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पाकिस्तान की जेल में मरे भारतीय कैदियों का शव भारत कैसे लाया जाता है?

पाकिस्तान के कराची जेल में कई भारतीय मछुआरे कैद हैं। ऐसे में जब भारतीय कैदी की मौत हो जाती है तो उसके शव को भारत कैसे पहुंचाने की प्रक्रिया क्या है? आइये समझें

Indian prisoner who died in Pakistan

भारतीय मछुआरा, Photo Credit; freepik

पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय मछुआरे बाबू की गुरुवार को मौत हो गई। 2022 में पाकिस्तानी अधिकारियों ने बाबू को गिरफ्तार किया था। बाबू ने अपनी सजा भी पूरी कर ली थी लेकिन उसके बावजूद पाकिस्तानी अधिकारियों ने उसे रिहा नहीं किया। हैरानी होगी जानकार लेकिन पिछले 2 सालों में 8 भारतीय मछुआरे की मौत पाकिस्तान में हो चुकी है।

 

1 जनवरी 2025 को पाकिस्तान ने अपनी हिरासत में मौजूद कैदियों और मछुआरों के नाम शेयर किए जिसके मुताबिक, वर्तमान में पाकिस्तान की जेल में 49 कैदी और 217 मछुआरे हैं, जो भारतीय हैं या जिनके बारे में माना जाता है कि वे भारतीय हैं। 

 

इसी तरह भारत ने भी अपनी हिरासत में बंद पाकिस्तानी कैदियों और मछुआरों के नाम साझा किए जिसमें 381 कैदी और 81 मछुआरे हैं, जो पाकिस्तानी हैं या पाकिस्तानी माने जाते हैं। कॉन्सुलर एक्सेस 2008 पर द्विपक्षीय समझौते के प्रावधानों के तहत, ऐसी सूचियों का आदान-प्रदान हर साल 1 जनवरी और 1 जुलाई को किया जाता है। 

 

2023 से अब तक कितने भारतीय हुए रिहा?

भारत सरकार की कोशिशों के बाद, 2014 से 2,639 भारतीय मछुआरों और 71 कैदियों को पाकिस्तान से वापस लाया गया है। इसमें 478 भारतीय मछुआरे और 13 नागरिक कैदी शामिल हैं, जिन्हें 2023 से अब तक पाकिस्तान से वापस लाया गया है। हालांकि, भारतीय मछुआरे बाबू की मौत के बाद यह सवाल खड़ा होता है कि अपनी सजा पूरी करने का बावजूद पाकिस्तानी अधिकारियों ने उसे रिहा क्यों नहीं किया? 

 

पाकिस्तान से शव आने में लग जाते है 1 महीने?

कॉन्सुलर एक्सेस 2008 पर समझौते की धारा 5 के मुताबिक, दोनों देशों की सरकारों को राष्ट्रीय स्थिति की पुष्टी और सजा पूरी होनी के एक महीने के अंदर कैदियों को रिहा करके उनके देश वापस भेजना होता है लेकिन पाकिस्तान ने कई बार यह समझौता तोड़ा है। बाबू का यह पहला ऐसा मामला नहीं है। इससे पहले 25 अक्टूबर, 2024 को भी एक भारतीय मछुआरे हरिभाई सोसा की पाकिस्तान की जेल में मौत हो गई थी।

 

पाकिस्तान ने लगभग एक महीने बाद नवंबर में हरिभाई का शव भारत का सौंपा था। अब बाबू की मौत के बाद सवाल खड़े हो रहे है कि क्या उसके शव को भी भारत आने में एक महीने लग जाएंगे? आखिर इतना समय कैसे लग जाता है? अगर पाकिस्तान की जेल में किसी भारतीय कैदी की मौत हो जाती है तो उसके शव को कौन सी प्रक्रिया के तहत भारत पहुंचाया जाता है? आइये समझें:

 

शव को भारत लाने की कैसी होती है प्रक्रिया?

पाकिस्तान की जेल में किसी भारतीय कैदी की मौत हो जाने पर, शव को भारत लाने की प्रक्रिया कूटनीतिक और कानूनी प्रक्रियाओं के तहत पूरी की जाती है। इस प्रक्रिया में दोनों देशों की सरकारों, दूतावासों, और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन किया जाता है। स्टेप बाय स्टेप समझिए कैसे होती है प्रक्रिया?

 

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इन 6 प्रक्रियाओं के तहत शव पहुंचता है भारत

मौत की सूचना और पुष्टि

पाकिस्तान की जेल प्रशासन भारतीय उच्चायोग को कैदी की मौत की सूचना देता है। इसके बाद भारतीय उच्चायोग इस सूचना को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और संबंधित कैदी के परिवार को पहुंचाता है। फिर मौत के कारण की पुष्टि के लिए पोस्टमार्टम कराया जाता है और रिपोर्ट तैयार की जाती है।

 

मृतक का डॉक्यूमेंटेशन और सर्टिफिकेट

पाकिस्तान की सरकार मृतक का डेथ सर्टिफिकेट जारी करती है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट भारत और संबधित परिवार को शेयर की जाती है। इसके बाद मृतक की पहचान सुनिश्चित करने के लिए जेल के रिकॉर्ड और भारतीय दूतावास के डॉक्यूमेंट का मिलान किया जाता है। 

 

शव की वापसी के लिए अनुमति

इसके बाद भारतीय दूतावास पाकिस्तान की सरकार से शव को भारत भेजने की अनुमति मांगता है। बता दें कि शव को भारत भेजने की प्रक्रिया के लिए पाकिस्तान के गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और सीमा शुल्क विभाग की अनुमति आवश्यक होती है।

 

परिवहन की व्यवस्था

जानकारी के लिए बता दें कि शव को आमतौर पर वाघा-अटारी बॉर्डर के माध्यम से भारत भेजा जाता है। हालांकि, अगर बॉर्डर के माध्यम से शव भेजना संभव न हो, तो उसे हवाई मार्ग से भेजा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान शव को एक सीलबंद बॉक्स में रखा जाता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यात्रा के दौरान कोई समस्या न हो।

 

भारत में शव का पहुंचना

जब शव बॉर्डर पर पहुंचता है तो भारतीय अधिकारी और स्थानीय प्रशासन उसे प्राप्त करती हैं। इसके बाद कैदी के परिवार को सूचना दी जाती है और शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। अगर परिवार शव को अपने गांव/होमटाउन ले जाना चाहता है, तो स्थानीय पुलिस या प्रशासन इसमें पूरी मदद करती है। 

 

मानवाधिकार संगठनों की भूमिका

अगर कैदी की मौत किसी विवादास्पद परिस्थिति में हुई हो, तो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन या भारत में मानवाधिकार आयोग इस पर जांच की मांग कर सकते हैं। बता दें कि भारत सरकार अक्सर पाकिस्तान से निष्पक्ष जांच और न्याय सुनिश्चित करने की मांग करती आई है। 

 

अमानवीय व्यवहार और प्रताड़ना पर क्या कर सकती है भारत?

बता दें कि भारत सरकार, पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ कैदी की मौत के कारण पर स्पष्टीकरण मांग सकती है। अगर मौत अमानवीय व्यवहार, प्रताड़ना या मेडिकल ट्रीटमेंट में कमी के कारण हुई हो, तो भारत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठा सकता है।

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