• MUMBAI 16 Dec 2024, (अपडेटेड 16 Dec 2024, 12:06 PM IST)
तबला वादक जाकिर हुसैन ने दुनियाभर में अपना नाम बनाया। उन्होंने पॉपुलर जैज सिंगर रेमो फर्नांडिस संग कोलैबोरेट कर सबको हैरान कर दिया था।
जाकिर हुसैन और रेमो फर्नांडिस (क्रेडिट इमेज- इंस्टाग्राम हैंडल)
शास्त्रीय संगीत को दुनियाभर में अलग पहचान दिलवाने वाले मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन नहीं रहे। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। 73 साल की उम्र में जाकिर का निधन हो गया। वह 'इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस' बीमारी से पीड़ित थे। उन्हें फेफड़ों की दुर्लभ बीमारी हो गई थी। जाकिर ने भारत ही नहीं दुनियाभर में कई शोज किए थे। उनकी वजह से शास्त्रीय संगीत को अलग पहचान मिली। जाकिर ने तबले के साथ जैज म्यूजिक को भी कोलैबोरेट किया।
उनका सिंगर रेमो फर्नांडिस के साथ जबरदस्त जुगलबंदी का वीडियो खूब वायरल हुआ था। दोनों ने साल 2020 में फिल्मफेयर के अवॉर्ड फंक्शन में परफॉर्म किया था। शास्त्रीय संगीत और पॉप कल्चर के अद्भुत मिलन ने लोगों का दिल छू लिया। इस वीडियो को दुनियाभर में पसंद किया गया।
यहां देखिए जाकिर और रेमो की जुगलबंदी का वीडियो
वीडियो में रेमो और जाकिर हुसैन के बीच में जबरदस्त जुगलबंदी देखने को मिल रही है। रेमो गिटार बजा रहे हैं और जाकिर तबला बजा रहे हैं। इस 3 मिनट 8 सेकेंड के वीडियो को देखने के बाद सब कुछ भूल जाएंगे। गिटार और तबले के बीच की ये जुंगलबंदी दर्शकों ने शायद ही पहली बार कभी देखी था। इस वीडियो ने जाकिर हुसैन को दुनियाभर में प्रतिष्ठा दिलाई।
कौन हैं रेमो फर्नांडिस
रेमो फर्नांडिस इंडियन पोर्तुगीज सिंगर हैं। उन्होंने भारत में पॉप म्यूजिक की शुरुआत की थी। उन्होंने बॉलीवुड के कई गानों में पॉप म्यूजिक का फ्यूजन दिया है। इसके अलावा वह दुनियाभर में शो करते हैं। उनकी फैन फॉलोइंग दुनिया में हैं। रेमो फर्नांडिस को साल 2007 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था।
उस्ताद जाकिर हुसैन
तबला वादक जाकिर हुसैन ने उस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत संघर्ष किया था। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उन्होंने दुनियाभर में नाम काम किया। उन्होंने संगीत के अलावा विज्ञापन से घर-घर में पहचान बनाई थी। उनका जन्म 9 मार्च, 1951 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने अपने पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा खान से संगीत सीखा था। 7 साल की उम्र से उन्होंने संगीत समारोहों में तबला बजाना शुरू कर दिया था। पहली बार तबला बजाने पर उन्हें 5 रुपये मिले थे।