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एक और कदम आगे बढ़ा चीन, अमेरिका से बोइंग विमानों की खरीद पर लगाई रोक

चीन के इस फैसले के बाद अमेरिका और चीन के बीच तनाव और बढ़ने के आसार हैं। अगर यही हाल रहा तो दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग न के बराबर पहुंच जाएगा।

Xi Jinping । Photo Credit: PTI

शी जिनपिंग । Photo Credit: PTI

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर और ज्यादा गहरा होता जा रहा है। चीन ने कहा था कि वह अंतिम लड़ाई के लिए तैयार है। अब चीन ने अपनी एयरलाइन्स को आदेश दिया है कि वे अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग से विमान न खरीदें। इसके साथ ही विमान से जुड़े अन्य उपकरणों और पार्ट्स को खरीदने पर भी रोक लगा दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच टैरिफ वॉर बढ़ता ही जा रहा है।

 

चीन का यह फैसला केवल बोइंग जैसी बड़ी कंपनी के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक एविएशन इंडस्ट्री के लिए झटका है। बोइंग के पास चीन से कई पुराने ऑर्डर थे और ऐसे में यह प्रतिबंध कंपनी के कारोबार पर गंभीर असर डाल सकता है।


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रेसिप्रोकल टैरिफ का नतीजा

जब से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता संभाली है तब से दुनिया की दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आमने सामने हैं। अमेरिका ने चीन के ऊपर टैरिफ को बढ़ाकर 145 प्रतिशत कर दिया है। ट्रंप प्रशासन का कहना था कि चीन अमेरिका से बहुत ज़्यादा सामान निर्यात करता है, लेकिन बदले में बहुत कम आयात करता है। इसी को संतुलित करने के लिए अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले कई सामानों पर भारी-भरकम शुल्क (tariffs) लगाना शुरू कर दिया।

 

ब्लूमबर्ग न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, चीन सरकार ने यह कदम व्यापारिक दबावों और अमेरिकी नीतियों के विरोध में उठाया है। चीन का मानना है कि अमेरिका उसकी कंपनियों पर अनुचित दबाव बना रहा है और तकनीकी क्षेत्र में चीन की तरक्की को रोकने की कोशिश कर रहा है।

 

अमेरिका ने चीन से आने वाले कुछ उत्पादों पर 145% तक का शुल्क  लगा दिया। इसके जवाब में चीन ने भी 125% तक के जवाबी शुल्क लगाए। ये सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा।

 

क्या है टैरिफ वॉर?

टैरिफ वॉर तब शुरू होता है जब दो देश एक-दूसरे के आयातित उत्पादों पर टैक्स बढ़ा देते हैं ताकि स्थानीय उद्योगों को फायदा हो और विदेशी सामान महंगा हो जाए। अमेरिका और चीन के बीच ये टैरिफ वॉर 2018 से चल रहा है। शुरुआत अमेरिका की तरफ से हुई, जब उसने कहा कि चीन उसके इंटेलेक्टुअल प्रॉपर्टी राइट्स का उल्लंघन करता है और अमेरिकी कंपनियों से जबरन तकनीक शेयर करवाता है।

 

इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका से आने वाले सोया, शराब, कारें, टेक्नोलॉजी उपकरण जैसी वस्तुओं पर भारी टैक्स लगा दिया।

 

इसका असर आम लोगों पर

इस टैरिफ वॉर का असर सिर्फ कंपनियों और सरकारों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका सीधा असर आम लोगों पर भी पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, अगर अमेरिका चीन से आने वाले स्मार्टफोन पर टैक्स बढ़ा देता है तो उन फोन की कीमत अमेरिका में बढ़ जाएगी। इसी तरह, अगर चीन बोइंग विमान नहीं खरीदेगा तो विमान किराए महंगे हो सकते हैं।

 

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