बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के आवास पर हमला बोल दिया। ये तोड़फोड़ तब हुई जब शेख हसीना लोगों को संबोधित कर रही थीं।
कब हुआ हमला?
ये सब तब हुआ जब शेख हसीना ऑनलाइन लोगों को संबोधित करने वाली थीं। बुधवार को शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़े 6 महीने हो गए थे। रात 9 बजे उनका संबोधन था। उनके संबोधन से पहले बुधवार शाम से ही धानमंडी-32 इलाके में स्थित शेख मुजीबुर्रहमान के आवास के बाहर प्रदर्शनकारी जुटने लगे थे। उनके आवास को एक म्यूजियम में तब्दील किया जा चुका है।
सोशल मीडिया पर '24 रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट-जनता' नाम के छात्र संगठन ने 'बुलडोजर जुलूस' निकालने का ऐलान किया था। इसमें संगठन ने शेख मुजीबुर्रहमान के आवास को गिराने का ऐलान किया था। इस ऐलान के बाद आवास के बाहर पहुंचकर भीड़ ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। आवास के अंदर आगजनी की घटना भी सामने आई है।
'शेख हसीना को फांसी दो' के लगे नारे
बताया जा रहा है कि रात में प्रदर्शनकारी शेख मुजीबुर्रहमान के आवास का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस गए। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारी 'शेख हसीना को फांसी' के नारे लगाते हुए भी सुनाई दिए।
क्या बोलीं शेख हसीना?
बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच शेख हसीना ने बुधवार रात अपनी पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ताओं को ऑनलाइन संबोधित किया। इस दौरान शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश के इतिहास को बुलडोजर से नहीं मिटाया जा सकता। उन्होंने कहा, 'उनके पास अभी इतनी ताकत नहीं है कि वो राष्ट्रीय ध्वज, संविधान और उस आजादी को बुलडोजर से नष्ट कर सकें। वो घर को ढहा सकते हैं, इतिहास को नहीं। उन्हें याद रखना चाहिए कि इतिहास अपना बदला लेता है। इतिहास को बुलडोजर से नहीं मिटा सकते।'
शेख हसीना ने कहा, 'अगर अल्लाह ने मुझे इन हमलों के बावजूद भी जिंदा रखा है तो कुछ जरूर कुछ काम करना होगा। अगर ऐसा नहीं होता तो मैं इतनी बार मौत को कैसे मात देती।'