बंदूकबाज अमेरिका... सेना से ज्यादा अमेरिकियों के पास बंदूक क्यों?
अमेरिका दुनिया का ऐसा देश है, जहां सेना और पुलिस से भी ज्यादा बंदूकें लोगों के पास हैं। यहां हर 100 लोगों पर 121 बंदूकें हैं।

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अगर आप अमेरिका में हैं तो हो सकता है कि आपको सब्जी-भाजी या रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए ज्यादा मोलभाव करना पड़े, लेकिन बंदूक खरीदने में ज्यादा मगचमारी नहीं करनी पड़ेगी। अमेरिका शायद दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जहां आबादी से ज्यादा बंदूक हैं। एक और चौंकाने वाली बात ये है कि सेना और पुलिस के पास इतनी बंदूकें नहीं हैं, जितनी यहां के लोगों के पास है।
ये सारी बातें इसलिए क्योंकि साल के पहले ही दिन अमेरिका में मास शूटिंग हुई। ये मास शूटिंग न्यूयॉर्क के एक नाइट क्लब में हुई। नाइट क्लब में जब गोलीबारी हुई, तब यहां 80 से ज्यादा लोग थे। बताया जा रहा है कि कम से कम 11 लोगों को गोली लगी। पुलिस ने बताया कि गोलीबारी की इस घटना में घायलों की हालत स्थिर है और किसी के भी मारे जाने की खबर नहीं है।
हर साल बढ़ रही मास शूटिंग की घटनाएं
अमेरिका में साल दर साल मास शूटिंग की घटनाएं बढ़ती जा रहीं हैं। मास शूटिंग किसे कहा जाएगा? इसे लेकर कोई परिभाषा नहीं हैं। निजी संस्थाएं मास शूटिंग को लेकर अलग-अलग तरह के आंकड़े जारी करती हैं। जांच एजेंसी FBI और निजी एजेंसियों के आंकड़ों में जमीन-आसमान का अंतर होता है।
FBI मास शूटिंग की बजाय 'एक्टिव शूटर इंसीडेंट' लिखता है। इसके मुताबिक, आबादी वाले इलाके में लोगों को मारना या मारने की कोशिश करना एक्टिव शूटर इंसीडेंट होता है।
FBI की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में अमेरिका में एक्टिव शूटिंग की 48 घटनाएं हुई थीं। इन घटनाओं में 105 लोग मारे गए थे, जबकि 139 लोग घायल हुए थे। 2022 में 50 घटनाओं में 100 लोगों की मौत हुई थी और 213 लोग घायल हुए थे। FBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 2023 में गोलीबारी की घटनाओं को अंजाम देने वालों में 48 पुरुष और 1 महिला शामिल थी। इनमें से 7 हमलावरों ने मौके पर ही खुद को गोली मार ली थी। 12 को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। जबकि, 30 हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

सेना-पुलिस से ज्यादा बंदूकें लोगों के पास
अमेरिका की आबादी 34 करोड़ के आसपास है, लेकिन यहां लगभग 40 करोड़ बंदूकें हैं। बंदूकों का ये आंकड़ा भी 2018 का है। जाहिर है कि ये बढ़ा होगा। 2018 में स्मॉल आर्म्स सर्वे ने रिपोर्ट जारी की थी। ये आंकड़ा वहीं से लिया गया है।
स्मॉल आर्म्स का सर्वे बताता है कि दुनियाभर में लगभग 86 करोड़ बंदूकें हैं। इनमें से 39.33 करोड़ बंदूकें अकेले अमेरिकियों के पास थीं। इसका मतलब हुआ कि दुनियाभर में आम नागरिकों के पास जितनी बंदूकें थीं, उनमें से 46 फीसदी बंदूकें अमेरिकियों के हाथ में थीं। इस सर्वे से ये भी पता चलता है कि अमेरिका में हर 100 लोगों पर 121 बंदूकें हैं। दूसरे नंबर पर यमन है, जहां हर 100 लोगों पर 53 बंदूकें हैं।
इसी सर्वे में एक चौंकाने वाली बात ये भी सामने आई थी कि जितनी बंदूकें सेना और पुलिस के पास नहीं है, उससे ज्यादा तो आम लोगों के पास हैं। सर्वे के मुताबिक, सेना के पास तकरीबन 45 लाख और पुलिस के पास 10 लाख बंदूकें थीं। यानी, अमेरिकियों के पास अमेरिकी सेना से 188 गुना और पुलिस से 842 गुना बंदूकें ज्यादा थीं।

अमेरिका में बंदूक खरीदना कितना आसान?
अमेरिका में बंदूक खरीदना उतना ही आसान है, जितना सब्जी-भाजी खरीदना। पिछले साल Pew Research ने एक सर्वे किया था। इस सर्वे में सामने आया था कि 18 साल से ऊपर के हर 10 में से 4 अमेरिकी ऐसे हैं, जिनके परिवार में बंदूक है। इनमें से 32 फीसदी के पास अपनी खुद की बंदूक थी।
सर्वे के मुताबिक, हर 10 में से 7 अमेरिकियों ने अपनी आत्मरक्षा के लिए बंदूक खरीदी थी। जबकि, बाकी लोगों ने शिकार, स्पोर्ट्स शूटिंग या फिर अपनी जॉब की वजह से बंदूक खरीदी थी।
इस सर्वे में शामिल 61% अमेरिकियों ने कहा था कि अमेरिका में कानूनी रूप से गन लेना बहुत आसान है। जबकि, 30% अमेरिकियों ने गन खरीदने को अपना अधिकार बताया था। सिर्फ 9% ही ऐसे थे जिनका कहना था कि गन खरीदना मुश्किल होता है।
ये सब तब है जब अमेरिका में हर साल बंदूकों की वजह से हजारों मौतें हो जाती हैं। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में गोली लगने से 48,830 अमेरिकियों की मौत हुई थी। इनमें से 26,328 मौतें आत्महत्या थीं। यानी लोगों ने खुद को गोली मार ली थी। जबकि, लगभग 21 हजार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
मगर ऐसा क्यों?
अमेरिका के संविधान के दूसरे संशोधन में ही 18 साल से ऊपर के अमेरिकियों को बंदूक रखने का अधिकार मिल गया था। बशर्ते वो मानसिक रूप से बीमार न हो और पेशेवर अपराधी न हो।
1791 में जब संविधान में संशोधन किया गया था, उसके बाद ही लोगों को बंदूक रखने का अधिकार मिल गया था। इसका मकसद था लोकतंत्र को बचाए रखना। ऐसा कहा जाता है कि उस समय कहा गया था कि अगर सरकार अत्याचार करे तो हथियार उठा लें और लोकतंत्र को बचाएं। संशोधन में कहा गया था कि स्वाधीनता बनाए रखने के लिए हमेशा संगठित लड़ाकों की जरूरत होती है।
अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन ने एक बार कहा था कि अमेरिकी नागरिक को आत्मरक्षा और उत्पीड़न से बचाए रखने के लिए बंदूक जरूरी है। इसलिए जब भी बंदूक कानून को सख्त बनाने की बात होती है तो इसे संविधान पर हमले से जोड़ दिया जाता है।
हालांकि, Pew Research का सर्वे बताता है कि आधे से ज्यादा अमेरिकियों का मानना है कि बंदूकों की संख्या बढ़ना समाज के लिए खतरा है। 49 फीसदी अमेरिकी गन वॉयलेंस को समाज की सबसे बड़ी समस्या के तौर पर देखते हैं।
एक तरफ अमेरिका में मास शूटिंग और गोलीबारी की घटना बढ़ रही है। बंदूक को लेकर कानून सख्त बनाने की बात हो रही है। दूसरी तरफ बंदूक को लेकर नियमों में और ढील बरती जा रही है। उदाहरण के लिए 2021 में टेक्सास ने लोगों को बिना लाइसेंस या ट्रेनिंग के हैंडगन ले जाने की इजाजत दे दी थी। इसी तरह 2022 में जॉर्जिया ने अपने नागरिकों को बिना परमिट के हथियार या बंदूक ले जाने का अधिकार दे दिया था।
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