महाराष्ट्र में प्रचंड बहुमत के बाद भी महायुति सरकार नहीं बना पा रही है। महायुति के आलोचकों का कहना है कि साथ मिलकर तीन दलों ने चुनाव लड़ा लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए रार मच गई। एकनाथ शिंदे ने हाल ही में कहा था कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मुख्यमंत्री से परहेज नहीं है, फिर आखिर ऐसा क्या है कि सरकार नहीं बन पा रही है। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजित पवार का रुख भी बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ है लेकिन एकनाथ शिंदे का गुट इस पर सहमत नहीं हो पा रहा है।
एकनाथ शिंदे पिछले दो दिनों से बुखार और गले के संक्रमण से पीड़ित हैं। एकनाथ शिंदे के निजी डॉक्टर का कहना है कि वह सतारा जिले में अपने पैतृक गांव में हैं। एकनाथ शिंदे, राजनीतिक परिचर्चा से बच रहे हैं। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ हुई बैठक के बाद अगले दिन मुंबई में महायुति की बैठक होने वाली थी, वे बैठक से ठीक पहले अपने गांव चले गए।
BJP का सीएम मंजूर फिर देरी क्यों?
मुख्यमंत्री पद को लेकर जब अटकलें चल रहीं थीं, तभी एकनाथ शिंदे ने कह दिया था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से लिए लिए गए किसी फैसले को स्वीकार कर लेंगे। यह कयास लगे कि अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस होंगे। बैठक के कई दिन बीत गए लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर नहीं लग पाई है।
'शपथ ग्रहण की तारीख तय, मुख्यमंत्री कौन पता नहीं'
महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार को ऐलान किया है कि महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को शाम 5 बजे मुंबई के आजाद मैदान में होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मौजूद रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि बीजेपी का ही मुख्यमंत्री होगा।
शिंदे क्या सोच रहे हैं?
शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने शनिवार ने कहा है कि एकनाथ शिंदे मंथन कर रहे हैं, रविवार तक वे कोई फैसला ले सकते हैं। सोमवार शाम तक, मंत्रिमंडल में सीट बंटवारे पर फैसला हो जाएगा। अजीत पवार साफ कह चुके हैं कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बीजेपी से ही होगा। एनसीपी और शिवसेना से डिप्टी सीएम होंगे।
एनसीपी (शरद गुट) के नेता देवेंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि ऐसा हो सकता है कि शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश की जा रही हो। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री रहे हैं, उनके डिप्टी देवेंद्र फडणवीस रहे, अब फिर से अपने डिप्टी के नीचे काम करना, उन्हें नागवार गुजर रही हो। दूसरी वजह विभागों को लेकर है। शिवसेना वित्त और गृह विभाग मांग रहा है। बीजेपी इन अहम विभागों को साझा नहीं करना चाहती है। यही वजह है कि सरकार गठन में देरी हो रही है।
शिवसेना (यूबीटी) गुट के नेता संजय राऊत ने कहा है कि 10 दिन से ज्यादा हो गए हैं, उनके पास प्रचंड बहुमत है लेकिन फिर भी सरकार नहीं बना पा रहे हैं।
उद्धव ठाकरे की राह चले शिंदे?
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से 132 सीटें बीजेपी के पास हैं। एनसीपी के पास 41 सीटें हैं। शिवसेना के पास 57 सीटें हैं। साल 2019 में भी संख्या बल बीजेपी के पास था। बीजेपी के खाते में 105 सीटें आईं थीं, उद्धव ठाकरे ने सीएम पद की दावेदारी पेश की थी, जिस पर बीजेपी सहमत नहीं हुई। नतीजा ये हुआ कि पुरानी दोस्ती टूटी और उद्धव ठाकरे, महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए। एकनाथ शिंदे ने यह तो कह दिया है कि उन्हें बीजेपी के मुख्यमंत्री पद से आपत्ति नहीं है लेकिन सरकार गठन में हो रही देरी की वजह से सवाल उठ रहा है कि आखिर उनका रुख क्या है? क्या वे उद्धव ठाकरे की राह पर तो नहीं चल रहे हैं।