• KUWAIT CITY 23 Dec 2024, (अपडेटेड 23 Dec 2024, 7:26 AM IST)
भारत और कुवैत ने साथ मिलकर दोहराया है कि किसी भी रूप में आतंकवाद दुनिया के लिए खतरा है, इसे मिलकर खत्म करने की जरूरत है। आतंक के खिलाफ बड़े एक्शन प्लान की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुवैत दौरे को ऐतिहासिक बताया है। (इमेज क्रेडिट- PMO)
भारत और कुवैत के संबंध दशकों बाद एक नई दिशा की ओर जाते नजर आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा स्तर पर एक अहम समझौता हुआ है। दोनों देशों ने निवेश को लेकर सहमति जताई है, अब कूटनीतिक तौर पर दोनों देशों के संबंध और मजबूत हुए हैं। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के बीच हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमीर शेख मेशाल के अलावा वहां के प्रधानमंत्री अहमद अब्दुल्ला अल-अहमद अल-सबा और क्राउन प्रिंस सबा अल-खालिद अल-हमद अल-मुबारक अल-सबा के साथ भी बातचीत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दो दिवसीय यात्रा को ऐतिहासिक बताया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने X पर लिखा, 'यह यात्रा ऐतिहासिक थी और इससे हमारे द्विपक्षीय संबंध काफी मजबूत होंगे।'
شكرًا للكويت! كانت هذه الزيارة تاريخية وستعزز بشكل كبير علاقاتنا الثنائية. أشكر حكومة وشعب الكويت على حفاوة الاستقبال. كما أشكر رئيس وزراء الكويت على اللفتة الخاصة المتمثلة في القدوم إلى المطار لتوديعنا. pic.twitter.com/0XOKh5M2pE
प्रोटोकॉल तोड़कर पीएम को दी गई विदाई कुवैत के प्रधानमंत्री, पीएम मोदी को एयरपोर्ट पर प्रोटोकॉल तोड़कर विदा करने आए। कुवैत ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया है कि जल्द से जल्द द्विपक्षीय निवेश संधि आगे बढ़े। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, ईंधन, रिफाइनिंग और इंजीनियरिंग को लेकर कई अहम समझौते हुए हैं।
कुवैत दौरे से भारत को क्या मिला? कुवैत और भारत के बीच उर्जा सहयोग पर सहमति बनी है। दोनों देशों ने तेल कंपनियों, गैस रिफाइनिंग और इंजीनियरिंग सेवाओं को बढ़ाने पर जोर दिया है। पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री को इस दौरे से अतिरिक्त लाभ मिल सकता है।
दोनों देशों के बीच डिफेंस को लेकर मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) साइन हुआ है। ऐसे कुल 4 दस्तावेजों पर द्विपक्षीय हस्ताक्षर हुए हैं। खेल, संस्कृति और सौर ऊर्जा के क्षेत्रों में भी दोनों देशों के बीच अहम समझौते हुए हैं।
भारत को फायदा क्या होगा? -विदेश मंत्रालय में सचिव अरुण कुमार चटर्जी ने कहा कि रक्षा संबंधी MoU रक्षा उद्योग, रक्षा उपकरणों की आपूर्ति, संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण, कर्मियों और विशेषज्ञों के लिए हुआ है। इस समझौते से रिसर्च और डेवलेपमेंट सेक्टर में मदद मिलेगी।
-रक्षा समझौते से तटीय रक्षा, समुद्री सुरक्षा और रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास और उत्पादन में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- दोनों देश आतंकवाद पर खूफिया जानकारियां साझा करेंगे, जिससे आतंक पर लगाम लगेगी.
- व्यापार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रौद्योगिकी के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा।
कुवैत के विजन 2035 में भारत का क्या रोल होगा? कुवैत के विजन 2035 में भारत भी एक अहम भागीदार होगा। कुवैत के अमीर ने यह उम्मीद जताई है। पीएम ने उन्हें भारत आने का न्योता दिया है।
क्यों कुवैत दौरा जरूरी था? कुवैत भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। दोनों देशों के बीच वित्त वर्ष 2023-24 में 10.47 अरब अमेरिकी डॉलर की खरीद-बिक्री हुई है। कुवैत, भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो देश की ऊर्जा जरूरतों को 3 प्रतिशत तक पूरा करता है। भारतीय निर्यात कुवैत में पहली बार दो अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जबकि भारत में कुवैत इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी का निवेश 10 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा है। साल 1981 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुवैत गई थीं। भारतीय समुदाय कुवैत में बड़ी संख्या में रहता है।