मध्य प्रदेश और राजस्थान में मिलावटी 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप से कई बच्चों की मौत हो गई, जिसने पूरे देश में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया। अकेले एमपी में 20 बच्चों की मौत हुई है। इस घटना के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में घरेलू स्तर पर बेची जाने वाली दवाओं में डाई एथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की जांच में खामियों पर चिंता जताई है। WHO ने खासकर ऐसी दवाओं के लिए चेताया है जो गलत तरीके से अन्य देशों में भेजी जा रही है।
इस घटना में मरने वाले बच्चों में ज्यादातर की उम्र 5 साल से कम थी। बच्चों को खांसी और जुकाम के लक्षण के बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दवा के इस्तेमाल के कुछ घंटों के बाद ही बच्चों की मौत हो गई। इसकी वजह किडनी फेल बताई गई। इन कफ सिरप के सैंपल के नमूनों में 48.6% डाई एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया था जो कि एक जहरीला केमिकल है।
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WHO ने बयान जारी किया
एक बयान में WHO ने कहा कि भारत में बच्चों की मौत से काफी दुख पहुंचा। इसके लिए अपनी संवेदना जाहिर की। इन जहरीली दवाओं के निर्यात के बारे में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) से जानकारी मांगी है। CDSCO ने WHO को बताया है कि कम से कम तीन कफ सिरप- कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ - में डायएथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया है।
CDSCO ने यह भी कहा कि इन उत्पादों को वापस करा लिया गया है और निर्माताओं को सभी मेडिकल उत्पादों का प्रोडक्शन बंद करने का आदेश दिया गया है। CDSCO ने यह साफ कर दिया है कि इनमें से कोई भी प्रोडक्ट भारत से निर्यात नहीं किया गया था।
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WHO ने इस मसले पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि खराब दवाओं का खासकर गलत तरीके से दूसरे देशों में पहुंचने का खतरा है। देश के अंदर बिकने वाली दवाओं में हानिकारक केमिकल की जांच को लेकर नियमों में कमी है। यह जरूरी है कि इसका पता लगाया जाए कि दवाइयों में मिलावट कहां हुई है और जो भी खराब दवाइयां बाजार में हैं उसे तुरंत हटाया जाना चाहिए।