logo

ट्रेंडिंग:

मोहम्मद रफी की कमाई को क्यों बताया गया था 'नापाक', पढ़ें- ये किस्सा

गायक मोहम्मद रफी को लोगों की मदद करने का बहुत शौक था। उनके पास से कोई भिखारी खाली हाथ नहीं जाता था। फिर क्यों उनकी कमाई को मस्जिद ने बताया था नापाक।

Mohammad rafi

मोहम्मद रफी

हिंदी सिनेमा के दिग्गज सिंगर मोहम्मद रफी की सुरीली आवाज का हर कोई दीवाना है। उन्होंने अपने करियर में एक से बढ़कर एक हिट गाने दिए थे। वह बहुत ज्यादा दान करते थे। उनके पास से कोई भी भिखारी कभी खाली नहीं जाता था। उन्होंने एक बार मस्जिद में दान दिया था लेकिन उनके पैसों को पाक नहीं  कहकर वापस लौटा दिया गया था। इस बात का जिक्र उनकी बहू यास्मीन खाली ने गायक की जीवनी ‘मोहम्मद रफी: माई अब्बा’ में किया है। उन्होंने बताया एक बार इंदौर में पुरानी पलासिया मस्जिद के लिए दान इकट्ठा किया जा रहा था। अपने स्वभाव के अनुरूप, रफी ने 5,000 रुपये की राशि दान में दी, हालांकि यह रकम वापस कर दी गई, जिससे सभी हैरत में थे।

 

यास्मीन ने किताब में लिखा, ‘मस्जिद समिति ने फैसला किया था कि रफी साहब की कमाई का इस्तेमाल मस्जिद के लिए नहीं किया जा सकता। उनकी कमाई ‘पाक’ नहीं है, क्योंकि इस्लाम में गायन को जायज पेशा नहीं माना जाता और इसलिए कई धार्मिक हस्तियां ऐसे स्रोतों से कमाए गए पैसे को अस्वीकार कर देती थीं'।

 

रफी साहब के दान के पैसे कर दिए थे वापस

 

रफी साहब शांत व्यक्ति थे और आराम से बात करते थे लेकिन उस दिन उन्होंने अपना आपा खो दिया। उन्होंने कहा, ‘अल्लाह ने मुझे बचपन से ही यही हुनर ​​दिया है, जिसका मैं पूरी मेहनत और ईमानदारी से रियाज करता हूं और यह दुनिया के सामने भी है। फिर भी मेरी कमाई ‘नापाक’ है? इस विषय पर दो राय हो सकती है। अगर इस मामले में इस्लाम का मूल संदेश यही है, तो सिर्फ अल्लाह ही जानता है कि किसकी कमाई जायज है और किसकी नाजायज’।

 

भिखारियों को दान देते थे रफी

 

उन्हें हमेशा से जरूरतमंद लोगों की मदद करना पसंद था। यास्मिन ने बताया, अब्बा हमेशा अपने साथ कार में नोट और सिक्कों से भरा एक बक्सा रखते थे। ‘‘जब गाड़ी ट्रैफिक सिग्नल पर रुकती थी, तो भिखारी उन्हें ‘हाजी साहब’, ‘रफी भाई’ या ‘रफी साहब’ कहकर पुकारते थे और हाथ आगे बढ़ा देते थे। अब्बा पूरे सफर में पैसे बांटते रहते थे। उन्होंने कभी किसी हाथ को खाली नहीं छोड़ा। इसके पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा था कि मेरी बचपन से यही आदत रही। इसके लिए मुझे मार और डांट भी पड़ती थी। मैं अपने गुल्क के बचाए पैसे गरीबों को दान कर देता था।

 

 

Related Topic:#Entertainment

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap