मशहूर फिल्म डायरेक्टर रामानंद सागर 'रामायण' की वजह से एक तरह के अमर हो गए। रामानंद सागर ने जब रामायण बनाने का फैसला किया था तब किसी को उन पर भरोसा नहीं था। दोस्तों ने हाथ खींच लिए, अधिकारियों ने खूब दौड़ाया। इसके बावजूद दृढ़ प्रतिज्ञा कर चुके रामानंद सागर ने अपने पैर वापस नहीं खींचते। वह अधिकारियों के आगे-पीछे घूमते रहे और आखिरकर रामायण को दूरदर्शन पर लाकर ही माने। वह दिन था और आज का दिन है। इन सालों में कम से कम दो पीढ़ियां ऐसी हैं जो रामायण देखकर बड़ी हुईं और यह धारावाहिक उनकी स्मृतियों में हमेशा के लिए छप गया।
इंदिरा गांधी की सरकार थी और धीरे-धीरे ही सही फिल्म इंडस्ट्री में दुबई के माफिया का दखल बढ़ रहा था। दूसरे देश में बैठे ये अपराधी न सिर्फ लोगों को धमकाते थे बल्कि फिल्म इंडस्ट्री को भी कंट्रोल करने लगे थे। ऐसे में फिल्म निर्माताओं और डायरेक्टर के लिए खुलकर काम कर पाना मुश्किल हो रहा था। इसी बीच रामानंद सागर के साथ कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने फैसला कर ही लिया। उन दिनों अपने बेटों के साथ स्विटजरलैंड में 'चरस' फिल्म की शूटिंग कर रहे रामानंद सागर शाम को काम खत्म करने के बाद एक कैफे में गए। वहां शराब मंगाई।
रंगीन टीवी ने उड़ा दिए होश
शराब लेकर आए वेटर ने टीवी चालू किया तो सामने चली टीवी पर रंग दिख रहे थे। इतने बड़े निर्माता और उनके बेटों का हैरान होना लाजमी था क्योंकि इन लोगों ने इससे पहले रंगीन टीवी देखा ही नहीं था।
रामानंद सागर ने यहीं से फैसला कर लिया कि अब वह फिल्में नहीं टीवी सीरियल बनाएंगे। रामानंद सागर उर्फ चंद्रमौली चोपड़ा साल 1932 में क्लैपर बॉय के रूप में फिल्मी दुनिया में आए थे और अब अपने काम से पीढ़ियों की तालियां बटोरने जा रहे थे। रामायण बनाने से पहले वह पंजाबी फिल्म कोयल में एक्टिंग कर चुके थे। पृथ्वी थिएटर में असिस्टेंट स्टेज मैनेजर रह चुके थे। साथ ही, राज कपूर की फिल्म बरसात में लिखने का भी काम किया था। उन्होंने खुद भी बाजूबंद और मेहमान जैसी फिल्में बनाई थीं जो ज्यादा नहीं चलीं।
आगे चलकर रामानंद सागर ने प्रेम बंधन, आरजू, गीत और सलमान जैसी फिल्में भी बनाईं। 25 जनवरी 1987 को रामायण का पहला एपिसोड प्रसारित किया गया और रामानंद सागर की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई।