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Exit polls 2024: महाराष्ट्र में अगर जीती महायुति तो वजहें क्या होंगी?

महाराष्ट्र चुनावों पर कराए गए ज्यादातर एग्जिट पोल बता रहे हैं कि महाराष्ट्र में महायुति सरकार बनी रह सकती है। क्यों, आइए वजह तलाशते हैं।

Mahayuti alliance

देवेंद्र फडणवीस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एकनाथ शिंदे। (तस्वीर- x.com/bjp)

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे लेकिन उससे पहले आए एग्जिट पोल, इशारा कर रहे हैं कि राज्य में महायुति सरकार वापसी कर रही है। महायुति एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, अजित पवार के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का चुनाव पूर्व गठबंधन है।

महायुति से अलग, महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन भी है, जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) और शरद पवार के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) शामिल है। महाराष्ट्र पर ज्यादातर एग्जिट पोल इशारा कर रहे हैं कि राज्य के नतीजे, कांटे की टक्कर वाले रहेंगे। 

महाराष्ट्र के एग्जिट पोल्स साफ कह रहे हैं कि महायुति सरकार सत्ता में वापसी करेगी। साल 2024 में ही हुए लोकसभा चुनावों में महायुति की ताकत नजर आई थी। महायुति महज 17 सीटें जीत पाई थी और महा विकास अघाड़ी 30 लोकसभा सीटें जीत गई थीं। राजनीति के जानकारों का मानना था कि हो सकता है कि जनता का यही मिजाज, विधानसभा चुनावों में भी हो सकता है। अभी तक, एग्जिट पोल के आंकड़े, महा विकास अघाड़ी के पक्ष में नहीं दिखे हैं। 

क्या सटीक होते हैं एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल, हमेशा सटीक नहीं होते हैं। बीते कुछ एग्जिट पोल चौंकाने वाले रहे हैं। 2024 में ही लोकसभा चुनावों में कई एग्जिट पोल एनडीए को 400 पार सीटें दे रहे थे, वहीं नतीजे जब आए तो सरकार तो बनी लेकिन बीजेपी की सीटें, अप्रत्याशित रूप से घट गईं। बीजेपी अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई। बीजेपी के पास 240 सीटें हैं।


महाराष्ट्र में क्यों महायुति को मिल सकती है बढ़त?
महायुति का महाराष्ट्र में सबसे बड़ा नारा बंटोगे तो कटोगे रहा। एनसीपी (अजित पवार) का रुख इस नारे से अलग रहा लेकिन बीजेपी और शिवसेना ने इसी आधार पर पूरा सियासी खेल खेला। शिवसेना और बीजेपी ने कृषि संकट, लड़की बहिन योजना और कल्याणकारी योजनाओं के आधार पर कैंपेनिंग की। 

महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनीति विश्लेषकों की मानें तो बीजेपी का नारा रहा, एक रहेंगे सेफ रहेंगे, बटेंगे तो कटेंगे। MVA का फोकस जहां मराठा, अल्पसंख्यक और दलित वोटरों को लुभाने में रहा, बीजेपी ने बंटोगे तो कटोगे नारे के सहारे, सियासी जंग को अलग दिशा दे दी। माराठा बीजेपी से नाराज थे, मराठा आरक्षण की जंग लड़ने वाले मनोज जरांगे पाटिल महायुति से नाराज थे, विरोध कर रहे थे लेकिन इस लड़ाई ने ओबीसी वोटरों को एकजुट कर दिया। 

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस।



बीजेपी और शिवसेना पूरे चुनाव में एक लाइन पर खड़ी नजर आईं। उनकी कैंपेनिंग का मूल एजेंडा रहा कि हिंदू जातियां अगर बटेंगी तो अल्पसंख्यकों के सहारे, MVA की वापसी हो जाएगी। 

कौन से वादे बना सकते हैं महायुति का गेम?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महायुति के कुछ वादे लोकलुभावन साबित हुए, जिस पर जनता ने वोट किया। लाडली बहिन योजना को 1500 से बढ़ाकर 2100 करने वादा महायुति ने किया है। राज्य में 25000 महिला पुलिकर्मियों की भर्ती का मुद्दा भी छाया रहा। किसान ऋण माफ करने के वादे भी लोगों को पंसद आए। एमएसपी पर 20 प्रतिशत सब्सिडी भी लोगों को पसंद आई।

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार

राजनीतिक विश्लेषकों यह भी मानते हैं कि एग्जिट पोल के नतीजे अगर सच साबित होते हैं तो एक वजह शेतकरी सम्मान योजना की राशि भी हो सकती है। इसे 12,000 से बढ़ाकर 15,000 रुपये करने का वादा किया गया है। भोजन आश्रय योजना, सीनियर सिटीजन पेंशन योजना को 2100 रुपये करना, हर महीने 25 लाख नौकरियों का वादा, 10 लाख छात्रों को 10 हजार रुपये महीने की ट्युशन फीस जैसे कई वादे लोगों को पसंद आए हैं।

महाराष्ट्र में मतदान कैसा रहा है?
महाराष्ट्र में 65.1 प्रतिशत मत पड़े हैं। 1995 के बाद यह पहली बार है जब इतना ज्यादा वोट इस राज्य में पड़ा हो। महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में भी खूब वोटिंग हुई है। 

महाराष्ट्र में Exit Polls 2024 के आंकड़े क्या कह रहे हैं?
-पीपल्स पल्स ने महायुति गठबंधन गठबंधन को 182 से ज्यादा सीटें दी हैं। MVA को 97 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। अन्य पार्टियों के खाते में 9 सीटें जाती नजर आ रही हैं।

- मैट्रिज के मुताबिक महायुति को 150 से 170 सीटें मिल रही हैं, कांग्रेस को 110 से 130 सीटें मिलती नजर आ रही हैं, वहीं अन्य के खाते में 8 से 10 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। 

-पी-मार्क के सर्वे में बताया गया है कि 137 से 157 सीटें एनडीए के खाते में जाती नजर आ रही हैं, वहीं एमवीए गठबंधन के खाते में 126 से 146 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। अन्य के खाते में 2 से 8 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। 

-चाणक्य के मुताबिक एनडीए को 152 से 160 सीटें, एमवीए को 130 से 138 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। अन्य के खाते में 6 से 8 सीटें मिल रही हैं। 

-लोकशाही मराठी और रुद्रा के सर्वे में 128 से 142 सीटें एनडीए के खाते में जाती नजर आ रही हैं, वहीं 125 से 138 सीटें एमवीए को मिल रही हैं। अन्य के खाते में 18 से 23 सीटें मिल रही हैं। 

-टाइम्स नाऊ नवभारत के सर्वे में एनडीए को 150 से 167, एमवीए के खाते में 107 से 125 सीटें और अन्य के खाते में 13 से 14 सीटें मिल रही हैं।

देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार। (तस्वीर-PTI)

 

महाराष्ट्र में कैसी थी पिछली सरकार?
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन था। दोनों राजनीतिक पार्टियों के इस गठबंधन को बहुमत मिला था। सरकार में हिस्सेदारी को लेकर दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया। तब बीजेपी के खाते में 105 सीटें और शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं। 

23 नवंबर को अजित पवार और देवेंद्र फडवीस ने शपथ ग्रहण किया लेकिन अजित पवार के साथ उनके विधायक नहीं आए और सरकार गिर गई। 28 नवंबर 2019 को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन हुआ और उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

यह सलार 29 जून तक चली। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 40 विधायक बीजेपी के साथ आ गए और उद्धव को हटना पड़ा। 30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और देवेंद्र फडणवीस उनके डिप्टी बने। जुलाई 2023 में एनसीपी में फूट पड़ी, अजित पवार अपने 40 विधायकों के साथ एनडीए में शामिल हो गए। वे भी राज्य के डिप्टी सीएम हैं।

डिस्क्लेमर: एग्जिट पोल, वास्तविक चुनावी आंकड़े नहीं हैं। चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को जारी होंगे। इन आंकड़ों में उलट-फेर देखने को मिल सकती है। खबरगांव, एग्जिट पोल के आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता है।

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