• BERLIN 17 Dec 2024, (अपडेटेड 17 Dec 2024, 10:48 AM IST)
ओलाफ स्कोल्ज़ विश्वासमत की परीक्षा में फेल हुए हैं। उनकी सरकार गिर गई है। अब वहां 60 दिनों के भीतर चुनाव कराने होंगे।
जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की सरकार गिर गई है। (तस्वीर- फेसबुक, ओलाफ स्कोल्ज़)
जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने जर्मन संसद में विश्वास मत खो दिया है। उनकी गठबंधन सरकार गिर गई है। अब समय से पहले ही मध्यावधि चुनाव होने की राह साफ हो गई है। जर्मन चांसलर ने संसद में विश्वास मत पर वोटिंग कराई, जिसके बाद उनकी सरकार गिर गई। अब एक बार जर्मनी में चुनाव होंगे।
जर्मन चांसलर ने संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग से अपील की थी कि अविश्वास प्रस्ताव में उनका साथ न दिया जाए, जिससे उनकी सरकार गिर जाए और चुनावों को नए सिरे से कराने की राह साफ हो। ओलाफ स्कोल्ज़ अब राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टीनमीयर से संसद भंग करने की अपील करेंगे।
राष्ट्रपति फ्रैंक वाल्टर स्टीनमीयर से ओलाफ स्कोल्ज़ संसद भंग करने औरऔपचारिक रूप से चुनाव कराने की अपील करेंगे। जर्मनी में अब 60 दिनों के भीतर चुनाव कराने होंगे। 23 फरवरी से पहले चुनाव होना अब अनिवार्य होगा। ओलाफ को अविश्वास प्रस्ताव के दौरान अपने मकसद में सफल होने के लिए सिर्फ 367 मतों की जरूरत थी, कुल 394 सांसदों ने वोट कर दिया, जिसके बाद उनकी सरकार गिर गई। 207 वोट पड़े थे, 116 सांसद अनुपस्थित थे।
ओलाफ शोल्ज़ ने चैंबर में कहा, 'मैं चाहता हूं कि संघीय चुनाव हों। यह हमारे देश पर भरोसा रखने और हमारे भविष्य को जोखिम में न डालने के बारे में है। जर्मनी के सबसे अच्छे दिन अभी आने वाले हैं।'
कैसे कमजोर हो गए ओलाफ शोल्ज़? ओलाफ शोल्ज़ की सरकार तीन सहयोगी दलों की मदद से बनी थी। प्रो बिजनेस फ्री डेमोक्रेट्स (FDP) ने लोन मैनेजमेंट पर असहमति की वजह से वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर की बर्खास्तगी से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया था। जर्मनी में इस अहम सहयोगी दल के रूठने की वजह से ग्रीन्स की सरकार अल्पमत में चली गई। जर्मनी अपने खराब आर्थिक दौर से गुजर रही है। अभी वहां राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर है। शोल्ज नए प्रशासन के गठन तक सरकार के प्रमुख बने रहेंगे।
जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़। (तस्वीर- फेसबुक, ओलाफ स्कोल्ज़)
जर्मनी के सामने चुनौतियां क्या हैं? द गार्जियन टाइम्स की एक रिपोर्ट की मानें जर्मनी के सामने बड़ी आर्थिक चुनौतियां हैं। जर्मनी में शरणार्थी संकट भी सरकार के सामने है। सीरिया से भागकर लोग यहां पहुंचे हैं। उन्हें वापस लौटाने को लेकर कवायद शुरू है, स्थानीय चुनौतियां इन शरणार्थियों की वजह से बढ़ गई हैं। ओलाफ मानते हैं कि अब बशर अल असद का साम्राज्य ढह गया है तो शरणार्थी लौट जाएं। जर्मनी में टैक्स का बढ़ता बोझ, मध्यम वर्ग की सिमटती कमाई और बेघर लोगों के लिए पुनर्वास भी एक बड़ी समस्या है। यहां मिडिल क्लास ज्यादा परेशान नजर आती है।