एशियाई विकास बैंक (ADB) ने पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर के आर्थिक पैकेज को मंजूरी दी है। पाकिस्तान को यह आर्थिक पैकेज उसके राजकोषीय स्थिरता को मजबूत करने और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में सुधार के लिए दिया गया है। हालांकि, भारत ने एशियाई विकास बैंक के सामने पाकिस्तान को यह पैकेज दिए जाने का कड़ा विरोध जताया है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान का इन पैसों का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय सहायता के दुरुपयोग करने का इतिहास रहा है।
इससे पहले महीने भर पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था से उबरने के लिए 1 बिलियन डॉलर (लगभग ₹8,500 करोड़) का लोन दिया था। एशियाई विकास बैंक से लोन की मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब के सलाहकार खुर्रम शहजाद ने कहा कि इस पैकेज में 300 मिलियन डॉलर का नीति आधारित लोन और 500 मिलियन डॉलर कार्यक्रम-आधारित गारंटी शामिल है।
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कंट्री डायरेक्टर एम्मा फैन का बयान
पाकिस्तान के लिए एशियाई विकास बैंक की कंट्री डायरेक्टर एम्मा फैन ने कहा, 'पाकिस्तान ने बड़े पैमाने पर आर्थिक स्थितियों में सुधार किया है। यह आर्थिक राहत कार्यक्रम सरकार की नीति और संस्थागत सुधारों का समर्थन करता है, जो सार्वजनिक अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और विकास को बढ़ावा देगा।'
'विकास को भी बढ़ावा देगा लोन'
एम्मा फैन ने आगे कहा, 'यह डिजिटलीकरण, निवेश सुविधा और प्राइवेट सेक्टर के विकास को भी बढ़ावा देगा। इन उपायों का मकसद पाकिस्तान के राजकोषीय घाटे और उसके लोन को कम करना है।' वहीं, भारत ने पाकिस्तान के बढ़ते रक्षा खर्च, उसके घटते टैक्स-जीडीपी अनुपात और वृहद-आर्थिक सुधारों में प्रगति की कमी को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान को एडीबी से मिलने वाले संसाधनों के संभावित दुरुपयोग को लेकर गहरी चिंता जताई है। भारत ने उम्मीद जताई है कि एशियन बैंक पाकिस्तान की नीतियों के कार्यान्वयन पर करीबी नजर रखेगा।
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रक्षा खर्च बढ़ा रहा पाकिस्तान
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के हिस्से के रूप में पाकिस्तान का टैक्स संग्रह वित्त वर्ष 2017-18 में 13 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2022-23 में 9.2 प्रतिशत रह गया है जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र के औसत 19 प्रतिशत से काफी कम है। दूसरी तरफ, इसी समय में पाकिस्तान के रक्षा खर्च में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। ये आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान को विदेशों से जो नीति-आधारित कर्ज मिलती है, उसका इस्तेमाल विकास कार्यों की जगह रक्षा खर्च को बढ़ाने में किया जाता है। बता दें कि पाकिस्तान के आर्थिक मामलों में सेना का दखल बढ़ा है।