प्रदूषण का मुद्दा पूरी दुनिया के लिए बिल्कुल आम हो चुका है। भारत में भी आम तौर पर दीपावली के बाद से हवा के ज़हरीली होने की खबरें आनी शुरू हो जाती हैं। लेकिन भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान से वायु प्रदूषण को लेकर जो बात सामने आ रही है वह चौंकाने वाली है। पाकिस्तान के दक्षिण पंजाब के सबसे बड़े शहर मुल्तान में शुक्रवार को सुबह 8 से 9 बजे के बीच एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स 2000 के मार्क को पार कर गया।
इस दौरान स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले पीएम 2.5 का स्तर 947 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रिकॉर्ड किया गया जो कि डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन्स से 189 गुना ज्यादा है। इस प्रदूषण की वजह से तमाम लोगों की सेहत पर बुरा असर हुआ है और उन्हें अस्पतालों में भर्ती तक करना पड़ा है।
इसके बाद पाकिस्तान की पंजाब सरकार हरकत में आ गई और उसने ट्यूशन सेंटर्स, स्कूल, कॉलेज, पार्क, चिड़ियाघर इत्यादि को बंद करने का आदेश दे दिया। न सिर्फ मुल्तान बल्कि पेशावर, इस्लामाबाद, हारीपुर, रावलपिंडी और कराची जैसे शहरों में भी वायु प्रदूषण की स्थिति काफी भयावह रही।
क्या है कारण
पाकिस्तान में अचानक बढ़े इस वायु प्रदूषण का अभी तक कोई विशेष कारण नहीं पता चला है. विशेषज्ञों के द्वारा बताया जा रहा है कि पराली का जलाया जाना इसका एक महत्त्वपूर्ण कारण हो सकता है। इसके अलावा वाहन से निकला प्रदूषण, फैक्ट्रियां, म्युनिसिपल और उद्योगों के कचरों का जलाया जाना इसके कारण हैं। ऐसा भी नहीं है कि आम तौर पर हर साल पाकिस्तान के इन शहरों में प्रदूषण का स्तर कम रहता है। भारत की तरह ही यहां भी प्रदूषण का स्तर काफी रहता है, लेकिन इस साल एक्यूआई के 2 हजार के मार्क को पार कर जाने की वजह से हर कोई हैरत में है।
क्या भारत है इसके लिए जिम्मेदार
इस हालत के लिए पंजाब प्रांत की मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने भारत को जिम्मेदार बताया. उनका कहना है कि भारत से आने वाली हवा अपने साथ प्रदूषण लेकर आती है जिससे लाहौर की हवा खराब हो रही है। तो सवाल उठता है कि क्या भारत सच में इसके लिए जिम्मेदार है। नहीं, पंजाब के पर्यावरण संरक्षण विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2019 से लेकर 2023 के बीच लाहौर जैसे शहरों में वायु गुणवत्ता का सूचकांक लगातार गिरा है.
इस रिपोर्ट में कहीं भी भारत से आने वाली हवाओं को इसके लिए जिम्मेदार नहीं बताया गया है बल्कि रिपोर्ट के मुताबिक खराब होती वायु की प्रकृति के लिए खेती करने के गलत तरीके, जैव ईंधन और कचरे को जलाना, ईंट भट्ठे, कपड़ा उद्योग, कागज निर्माण इत्यादि को इसका कारण बताया गया है।
क्या है दुनिया की स्थिति
यूएन पर्यावरण प्रोग्राम के अनुमान के मुताबिक दुनिया में हर साल वायु प्रदूषण की वजह से लगभग 80 लाख लोगों समय से पूर्व मौत हो जाती है. जो कि दुनिया भर में लोगों की हेल्थ को लेकर सबसे बड़ा खतरा है। खास कर सर्दियों में इसका खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि ठंडी हवा पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 और पीएम 10 को नीचे सतह के पास ही रोक लेती है। वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए पूरी दुनिया को मिल के कदम उठाने की जरूरत है।