले से कूलिंग पीरियड शुरू हो जाता है। मतलब इसे शांति काल कहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सौरभ शर्मा बताते हैं कि चुनाव में धांधली न होने पाए, अधिकारी पोलिंग बूथ पहुंच जाए, चुनाव की तैयारियां पूरी हो जाएं, इसके लिए यह नियम बनाया गया है।
48 घंटे पहले ही थम जाते हैं चुनाव प्रचार
चुनाव खत्म होने से 48 पहले शाम को चुनाव प्रचार थम जाता है। नेता चुनाव से एक दिन पहले रोड शो कर सकते हैं, न ही सोशल मीडिया और टीवी पर विज्ञापन दे सकते हैं। 3 फरवरी शाम 6 बजे चुनावी प्रचार दिल्ली में थम गया।
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अब क्या करेंगे नेता?
नेताओं के आंतरिक बैठक बुलाने पर रोक नहीं हैं। राजनीतिक पार्टियां बूथ मैनेजमेंट पर जोर देती हैं। चुनाव से पहले धांधली न होने पाए इसके लिए पार्टियां आंतरिक प्रबंधन भी करती हैं। कार्यकर्ता 5 से कम की संख्या में घर-घर जाकर मतदाताओं को वोटिंग के लिए तैयार करते हैं।
इस दौरान चुनाव आयोग के निर्देश में पुलिस कमिश्नरेट या जिला मजिस्ट्रेट की ओर से नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू की जाती है। घर बैठकर या अपने कार्यालय से नेता अंतिम दिन के चुनाव के लिए रणनीति तैयार करते हैं। दिग्गज नेता इस दौरान बाहर निकलने से बचते हैं।
साइलेंस पीरियड में होता क्या है?
मतदान खत्म होने के 48 घंटे पहले तक के समय को साइलेंस पीरियड कहते हैं। चुनाव आयोग इस दौरान किसी भी तरह के प्रचार-प्रसार की इजाजत राजनीतिक दलों को नहीं देता है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 के तहत यह अवधि चुनाव खत्म होने के बाद ही समाप्त होती है।
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साइलेंस पीरियड में क्या बैन है?
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 (1) (B) कहती है कि टेलीविजन, सिनेमैटोग्राफ या किसी तरह के चुनावी मामले का प्रचार प्रसार नहीं होगा।
- यह प्रतिबंध किसी भी मतदान क्षेत्र में मतदान समाप्ति के 48 घंटे पहले तक की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा।
क्या हो अगर रैली निकालें नेता?
- दो साल की कैद, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
- चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने या ऐसे इरादे या गणना करने जैसा कोई भी प्रयास चुनावी मामला माना जायेगा।