दिग्गज फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल नहीं रहे। 90 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्होंने अपने फिल्मों से समाज की सच्चाई दिखाई। उन्होंने सिनेमा में प्रयोगधर्मिता को बढ़ावा दिया और अमर किरदार गढ़े। अंकुर से लेकर मंथन तक उन्होंने ऐसी कई फिल्में बनाईं जिन्हें आज भी लोग याद करते हैं।
श्याम बेनेगल की बेटी पिया ने सोमवार को बताया कि उनका निधन शाम 6.38 पर हुआ है। वह वॉकहार्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे। वह गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे थे, इस वजह से उनकी मौत हो गई। उनके परिवार में उनकी बेटी और पत्नी नीरा बेनेगल हैं। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर तीन बजे दादर के शिवाजी पार्क में होगा।
श्याम बेनेगल को कैसे याद कर रहे हैं लोग?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उन्हें याद किया है। फिल्म और राजनीति जगत के दिग्गजों ने उन्होंने अंतिम विदाई दी है। शेखर कपूर, हंसल मेहता, मनोज बाजपेयी, अक्षय कुमार और काजोल जैसे सितारों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
राष्ट्रपति ने कैसे किया याद?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी श्याम बेनेगल के निधन पर लिखा, 'एक संस्थान के तौर पर उन्होंने कई अभिनेताओं और कलाकारों को तैयार किया। उनके असाधारण योगदान को दादा साहब फाल्के पुरस्कार और पद्म भूषण सहित कई पुरस्कारों के रूप में मान्यता दी गई। उनके परिवार के सदस्यों और उनके अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।'
प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री ने X पर लिखा, 'श्याम बेनेगल जी के निधन से गहरा दुख हुआ, जिनकी कहानी कहने की कला का भारतीय सिनेमा पर गहरा प्रभाव पड़ा। उनके कार्यों को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों द्वारा सराहा जाता रहेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।'
अभिनेता और निर्देशकों ने कैसे याद किया?
फिल्मकार शेखर कपूर ने बेनेगल के निधन पर लिखा,'श्याम बेनेगल ने शबाना आजमी और स्मिता पाटिल जैसी शानदार अभिनेत्रियों को स्टार बनाया। अलविदा मेरे दोस्त और मेरे मार्गदर्शक।'
मनोज बाजपेयी ने कहा, 'श्याम बेनेगल सिफ एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने कहानी कहने की कला को फिर से परिभाषित किया और पीढ़ियों को प्रेरित किया। जुबैदा में उनके साथ काम करना मेरे लिए एक परिवर्तनकारी अनुभव था, जिसने मुझे कहानी कहने की उनकी अनूठी शैली और प्रदर्शनों की बारीक समझ से परिचित कराया।'
अक्षय कुमार ने लिखा, 'मैं उनके निर्देशन में सीखी गई बातों के लिए हमेशा आभारी रहूंगा। वह हमारे देश के बेहतरीन फिल्मकारों में से एक थे। ओम शांति।'
कैसा था उनका सफर?
श्याम बेनेगल को अपने करियर में कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। उन्हें 1976 में पद्मश्री, 1991 में पद्म भूषण और 2005 में सिनेमा के क्षेत्र में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्याम बेनेगल 2006 से 2012 तक राज्यसभा सांसद भी रहे। श्याम बेनेगल को 1970 और 1980 के दशक में अंकुर, निशांत और मंथन जैसी फिल्मों के जरिए भारतीय सिनेमा में समानांतर सिनेमा की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है।