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कैदी भी दे सकते हैं वोट, कनाडा चुनाव से जुड़े 5 यूनीक फैक्ट्स

कनाडा में 28 अप्रैल को चुनाव होने वाले हैं। खबरगांव आपको बता रहा है इस चुनाव से जुड़े कुछ ऐसे फैक्ट्स जो कि अपने आपमें काफी यूनीक हैं। 

Representational Image : Photo Credit: AI Generated

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: AI Generated

28 अप्रैल 2025 को कनाडा अपने 45वें संघीय चुनाव के लिए तैयार है, और इस बार का माहौल बिल्कुल अलग है। डोनाल्ड ट्रंप और उनकी नीतियों से लेकर मार्क कार्नी का सुर्खियों में रहना, सभी चीजों ने इस चुनाव ने न केवल कनाडाइयों, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है, लेकिन कनाडा के चुनाव की कुछ ऐसी खास बातें हैं जो बाकी दुनिया के देशों से काफी अलग हैं।

 

कनाडा में कुल 4 करोड़ 10 लाख की जनसंख्या है जिसमें से 2.82 करोड़ वोटर्स हैं। हालांकि, इस बार के एडवॉन्स वोटिंग में करीब 7.3 मिलियन लोगों ने हिस्सा लिया, जो 2021 की तुलना में 25% अधिक है। यह आंकड़ा बताता है कि कनाडाई अपने लोकतंत्र को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं।

 

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अब आपको बताते हैं कि कनाडा के चुनावों में क्या ऐसी खास बात है जो बाकी दुनिया के चुनावों में देखने को नहीं मिलती-

 

1. कैदियों का वोटिंग अधिकार

कनाडा में कैदियों को भी वोट देने का अधिकार है। यहां जेल में बंद कैदियों को भी वोट डालने का अधिकार है। चाहे वह छोटा अपराधी हो या कट्टर अपराधी, कनाडाई चार्टर ऑफ राइट्स एंड फ्रीडम्स के तहत हर नागरिक को यह हक मिला है। 

 

2002 में सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिकार को और मजबूत किया, जब उसने कैदियों के वोटिंग अधिकार पर लगी पाबंदियों को असंवैधानिक करार दिया। इस बार के चुनाव में भी जेलों में विशेष मतदान केंद्र बनाए गए हैं, ताकि कैदी अपनी पसंद की सरकार चुन सकें। 

 

वहीं अगर भारत की बात करें तो भारत में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के तहत, कोई भी व्यक्ति जो जेल में बंद है, चाहे वह सजायाफ्ता हो, अंडरट्रायल हो, या पुलिस हिरासत में हो, उसे किसी भी चुनाव में वोट देने की अनुमति नहीं है। हालांकि, इस धारा में एक अपवाद है कि निवारक नजरबंदी (Preventive Detention) में रहने वाले व्यक्ति डाक मतपत्र (Postal Ballot) के माध्यम से वोट डाल सकते हैं।

 

2. प्रधानमंत्री का सांसद होना जरूरी नहीं

दूसरा कनाडा में प्रधानमंत्री होने के लिए संसद का सदस्य होना जरूरी नहीं है। कनाडा का संविधान यह शर्त नहीं रखता कि प्रधानमंत्री को हाउस ऑफ कॉमन्स का सदस्य होना ही पड़े। इस बार के चुनाव में यह तथ्य और भी प्रासंगिक हो जाता है, क्योंकि मौजूदा प्रधानमंत्री मार्क कार्नी पहली बार सांसद के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी लिबरल पार्टी को अगर बहुमत मिलता है, तो वह बिना सांसद बने भी कुछ समय तक पीएम बने रह सकते हैं। हालांकि, कनाडा के संविधान इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है कि प्रधानमंत्री बनने के लिए संसद का सदस्य होना पड़ेगा लेकिन व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं है क्योंकि गैर चुना हुआ व्यक्ति संसद में बोल नहीं सकता और प्रधानमंत्री को सदस्यों के सवालों का जवाब देना पड़ता है।

 

3. चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर वोट नहीं देता

कनाडा में चुनाव प्रक्रिया को संचालित करने वाला मुख्य निर्वाचन अधिकारी (चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर) एक ऐसा शख्स है, जो खुद वोट नहीं डाल सकता। यह नियम उनकी निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। 10 साल के अपने कार्यकाल के दौरान वह किसी भी उम्मीदवार या पार्टी के पक्ष में मतदान नहीं कर सकते। इस बार के चुनाव में डोमिनिक लेब्लांक इस भूमिका में हैं, और उनकी तटस्थता ने मतदाताओं का भरोसा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। यह तथ्य कनाडा की चुनावी प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को रेखांकित करता है।

 

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4. गवर्नर जनरल की तटस्थता

कनाडा में गवर्नर जनरल, जो किंग चार्ल्स III के प्रतिनिधि के रूप में देश के हेड ऑफ स्टेट हैं, परंपरा के तहत वोट नहीं डालते। इसका कारण उनकी संवैधानिक भूमिका है, जिसमें उन्हें राजनीतिक तटस्थता बनाए रखनी होती है। इस बार कनाडा की पहली स्वदेशी गवर्नर जनरल मैरी साइमन इस परंपरा को निभा रही हैं। उनकी भूमिका न केवल औपचारिक है, बल्कि वह संसद को भंग करने और सरकार गठन जैसे महत्वपूर्ण फैसलों में भी हिस्सा लेती हैं।


5. एडवॉन्स वोटिंग का विधान

कनाडा में एडवॉन्स वोटिंग का भी कॉन्सेप्ट है यानि कि जिन लोगों की चुनाव में ड्यूटी लगी हो और वह तय तिथि पर वोट दे पाने की स्थिति में न हों या जो लोग उस तिथि विशेष में कहीं जा रहे हों तो उनके लिए पहले ही वोटिंग करने का प्रावधान है। इस बार वह तिथि 19 अप्रैल को निर्धारित की गई थी।

इस बार के चुनाव के लिए कनाडा में 7 करोड़ 30 लाख लोगों ने एडवॉन्स वोटिंग की जो कि पिछली बार की तुलना में 25 प्रतिशत ज्यादा थी।

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