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2020 में सिर्फ 272 वोट पाने वाली पार्टी दिल्ली चुनाव में क्यों उतरी?

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जारी नामांकन में शुरुआत में ही सबसे ज्यादा नामांकन राइट टु रिकॉल पार्टी की ओर से भरे गए हैं। यह वही पार्टी है जिसे पिछले चुनाव में सिर्फ 272 वोट मिले थे।

right to recall party

प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo Credit: Social Media

दिल्ली के विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन शुरू हो गया है। शुरुआती दिनों में मुख्य राजनीतिक दलों की ओर से तो नामांकन नहीं भरे गए हैं लेकिन छोटे दल नामांकन भरने में खूब सक्रिय हैं। नामांकन के साथ ही नए-नए दलों के नाम, उनसे जुड़े रोचक तथ्य सामने आ रहे हैं। ऐसी ही एक पार्टी दिल्ली चुनाव में उतरी है जिसका नाम 'राइट टु रिकॉल पार्टी' है। पिछले चुनाव में सिर्फ 272 वोट हासिल करने वाली यह पार्टी इस बार दिल्ली की 45 से ज्यादा सीटों पर पर चुनाव लड़ने जा रही है। शुरुआत दो दिन में ही इस पार्टी के दर्जनों उम्मीदवारों ने पर्चे भर दिए हैं। अब तक 25 से ज्यादा सीटों पर पर्चे भरे जा चुके हैं।

 

राइट टु रिकॉल पार्टी के मुखिया राहुल चिमनभाई मेहता खुद भी लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में वह गुजरात की गांधीनगर सीट पर अमित शाह के खिलाफ चुनाव लड़े थे। उन्हें कुल 1001 वोट मिले थे। राहुल मेहता की राइट टु रिकॉल पार्टी दिल्ली के विधानसभा चुनाव के अलावा अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में भी उतरने जा रही है। कम वोट मिलने और बार-बार हार मिलने के बारे में पार्टी के मुखिया राहुल मेहता कहते हैं, 'निराशा भले मिलती हो लेकिन हमें लड़ते रहना है। हम 1998 से ही इस काम को करते आ रहे हैं।'

 

राहुल मेहता ने खबरगांव को बताया, 'पार्टी के खाते में सिर्फ 12 हजार रुपये है। वह भी मैंने अपनी जेब से डाल दिए हैं। चुनाव लड़ने वाले लोग नामांकन की राशि खुद ही जुटाते हैं और कम संसाधनों में चुनाव लड़ते हैं। हमारा मुख्य मुद्दा राइट टु रिकॉल सीएम है। हम चाहते हैं कि दूसरे कई देशों की तरह ही जनता के पास यह अधिकार रहे कि वह 5 साल इंतजार करने के बजाय खराब काम करने वाले नेता को वापस बुला सके। इसके अलावा भी 200 कानून ऐसे हैं जिन्हें हम लाना चाहते हैं और इसके लिए हम लगातार चुनाव लड़ते रहेंगे।'

दिल्ली में क्या है प्लान?

 

इस बार दिल्ली की गोकलपुर और सीमापुरी दोनों ही सीटों से राइट टु रिकॉल पार्टी के उम्मीदवार चरण सिंह मालीयन बताते हैं, 'हमारी नई पार्टी है तो ज्यादा चिंता नहीं है कि कितने वोट मिलेगे। चुनाव के बाद फिर देखेंगे कि आगे क्या करना है। इस बार हम सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। हमारे पास फंडिंग का कोई खास जरिया नहीं है तो अपने ही बलबूते चुनाव लड़ रहे हैं। हम घर-घर जाकर अपनी बातें बताएंगे, प्रचार सामग्री पर हमारा जोर नहीं है।' खुद के दो सीटों से चुनाव लड़ने पर उनका कहना है कि जहां उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं, वहां भी हमें लड़ना ही है तो इस तरीके से लड़ेंगे।

 

13 जनवरी तक इस राइट टु रिकॉल पार्टी ने कुल 12 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामांकन भी करवा दिए हैं। अभी पार्टी बाकी की सीटों पर भी तैयारी कर रही है। इस बारे में चरण सिंह मालीयन ने कहा, 'लगभग 40 सीटों पर हमारे उम्मीदवार तैयार हैं और हम बाकी की सीटों पर भी तैयारी कर रहे हैं।' राइट टु रिकॉल पार्टी ने अभी तक गोकलपुर, सीमापुरी, कोंडली, द्वारका, घोंडा, बुराड़ी, राजौरी गार्डन, आंबेडकर नगर, महरौली, मुंडका और मोती नगर सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामांकन करवा दिए हैं।

क्या है राइट टु रिकॉल पार्टी का अजेंडा?

 

इस पार्टी के मुखिया राहुल मेहता डेमो दिखाकर बताते हैं कि EVM को हैक किया जा सकता है। उनकी पार्टी का मुख्य एजेंडा ईवीएम को हटाने और बैलट पेपर से वोट कराने का है। वह सवाल उठाते हैं कि पहले वीवीपैट मशीन में सफेद कांच होता था जिससे दिखता था कि वोट किसको गया, अब जून 2017 से कांच को काला कर दिया गया है जिससे पता नहीं चलता कि वोट किसको गया। हालांकि, उनका यह कहना है कि वह स्पष्ट रूप से तो यह नहीं कह सकते कि ऐसा हो सकता है कि नहीं लेकिन उनको VVPAT का शीशा बदलने पर शक जरूर है। 

 

राहुल मेहता न सिर्फ अपने इस डेमो का प्रचार कर रहे हैं बल्कि वह घूम-घूमकर इसे सबको दिखाते भी हैं। इसी क्रम में हाल ही में उनके साथी अमित उपाध्याय ने एनसीपी (शरद पवार) के नेताओं को मुंबई में इसका डेमो दिया था।

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