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परमाणु खतरा या कुछ और, ईरान में क्या करना चाहता है इजरायल?

इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष तेज हो चुका है। इजरायल बड़े लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन देखना यह होगा कि उसे हासिल कर पाता है या नहीं।

Israel and Iran conflict

इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष तेज। (Photo Credit: Social Media)

इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष तीन दिनों से जारी है। ईरान ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव समेत कई शहरों पर बैलेस्टिक मिसाइलें दागीं तो दूसरी तरफ इजरायल ने तेहरान के कई तेल डिपो, गैस फील्ड और सैन्य ठिकानों को जमींदोज कर दिया है। दोनों देशों के बीच बढ़ता संघर्ष खतरे की घंटी बजाने लगा है। आशंका इस बात की है कि कहीं यह विवाद क्षेत्रीय संघर्ष में न बदल जाए। हालांकि इजरायल और ईरान के बीच जंग के हालात पिछले एक साल से उभरने लगे थे। परमाणु हथियारों का बहाना बनाकर इजरायल ने तेहरान पर इतिहास का सबसे बड़ा अटैक किया। परमाणु खतरा या कुछ और, ईरान पर इजरायल के हमले के पीछे क्या वजह है, आखिर इजरायल चाहता क्या है?

परमाणु खतरा

इजरायल को ईरान से सबसे बड़ा खतरा है। उसका मानना है कि अगर ईरान के पास परमाणु हथियार आ गए तो यह इजरायल के अस्तित्व को चुनौती देगा। किसी भी संघर्ष की स्थिति में ईरान परमाणु बम का इस्तेमाल इजरायल के खिलाफ कर सकता है। इजरायल का प्लान यह है कि ईरान को किसी भी हाल में परमाणु हथियार हासिल करने ही नहीं देना है। पिछले साल यानी 2024 में भी इजरायल परमाणु हथियारों से जुड़ी ईरान की लैब पर हमला कर चुका है।

सत्ता बदलने की ख्वाहिश

पिछले साल से अब तक इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ईरान की जनता से सीधे बगावत की अपील कर चुके हैं। 13 जून को ईरान पर हमले के तुरंत बाद नेतन्याहू ने ईरानी लोगों से देश की दमनकारी शासन व्यवस्था को उखाड़ फेंकने की अपील की थी। उन्होंने यह भी कहा कि इजरायली हमले ईरानी लोगों को अपनी आजादी को पाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। हमारी लड़ाई ईरान की दमनकारी सरकार से है, वहां के लोगों से नहीं। नेतन्याहू कई मौकों पर ईरानी लोगों से अयातुल्ला अली खामेनेई की सत्ता उखाड़ फेंकने की अपील कर चुके हैं। मतलब साफ है कि इजरायल का फोकस ईरान में सत्ता बदलना है।

प्रॉक्सी गुटों के नेटवर्क को ध्वस्त करना

पिछले दो साल से हमास के खिलाफ इजरायल गाजा में जंग लड़ रहा है। कई महीनों तक लेबनान में हिजबुल्लाह से सीधे भिड़ंत की। हमास और हिजबुल्लाह काफी हद तक कमजोर हो चुके हैं। इस बीच ईरान ने यमन में मौजूद अपने प्रॉक्सी हूती विद्रोहियों से इजरायल पर सीधा हमला करवाया। मतलब ईरान ने इजरायल से सीधे भिड़े बगैर तीन फ्रंट का मोर्चा खोल दिया। अब इजरायल का फोकस ईरान को कमजोर करना है, ताकि हमास, हिजबुल्लाह और हूती विद्रोहियों तक पहुंचने वाली मदद को रोका जा सके।

जनता का दर्द और इजरायल का इलाज

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में अपने संबोधन में कहा कि ईरान परमाणु बम बनाने के बेहद करीब था। अगर वह हथियार बना लेता तो अपने प्रॉक्सी गुटों को यह खतरनाक हथियार सौंप देता। उन्होंने यह समझाने की कोशिश की कि ईरान पर हमला करना जरूरी था। दूसरी तरफ ईरान में जनता मौजूदा सत्ता से नाखुश है। इजरायल को यह पता है। तभी बेंजामिन नेतन्याहू रह-रहकर जनता का दर्द जगा रहे हैं। ईरान में सबसे अधिक महत्व सरकार के करीबी या इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के सदस्यों को दिया जाता है। बाकी जनता हाशिए पर पड़ती है। अब ईरानी जनता के दर्द के सहारे इजरायल अपना इलाज खोजने में लगा है। 

IRGC को कमजोर करने का प्लान

ईरान में सबसे मजबूत अगर कुछ है तो वह आईआरजीसी। अयातुल्ला अली खामेनेई की सत्ता को बचाने में इसकी भूमिका बेहद अहम है। कोई भी विरोध का स्वर उठने से पहले ही दबा दिया जाता है। लोगों की जासूसी करना, धमकाना और गायब करना आईआरजीसी के हाथ है। इजरायल को पता है कि जब तक आईआरजीसी कमजोर नहीं होगा तब तक ईरान में सत्ता परिवर्तन संभव नहीं है। यही कारण है कि ईरान की नियमित सेना को इजरायल ने छेड़ा नहीं और आईआरजीसी के अधिकारियों और ठिकानों को छोड़ा नहीं।

 

ईरान के भीतर 2020 में महिलाओं का बड़ा आंदोलन उठा। इसमें महिला, जीवन और आजादी की बात उठी। ईरान पर हमले के तुरंत बाद नेतन्याहू ने भी अपने भाषण में इन्हीं बातों का जिक्र किया। इजरायल का मानना है कि महिलाओं की नाराजगी और ईरान की सेना में आईआरजीसी के प्रति नापसंदगी कोई गुल खिला सकती है। बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को भी अपने संबोधन में कहा कि ईरान की अयातुल्ला अली खामेनई सरकार के लोग अपने बैग पैक करने में जुटे हैं।

अर्थव्यवस्था पर चोट

इजरायल ने शुरुआत में ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। मगर बाद में उसने तेल और गैस डिपो पर बमबारी की। ईरान की अर्थव्यवस्था काफी हद तक तेल पर ही टिकी है। इजरायल उसके सबसे बड़े संसाधनों पर हमला करके ईरान को कमजोर करने में जुटा है, क्योंकि उसे पता है कि एक कमजोर ईरान ही इजरायल के लिए फायदेमंद रहेगा। 

 

निशाने पर तेल और गैस डिपो

  • शनिवार को इजरायल ने विश्व के सबसे बड़े गैस फील्ड साउथ पारस पर बमबारी की।
  • मध्य तेहरान के उत्तर-पश्चिम में स्थित शाहरान ईंधन और गैस डिपो पर हमला।
  • दक्षिण में शाहर रे में स्थित ईरान की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरियों पर अटैक।
  • फज्र जाम गैस प्लांट में इजरायली हमले से मची भीषण तबाही। 

 

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