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कैसे टूटने से बच गया था पेरिस का एफिल टावर? लोगों ने कर दिया था खारिज

पेरिस गए और एफिल टावर के सामने शाहरुख स्टाइल में अपने पार्टनर के साथ अगर पोज न दिया तो क्या किया। जिस एफिल टावर के सामने प्यार की कसमें खाते हैं, उसके बनने की कहानी क्या है।

Famous Eiffel Tower of Paris

पेरिस का मशहूर एफिल टावर, Image Credit: Tour Eiffel

पेरिस का जिक्र हो और एफिल टावर का ख्याल इंसान को न आए, ऐसा हो नहीं सकता है। यह पेरिस की महान विरासत का ऐसा हिस्सा है, जिसकी वजह से ये देश दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गया है। प्रेमी जोड़ों को ये जगह बेहद पसंद आथी है। गुस्ताव एफिल ने साल 1989 में इस इमारत को बनाया था, तब वे खुद भी नहीं जानते थे कि ये संरचना दशकों तक बरकरार रहेगी और फिल्मों की शूटिंग बिना इस टावर के पूरी नहीं हो पाएगी। प्रेमियों के लिए ये बेहद पसंदीदा जगह है लेकिन क्या आपको इस टावर का इतिहास पता है। अगर नहीं तो पहले इसे जान लेते हैं।

गुस्ताव एफिल ने इसका डिजाइन बर्सिलोना में पेश किया तो लोगों ने कहा कि यह शहर की खूबसूरत विरासत को रौंद देगा। इसकी कोई जरूरत ही नहीं है। बीच शहर में लोहे का टावर बनाने की ऐसी क्या जरूरत है। इस टावर के खिलाफ उस वक्त के करीब 300 बुद्धिजीवियों ने स्थानीय प्रशासन को खत लिखा और कहा कि इसका निर्माण नहीं होना चाहिए। 

 

क्यों बना था एफिल टावर?

कभी सोचा है कि ये आखिर बना क्यों था। इस टावर को साल 1889 एक्सपोजिशन यूनिवर्सेल के आयोजकों ने बनवाने का प्लान तैयार किया था। इसे बैस्टिल के पतन और फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत के प्रतीक के रूप में बनाया गया था। जब फ्रांसीसी क्रांति 100 साल की हुई तो इसके प्रतीक में यह टावर तैयार किया गया। शुरुआत में इस जगह पर अलग-अलग कलाकृतियों के लिए 107 प्रस्ताव भेजे गए लेकिन मंजूरी स्टीफन सॉवेस्ट्रे, मैरिस कोचलिन और एमिल नूगियर के प्रोजेक्ट को मिले। 

 

दुनिया का सबसे ऊंचा बिलबोर्ड था एफिल टावर

एफिल टावर जब बनकर तैयार हुआ तो यह सबसे ऊंची संरचना थी। इसकी लंबाई 986 फीट ऊंची थी। मतलब इससे लंबी मानवनिर्मित चीज कुछ भी नहीं थी। एफिल टावर का इस्तेमाल, कभी बिलबोर्ड की तरह होने लगा था। साल 1925 से 1936 के बीच पेरिस में टावर विज्ञापनों का सेंटर बन गया था। यहां 25 लाख रंगीन बल्ब लगाकर एक ऑटोमोबाइल कंपनी सिट्रोएन के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया जाता था। विज्ञापन 20 मील दूर से नजर आता था। 

 

बुद्धिजीवियों को रास नहीं थी ये कलाकृति

आज जिस ढांचे पर दुनिया प्यार लुटाती है, जिसके सामने रोमांस के लिए लोग तरसते हैं, उसे दानवाकार संरचरना कहकर लोगों ने खारिज कर दिया था। पेरिस के बुद्धिजीवियों का मानना था कि यह चिमनी और ईंट भट्टों जैसा है। ऐसी संरचना तो पूंजीवादी देश अमेरिका को भी नहीं पसंद होगा। 

 

20 साल बाद ही टूटने वाली थी ये संरचना

एफिल ने ही इस संरचना को बनाने का खर्च 80 फीसदी तक वहन किया था। शुरुआत में इसे तोड़ने के लिए आंदोलन चला था। यह माना गया कि बनने के 20 साल बाद ही इसे तोड़ दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एफिल ने टावर बचाने के लिए एक एंटीना लगा दिया और 1898 में शुरू हुए वायरलेस टेलीग्राफी के लिए इसे प्रयोगशाला बना दिया। यह टावर रेडियो सेंटर बन गया और अब तक बचा हुआ है। 


प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांसीसी सेना ने बर्लिन से दुश्मनों के संदेश को रोकने के लिए टावर के वायरलेस स्टेशन का इस्तेमाल किया। 1914 में फ्रांसीसी सेना ने कई जासूसों को अपने रेडियो स्टेशन की मदद से पकड़ लिया। उन्हें विरोधी सेना के बारे में इस टावर के जरिए वायरलेस संदेशों से ही जानकारी मिल जाती थी। 

 

एफिल टावर अपने आप में वैज्ञानिक प्रयोगशाला बन गई थी। इसकी पहली मंडिल पर 72 वैज्ञानिकों के नाम मिल जाएंगे। फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने यहां से खगोल, मौसम और भौतिकी के कई प्रयोग किए। यहां राइट ब्रदर्स ने हवाई जहाज और पोर्श ऑटोमोबाइल से जुड़े कई प्रयोग किए।

 

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