भारत और कनाडा के बीच संबंध बीते कुछ वर्षों से बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं। जिन पंचशील सिद्धांतों में भारत भरोसा करता है, कनाडा का मानना है कि उसी को नरेंद्र मोदी सरकार ने तोड़ दिया है। कनाडाई सरकार का आरोप है कि जिन खालिस्तानी अलगाववादियों की हत्या कनाडाई जमीन पर हुई है, उनकी भूमिका, गृहमंत्री अमित शाह ने रची है। जस्टिन ट्रूडो की सरकार के आरोपों पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है और कनाडाई उच्चायोग को तलब किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हमने कनाडाई उच्चायोग के प्रतिनिधि को तलब किया। 29 अक्टूबर 2024 को ओटावा में सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर स्थाई समिति के एक्शन संदर्भ में एक राजनयिक नोट सौंपा गया था। नोट में यह बताया गया है कि भारत सरकार डेविड मॉरिसन की समिति के सामने गृहमंत्री के बारे में किए गए बेतुके और निराधार संदर्भों का कड़े शब्दों में विरोध करती है। ऐसे गैरजिम्मेदार हरकतों की वजह से द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा।'
क्या हैं कनाडा के आरोप?
कनाडा का आरोप है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की वजह से कनाडा में सिख अलगाववादियों को निशाना बनाया गया। कनाडा के डिप्टी विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने अपने संसदीय पैनल को बताया था कि अमित शाह इन साजिशों के पीछे थे।
कैसे डिरेल हो गए कनाडा-भारत के संबंध?
कनाडा अब खुलकर खालिस्तानियों के लिए सबसे सुरक्षित जमीन बन गई है। वे वहां से भारत विरोधी गतिविधियां खुलेआम की जा रही हैं। बीते साल जून में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद ही भारत-कनाडा के द्विपक्षीय संबंध लड़खड़ाने लगे थे। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि हत्या की साजिश में भारत शामिल था।
जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि भारतीय एजेंट्स इस हत्या में शामिल हैं। बीते महीने कनाडा से भारत ने अपने हाई कमिश्नर संजय वर्मा को वापस बुला लिया था। कनाडा ने उन्हें 'पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट' माना था। भारत ने उन्हें वापस बुलाया और 6 कनाडाई राजनायिकों को भी वापस भेज दिया।