कितने गंभीर हैं गौतम अदाणी पर लगे आरोप? समझें कानूनी नजरिए से
दुनिया
• NEW DELHI 22 Nov 2024, (अपडेटेड 22 Nov 2024, 3:03 PM IST)
गौतम अदाणी के पास न्यूयॉर्क की कोर्ट में अपना पक्ष रखने का विकल्प है। पढ़ें इस मुद्दे पर आपके हर 'क्यों' का जवाब, विस्तार से।
अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी (तस्वीर- www.adani.com)
भारतीय उद्योगपति गौतम अदाणी, अमेरिका में एक नए कानूनी मुश्किल का सामना कर रहे हैं। न्यूयॉर्क की एक अदालत में गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अडानी और अन्य 6 लोगों के खिलाफ एक अभियोग पत्र दाखिल हुआ है। गौतम अदाणी के स्वामित्व वाली कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और अजूर पावर ग्लोबल दोनों कंपनियां, अब कानूनी मुश्किलों में फंस गई हैं।
अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सेचेंज कमीशन (SEC) का दावा है कि गौतम अदाणी ने भारत में अपनी अक्षय ऊर्जा कंपनी के लिए 2000 करोड़ से ज्यादा की रिश्वत दी है। आरोप यह भी लगाए गए हैं कि जब एक तरफ गौतम अदाणी ने हजार करोड़ का घूस दिया, दूसरी तरफ अमेरिकी निवेशकों के हितों के साथ खिलवाड़ किया, उन्होंने निवेश आकर्षित करने की कोशिश भी की है।
अब आइए जानते हैं कि इससे गौतम अदाणी के कौन से हित प्रभावित हो सकते हैं, उन पर क्या एक्शन हो सकता है, क्या वे गिरफ्तार होने की ओर जा सकते हैं? इस विषय को जानने और समझने के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विराग गुप्ता से बातचीत की।
ऐसे मामलों में क्या कार्रवाई होती है?
बेनेट यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ लॉ में असिस्टेंट प्रोफेसर दीपक कुमार बताते हैं कि अमेरिका में किसी केस से जुड़ी याचिका को जब अदालत एडमिट कर लेती है, तब एक अभियोग पत्र जारी जारी होता है। अदालती भाषा में इसे Indictment कहते हैं। अमेरिका के संघीय कानूनों कहते हैं कि अगर किसी पर अभियोग पत्र जारी हुआ है तो उसके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी जारी हो जाता है। अब अमेरिका में गौतम अदाणी या तो अपने अधिवक्ता को भेजें या खुद पेश हों। ऐसा करना अनिवार्य है। अमेरिका में उनके हजारों करोड़ रुपये दांव पर लगे हैं तो ऐसे में वे अमेरिकी अदालत के इस फरमान को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
गौतम अदाणी के अभियोग पत्र का मतलब क्या?
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विराग गुप्ता से जब खबरगांव ने इस केस को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'अभियोग एक औपचारिक कानूनी आरोप है जिसे एक जूरी लगाती है। इसका मतलब यह नहीं है कि आरोपी दोषी है, बल्कि यह प्रमाण है कि आरोप लगाने के लिए अभियोजन पक्ष के पास कुछ सबूत मौजूद हैं। गौतम अदाणी केस में अभियोजकों ने एक ग्रैंड जूरी के सामने कुछ सबूत दिए हैं। ग्रैंड जूरी ने गौतम अदाणी पर लगे आरोपों को निराधार नहीं कहा है।'
क्या पावर है अमेरिकन कोर्ट की?
दीपक कुमार बताते हैं कि अमेरिका की न्याय व्यवस्था, किसी को संवैधानिक इम्युनिटी नहीं देती है। डोनाल्ड ट्रम्प पर जब जब आरोप लगे थे तो उन्हें खुद पेश होना पड़ा था, जबकि वे पूर्व राष्ट्रपति थे। अगर गौतम अदाणी पर ये अभियोग पत्र लगे हैं तो उन्हें अपना पक्ष रखना होगा। अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी FBI और सिक्योरिटी एक्सचेंज कमीशन ने जांच के बाद फेडरल अटॉर्नी को सबूत दिए हैं। अब यह अदालत के विवेक पर है कि वह इन आरोपों को सही ठहराता है या नहीं।
क्या गौतम अदाणी गिरफ्तार होंगे, भारत प्रत्यर्पित करेगा?
प्रोफेसर दीपक बताते हैं कि अमेरिकी अदालत में गौतम अदाणी के खिलाफ सिर्फ अभियोग पत्र तैयार हुआ है। इसका यह एकदम अर्थ नहीं है कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा, वे दोषी हैं। अगर वे दोषी भी होते तो उन्हें हायर कोर्ट में अपील करने की मोहलत दी जाती। गौतम अदाणी, दोषी नहीं हैं। यह अदालत तय करेगी कि जिन सबूतों के आधार पर अमेरिकी अधिकारी उन्हें दोषी मान रहे हैं, उनमें कुछ सच है या नहीं।
बेनेट यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ लॉ में असिस्टेंट प्रोफेसर दीपक कुमार बताते हैं कि सिर्फ आरोप लगाने भर से किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। आरोप किसी के खिलाफ भी लग सकते हैं, अगर ऐसे प्रत्यर्पण होने लगें तो कई लोग ऐसे ट्रायल के मामले में जेल की सलाखों में रहें। अडानी सिर्फ आरोपी हैं, दोष साबित नहीं हुआ है। प्रत्यर्पण अभी बहुत दूर की प्रक्रिया है, हो सकता है वे दोष मुक्त हो जाएं, इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
अमेरिका में शिकायत करना क्यों बनी मजबूरी?
दीपक कुमार बताते हैं कि जहां अपराध होता है, मुकदमा भी वहीं होता है। यह सामान्य कानूनी प्रक्रिया है। अमेरिका में मौजूद भारतीय अधिकारियों को घूस देने, अमेरिकी व्यापारिक नीतियों को तोड़ने, अमेरिकी हितों को प्रभावित करने के आरोप गौतम अदाणी पर लगे हैं। आरोप ये भी हैं कि रिश्वत के जरिए निवेशकों के हित प्रभावित किए गए हैं। ऐसे में यह अपराध है।
दो दिन पहले, न्यूयॉर्क के ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी, ब्रायन पीस ने कहा था कि गौतम एस अडानी, सागर आर अडानी और विनीत एस जैन ने रिश्वत के बारे में झूठ बोला है। वे अमेरिकी और वैश्विक निवेशकों से निवेश कराने की कोशिश कर रहे थे। यह अमेरिकी निवेशकों की संपत्ति को दांव पर लगाने जैसा है। ये आपराधिक कोशिश है। अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन, दुनिया में भी कहीं होगा तो उन पर केस अमेरिका में जरूर चलेगा। FBI के असिस्टेंट डायरेक्टर जेम्स डेनेही भी यही मानते हैं, ऐसे में केस का अमेरिका में चलना स्वाभाविक है।
अब तक बड़े भारतीय लोगों पर विदेश में चल रहें मुकदमों में क्या हुआ?
दीपक कुमार बताते हैं कि दुनिया के अलग-अलग देशों में, भारत में भी आर्थिक अपराध के आरोपियों पर मुकदमे चले हैं। विजय माल्या, नीरव मोदी, ललित मोदी जैसे कई नाम हैं, जिन्हें आर्थिक अपराध का आरोपी माना गया है लेकिन वे आजाद घूम रहे हैं। वजह ये है कि जब तक आरोपी को अदालत दोषी न ठहरा दे, उसके सारे कानूनी विकल्प समाप्त न हो जाएं, राष्ट्रपति या वहां के राष्ट्राध्यक्ष क्षमादान करने से इनकार न कर दें, तब तक किसी को सिर्फ आरोप के आधार पर गिरफ्तार कर, उसके मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया जाता है।
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