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'मुफ्त की रेवड़ी' पर क्यों घूम रही है दिल्ली की सियासत?

झारखंड, महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक की सियासत में मुफ्त की रेवड़ियों पर खूब चर्चा हो रही है। आखिर यह साल-दर-साल कैसे हर सियासी पार्टियों की मजबूरी बनती गई, आइए जानते हैं।

Arvind Kejriwal

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल। (Photo Credit: PTI)

दिल्ली के लिए आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच मुफ्त की योजनाओं को लेकर होड़ मची है। तीनों राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र साफ-साफ बताते हैं कि दिल्ली की सियासत में किस हद तक 'मुफ्त की रेवड़ियां' बांटी जा रही हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मुफ्त की योजनाओं को'मुफ्त की रेवड़ियां' बता चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली के लिए चुनावी घोषणापत्र साफ इशारा कर रहा है कि बीजेपी को मुफ्त की रेवड़ियों से परहेज नहीं है। बीजेपी एक जमाने में मुफ्त की रेवड़ियों की विरोधी रही, फिर अचानक से ऐसा क्या हुआ कि इसकी वकालत करने लगी। वजह विस्तार से समझते हैं।

दिल्ली के लिए बीजेपी, कांग्रेस और AAP का प्लान क्या है?

BJP का संकल्प पत्र क्या है?

  • गरीब महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये
  • गरीब महिलाओं को हर महीने 21000 रुपये और 6 पोषण किट
  • हर गरीब महिला को 500 रुपये में LPG सिलेंडर
  • दीपावली और होली को एक-एक सिलेंडर मुफ्त
  • पहली कैबिनेट बैठक में आयुष्मान भारत योजना लागू
  • 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज केंद्र सरकार 
  • 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज राज्य सरकार
  • बुजुर्गों की पेंशन 200 से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रतिमाह
  • जेजे क्लस्टर में अटल कैंटीन की स्थापना, 5 रुपये की थाली 
  • दिल्ली में बीजेपी सरकार बनने पर मौजूदा कल्याणकारी योजनाओं जारी रहेंगी। 



कांग्रेस का वादा क्या है?

  • कांग्रेस के चुनें 1 लाख रुपये बचाएं।
  • दिल्ली में प्यारी बहन योजना की शुरूआत, महिलाओं को 2500 रुपये देने का वादा
  • जीवन रक्षा योजना से 25 लाख रुपये तक का फ्री इलाज
  • फ्री बिजली योजना से 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली
  • युवा उड़ान योजना, एक साल की अप्रेंटिसशिप, हर महीने मिलेंगे 8,500
  • महंगाई मुक्ति योजना


आम आदमी पार्टी का वादा क्या है?

  • दिल्ली के किराएदार को मिलेगा फ्री बिजली और पानी का लाभ
  • दिल्ली की महिलाओं को फ्री बस यात्रा
  • मेट्रो में छात्रों के लिए मुफ्त यात्रा
  • महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देने का वादा
  • ऑटो चालकों के लिए 10 लाख रुपये का जीवन बीमा
  • ऑटो चालकों की बेटियों की शादी के लिए 1 लाख रुपये
  • बुजुर्गों का मुफ्त इलाज
  • 300 यूनिट तक फ्री बिजली


चुनावों के लिए मजबूरी क्यों बनती जा रही हैं योजनाएं?

मुफ्त की योजनाओं पर सियासत एक अरसे से होती आई है। कर्जमाफी से लेकर फ्री राशन तक, देश में मुफ्त की योजनाओं के खूब वादे किए गए थे। केंद्र सरकार ने साल 2020 से ही मुफ्त राशन योजना की शुरुआत की, जिसका लाभ देश के 80 करोड़ परिवारों को मिलता है। 

सियासी जानकारों का एक धड़ा ऐसा मानता है कि साल 2024 के लोकसभा चुनावों में तीसरी बार नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी में इस योजना का भी योगदान रहा है। हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और झारखंड तक के चुनावों में इन योजनाओं का असर दिखा। तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश से लेकर कर्नाटक तक में कांग्रेस की वापसी में इन योजनाओं का बड़ा हाथ माना जाता है। 

कर्नाटक में कांग्रेस गृह लक्ष्मी योजना, तेलंगाना में राजीव आरोग्यश्री स्वास्थ्य योजना और हिमाचल प्रदेश में इंदिरा प्यारी बना योजना मददगार रही है। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और महाराष्ट्र में महायुति सरकार की वापसी के पीछे भी कुछ 'मुफ्त की योजनाओं' को क्रेडिट दिया जाता है। साल 2023 से लेकर अब तक हुए चुनावों में मुफ्त की योजनाएं अहम साबित हुई हैं। दिल्ली चुनावों में भी इनका असर देखने को मिल सकता है।

फ्रीबीज पर कितना खर्च करती हैं सरकारें, नफा नुकसान क्या?
साल 2023-24 में ही प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि फ्रीबीज पर सरकार ने 3.75 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इन योजनाओं की आलोचना कर सकते हैं। वह खुद कह चुके हैं कि हमें देश की रेवड़ी कल्चर को हटाना है, रेवड़ी बांटने वाले विकास नहीं करा सकते हैं। अर्थशास्त्रियों का भी कहना है कि अगर सरकार का वित्त सरप्लस में है तो ऐसी योजनाएं ठीक हैं नहीं तो यह अन्य करदाताओं पर बोझ साबित होती हैं। 

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