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कौन है बिहार का सबसे रईस प्रत्याशी, किस दल में कितने करोड़पति?

बिहार विधानसभा चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों की बहार हैं। सभी दलों ने दिल खोलकर करोड़पतियों को टिकट थमाया है। सबसे अधिक धनकुबेर प्रत्याशी एनडीए से हैं।

Bihar Election 2025.

सांकेतिक फोटो। (AI generated image)

संजय सिंह, पटना। इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों की बाढ़ आ गई है। शपथ पत्र के अवलोकन से पता चलता है कि एनडीए के 92 तो महागठबंधन के 86 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं। लखपति 64 उम्मीदवारों में 35 एनडीए और 29 महागठबंधन से जुड़े हैं। शपथ पत्र के अनुसार बरबीघा के जदयू प्रत्याशी कुमार पुष्पांजय सबसे अमीर प्रत्याशी हैं। इनके पास 71.57 करोड़ की संपत्ति है, जबकि आरा से विधानसभा चुनाव लड़ रहे माले के प्रत्याशी क्यामुद्दीन अंसारी सबसे गरीब प्रत्याशी हैं। इनके पास मात्र 37 हजार रुपये की संपत्ति है। 

 

आंकड़े बताते है कि 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति वाले भाजपा में नौ तो जदयू में आठ प्रत्याशी हैं। राजद में सबसे अमीर प्रत्याशी हाजीपुर के उम्मीदवार देवकुमार चौरसिया हैं। इनके पास 67 करोड़ की संपत्ति है। उधर, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के किसी भी प्रत्याशी के पास 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति नहीं है। लोजपा में ऐसे उम्मीदवारों की संख्या 14 प्रतिशत है।

 

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राजद का स्टार प्रचारक भाजपा में 

टिकट नहीं मिलने से हर दल में बागियों की संख्या बढ़ती जा रही है। राजद में भी बगावती नेताओं की कमी नहीं है। निषाद वोटरों पर पकड़ बनाने के लिए पूर्व सांसद डॉ. अनिल सहनी को राजद ने स्टार प्रचारक बनाया और चुनाव लड़ाने की भी बात कही गई। कहा जा रहा है कि वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी के इशारे पर अनिल सहनी का टिकट काट दिया गया। इससे खफा अनिल सहनी ने आरजेडी पर कई गंभीर आरोप लगाने के बाद बीजेपी का दामन थाम लिया।

मधेपुरा में राजद प्रत्याशी का विरोध

मधेपुरा से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव को अपने बिगड़े बोल के कारण भारी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा मंत्री रहते उन्होंने रामायण पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। एक बयान में बिहार के युवाओं को अयोग्य बता दिया। अब उनके इसी बयान से मधेपुरा के युवा नाराज हैं। नाराज युवा उनसे पूछ रहे हैं कि अगर यहां के युवा योग्य नहीं हैं तो फिर वोट मांगने क्यों आए हैं? युवाओं के विरोध को देखकर पूर्व मंत्री के समर्थक भी उत्तेजित हो गए। युवाओं और उनके समर्थकों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। स्थिति को देखते हुए चंद्रशेखर यादव ने मात्र छह मिनट में अपना कार्यक्रम खत्म कर दिया।

 

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तस्लीम के दोनो बेटे आमने-सामने 

सत्ता की लड़ाई में न कोई दोस्त होता है और न ही दुश्मन। सीमांचल की राजनीति में कभी मजबूत पकड़ रखने वाले तस्लीमुद्दीन के दोनो बेटे जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र से आमने-सामने हैं। तस्लीम के छोटे बेटे शाहनवाज को राजद और बड़े बेटे सरफराज को जन सुराज ने टिकट दिया है। सरफराज पहली बार 1996 में विधायक बने थे। इसके बाद 2000 में राजद के टिकट पर चुनाव जीते। इन्हें मंत्री भी बनने का मौका मिला। बाद में जदयू से विधानसभा चुनाव जीते। 2020 के चुनाव में छोटे भाई शाहनवाज ने ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़ा और बड़े भाई को शिकस्त देकर विधानसभा पहुंचे। बाद में पहला बदलकर आरजेडी का दामन थाम लिया।  

 

 

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