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29 सालों से महाराष्ट्र में क्यों जारी है गठबंधन की राजनीति?

महाराष्ट्र में पिछले 34 सालों में किसी भी विधानसभा चुनाव में कोई भी राजनीतिक पार्टी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकी है।

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शनिवार का आएगा महाराष्ट्र विधानसभा का रिजल्ट। Source- PTI

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे कल यानी 23 नवंबर को आएंगे। वोटों की गिनती सुबह सात बजे से शुरू हो जाएगी। राज्य के दोनों गठबंधनों (महायुति और महाविकास अघाड़ी) के नेताओं के लिए आज की रात भारी रहने वाली है क्योंकि शनिवार को जो गठबंधन महाराष्ट्र में बहुमत के आंकड़े को पार करेगा वो राज्य में अलगे पांच साल के लिए राज करेगा। 

 

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान हुए थे। इस बार मतदान में लोगों ने खूब उत्सुकता के साथ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। इससे पहले लोगों को महायुति (बीजेपी, शिनसेना, एनसीपी) और महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना UTB, एनसीपी SCP) ने अपने-अपने पाले में खींचने की कोशिश की। पार्टियों के तामाम लोकलुभावने वादों के बीच जनता ने अपना मत ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है। 

क्यों नहीं मिलता बहुमत?

इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाय ये है कि आखिर महाराष्ट्र में इतने सालों से गठबंधन की राजनीति क्यों चल रही है? महाराष्ट्र में क्यों कोई पार्टी अकेले चुनाव लड़कर बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाती? आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह...

 

महाराष्ट्र में पिछले 34 सालों में किसी भी विधानसभा चुनाव में कोई भी राजनीतिक पार्टी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकी है। यानी पार्टियां 288 सदस्यों वाली विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों का जादुई आंकड़ा हासिल नहीं कर पाई हैं।

1995 से गठबंधन राजनीति का चलन

इसका मतलब है कि साल 1995 में राज्य में जो गठबंधन राजनीति का चलन शुरू हुआ था आज तक जारी है और शनिवार को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी जारी रहने की संभावना है। रिजल्ट आने के बाद महायुति या महाविकास अघाड़ी गठबंधन में कोई एक सरकार बनाएगा।

गठबंधनों में सीटों का बंटवारा

इस विधानसभा चुनाव में महायुति में शामिल बीजेपी 148, शिंदे वाली शिवसेना 80 और अजित पवार वाली एनसीपी 53 सीटें पर चुनाव लड़ी है। वहीं, महाविकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस 102, उद्धव गुट के वाली शिवसेना 89 और एनसीपी (शरद पवार) 87 सीटें पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस तरह से बहुत संभावना है कि दोनों गठबंधनों में रिजल्ट आने के बाद किसी भी दल को बहुमत से दूर रहना पड़ सकता है। 

 

महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस को ज्यादा सीटें आती हैं तो उसे शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) पर निर्भर रहना होगा, जबकि महायुति में अगर बीजेपी को अधित सीटें मिलती हैं तो उसे भी शिंदे वाली शिवसेना और अजित पवार वाली एनसीपी पर निर्भर रहना होगा। 

निर्णायक जनादेश मिलने का दावा

बता दें कि इस विधानसभा चुनाव में साल 1995 यानी 29 सालों बाद सबसे ज्यादा 66.05 प्रतिशत मतदान हुआ है। इससे दोनों गठबंधनों को यह लग रहा है कि जो भी हो इस बार जनादेश निर्णायक आएगा। इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता देंवेंद्र फडणवीस और कांग्रेस के नाना पटोले ने दावा किया है कि उनको बहुमत मिलेगा। 

हर तरफ बैठकों का दौर जारी

इस बीच राज्य के परिणामों से पहले सभी प्रमुख पार्टियां बैठकें करके नई संभावनाओं की तलाश कर रही हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। वहीं, शिवसेना प्रमुख ने भी अपनी पार्टी के पदाधिकारियों और उम्मीदवारों को संबोधित करते हुए मतगणना के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में आगाह किया। उधर बीजेपी के भीतर भी इसी तरह की चर्चा और बैठकों का दौर चल रहा है।

 

वीबीए के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने कहा, "अगर वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) अच्छी संख्या में सीटें जीतती है, तो हम सरकार बनाने की प्रक्रिया में शामिल होंगे। हम उन पार्टियों का समर्थन करेंगे जो सरकार बनाएंगी।"

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