लंबे समय से भारतीय छात्रों के लिए अंतरराष्ट्रीय शिक्षा का पसंदीदा केंद्र रहे कनाडा ने पिछले एक दशक में अपने सबसे सख्त वीजा नियम लागू किए हैं। इससे वैश्विक स्तर पर छात्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है। इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) के आंकड़ों के अनुसार, 2025 में भारतीय छात्रों के 80% वीजा आवेदन खारिज कर दिए गए।
भारतीय छात्र कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का लगभग 40% हिस्सा हैं। द पी न्यूज (The PIE News) की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की दूसरी तिमाही में पांच में से चार भारतीय आवेदकों को वीजा से इनकार किया गया।
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कनाडा पसंदीदा जगह
कनाडा सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में 1.88 लाख भारतीय छात्रों को दाखिला मिला था, जो दो साल पहले की तुलना में दोगुने से अधिक है। हालांकि, कनाडा ने अब अपना नजरिया बदल लिया है, जिसका असर एशिया, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों के छात्रों पर भी पड़ रहा है।
पहले उत्तरी अमेरिका अपनी सुरक्षा, अवसरों और विश्व-स्तरीय संस्थानों के कारण छात्रों की पहली पसंद था। लेकिन हाल के आंकड़े बड़े बदलाव की ओर इशारा करते हैं। भारतीय छात्रों के बीच कनाडा की लोकप्रियता 2022 में 18% से घटकर 2024 में 9% हो गई है। दूसरी ओर, जर्मनी अब 31% छात्रों की पहली पसंद बन गया है।
सख्त हैं नियम
कनाडा का वीजा नियमों को सख्त करने का फैसला घरेलू समस्याओं से जुड़ा है, जैसे आवास की कमी, बुनियादी ढांचे पर दबाव और स्थानीय प्रतिभाओं को प्राथमिकता देने की मांग। बॉर्डरपास के उपाध्यक्ष जोनाथन शर्मन ने द पी न्यूज को बताया कि IRCC अब नए आवेदनों की बहुत सख्ती से जांच कर रहा है।
इसके अलावा, कनाडा ने छात्रों के लिए न्यूनतम वित्तीय प्रमाण की राशि को दोगुना कर CA$20,635 (लगभग 13.13 लाख रुपये) कर दिया है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए काम के नियम भी सख्त कर दिए गए हैं। वीएनएक्सप्रेस (VnExpress) के अनुसार, कनाडा 2025 में 4.37 लाख स्टडी परमिट जारी करेगा, जो 2024 से लगभग 10% कम है।
जर्मनी आ रहा है पसंद
जर्मनी में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है। मजबूत अर्थव्यवस्था, सरकारी वित्त पोषित विश्वविद्यालय और बढ़ते अंग्रेजी भाषा के कार्यक्रमों के कारण यह भारतीय छात्रों के लिए पसंदीदा गंतव्य बन रहा है। जर्मनी के फेडरल स्टैटिस्टिकल ऑफिस के अनुसार, भारतीय छात्रों की संख्या पिछले पांच वर्षों में दोगुनी से अधिक होकर 2025 में लगभग 60,000 तक पहुंच गई है, जो 2023 में 49,500 थी।
भारतीय छात्र अब उन देशों को चुन रहे हैं जो सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ अच्छे करियर अवसर प्रदान करते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे पारंपरिक जगहों पर बढ़ते घरेलू दबाव के कारण जर्मनी जैसे विकल्पों को फायदा मिल रहा है।
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कनाडा के सख्त वीजा नियमों ने भारतीय छात्रों के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं। दूसरी ओर, जर्मनी अपनी सुलभ शिक्षा और बेहतर अवसरों के साथ नया पसंदीदा स्थान बन रहा है। यह बदलाव वैश्विक शिक्षा के परिदृश्य में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है।