'घर तो बचा ही नहीं, मलबे में दबी हैं लाशें', गाजा में अब क्या दिख रहा?
15 महीने से गाजा में जारी जंग अब रुक गई है। इजरायल और हमास के बीच सीजफायर हो गया है। अब दक्षिणी गाजा से लोग उत्तर में अपने घर की तरफ लौटने लगे हैं।

गाजा में तबाही का मंजर। (Photo Credit: X@UNLazzarini)
'अल्लाह का शुक्र है कि युद्ध खत्म हो गया है। पूरी दुनिया ने देखा है कि गाजा उन लोगों की सरजमीं है, जिन्हें शिकस्त नहीं दी जा सकती। आज जीत का दिन है। घर लौटने का समय आ गया है। दर्द के बाद अब खुशी का समय है। तबाही के बाद अब फिर उठ खड़े होने का समय आ गया है।'
ये बातें दक्षिणी गाजा के रफाह शहर से वापस अपने घर लौटती हुई एक छोटी बच्ची ने कहीं। बच्ची की उम्र तो नहीं पता लेकिन इंस्टाग्राम पर उसका वीडियो वायरल हो रहा है। अरबी भाषा में इस बच्ची ने जो बातें कहीं, भले ही वो सबके समझ में न आए लेकिन उसकी बातों में एक खुशी थी। खुशी इस बात की कि 15 महीने बाद वो वापस अपने घर लौट सकी।
उस बच्ची की तरह ही हजारों-लाखों फिलिस्तीनी अब अपने घर की ओर लौट रहे हैं। 15 महीनों बाद इजरायल और हमास के बीच सीजफायर के बाद ये सब मुमकीन हो सका। समझौते के तहत इजरायली बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की अदला-बदली की जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि गाजा की 22 लाख आबादी में से तकरीबन 20 लाख लोगों को इस जंग की वजह से अपना घर छोड़ना पड़ा था। ये वो लोग थे जो 41 किलोमीटर लंबी और 10 किलोमीटर चौड़ी गाजा पट्टी के एक कोने में रह रहे थे। अब सीजफायर के बाद अपने घर वापस आ रहे हैं।
'घर कहां है, ये तो मलबा है'
कहने को तो कहा जा रहा है कि सीजफायर के बाद फिलिस्तीनी अपने घर वापस लौट रहे हैं लेकिन क्या यहां घर बचे हैं? 15 महीनों की जंग ने सबकुछ तबाह कर दिया है।
7 अक्टूबर 2023 को जब से जंग शुरू हुई तब से इजरायली सेना ने उत्तरी गाजा पर हर दिन बम बरसाए हैं। अब यहां सिर्फ तबाही के निशान दिखते हैं। 15 महीने की जंग में अपने भाई और भतीजों को खोने वाले मोहम्मद गोमा ने अल-जजीरा से कहा, 'ये सब हम लोगों के बहुत बड़ा सदमा था। जो कुछ हुआ, वो तबाही है। ये भूकंप या बाढ़ से नहीं हुई। युद्ध से हुई। ये तबाही का युद्ध है।'
फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए गाजा में काम कर रही संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी UNRWA ने 1 मिनट 56 सेकंड का एक वीडियो पोस्ट किया है। इस वीडियो में हर तरफ सिर्फ और सिर्फ मलबे में तब्दील हो चुके घर और इमारतें दिख रहीं हैं। इन मलबों के बीच कंधों पर बैग और गोद में बच्चों को ले जाते लोग नजर आ रहे हैं। वीडियो पोस्ट करते हुए UNRWA ने लिखा, 'घर जैसी कोई जगह नहीं है, सिवाय इसके कि ज्यादातर घर अब मलबे में तब्दील हो गए हैं।'
The #ceasefire is a glimmer of hope for hundreds of thousands of displaced people hoping to go back to northern #Gaza.
— UNRWA (@UNRWA) January 20, 2025
No place like home, except most homes are now reduced to rubble. pic.twitter.com/cBn1xwtxRV
मलबे में दबी हजारों लाशें
इजरायल और हमास के बीच हुए सीजफायर को अभी दो दिन ही हुए हैं। सीजफायर के बाद इजरायली हमलों में मारे गए लोगों की लाशों को ढूंढने का काम जारी है। इन दो दिनों में रफाह से 137 लाशों को मलबे से निकाला जा चुका है। गाजा के सिविल इमरजेंसी सर्विस के प्रवक्ता महमूद बासल ने कहा कि अब भी मलबे में 10 हजार से ज्यादा लोगों की लाशें दबे होने की आशंका है।
74 साल के सुलेमान आब्देल कादिर ने अल-जजीरा से कहा, 'हम अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि जंग रुक गई है। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही सभी लोग अपने घर लौट आएंगे। लोग दुखी हैं और उन्होंने बहुत खो दिया है। हमारे कुछ रिश्तेदार अभी भी मलबे में दबे हैं। कई लापता हैं।' कादिर का मानना है कि अमेरिका और पश्चिमी मुल्कों ने अगर समय पर दबाव डाला होता तो जंग को काफी पहले रोका जा सकता था।
गाजा की सिविल इमरजेंसी सर्विस की टीम मलबे से लाशों को ढूंढ रही है। उसका दावा है कि 2,840 से ज्यादा शव इस तरह नष्ट हो गए हैं कि उनका अब नामोनिशान नहीं बचा है। इजरायल की बमबारी में ये शव जलकर राख हो चुके हैं। हर गली में मलबे से शव निकाले जा रहे हैं।
अपना घर छोड़कर 15 महीनों से शरणार्थी की तरह जी रहे जमाल अबू हलील ने अल-जजीरा को बताया, 'जंग से पहले हमारी जिंदगी अच्छी थी। हमारे पास काम था। अच्छे पड़ोसी थे। जंग के बाद सबकुछ खत्म हो गया है। हम डेढ़ साल विस्थापित रहे। जब हम यहां वापस आए तो हमें नहीं पता था कि हमारा घर है, क्योंकि हर जगह तबाही मची हुई थी। हर जगह सिर्फ मलबा ही मलबा था।'
“I haven’t seen a single building standing.”
— UN Humanitarian (@UNOCHA) January 21, 2025
On the 3rd day of the ceasefire, we visited Jabalya camp in North #Gaza.
People are improvising shelters amid the rubble. Water is scarce, wells are destroyed, and unexploded ordnance are everywhere.
More from our colleague Gloria. pic.twitter.com/wbdg3PTMEQ
लेकिन उम्मीद है कि सब ठीक होगा
युद्ध सिर्फ और सिर्फ तबाही लेकर आता है। गाजा की जंग में भी यही हुआ। गाजा पट्टी में 15 महीनों से दर-दर ठोकरे खा रहे और अपनों को खो चुके लोगों को उम्मीद है कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा।
गाजा के तल अल-हवा में रहने वाले 70 साल के हमजा अल-रमलावी को घर वापस जाने की खुशी नहीं है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अब जंग खत्म हो जाएगी और शांति आएगी। उन्होंने अल-जजीरा से कहा, 'मुझे खुशी है कि जंग रुक गई लेकिन हमारे दिलों में दर्द रहेगा। हमने जिन्हें खो दिया, वो हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। मैं अपने बेटे मोहम्मद को याद करूंगा जिसे मैंने बमबारी में खो दिया। अपने बेटे को खोना इस दुनिया का सबसे बड़ा दुख है।'
हमजा आगे कहते हैं, 'हम बहुत लड़ चुके। अब बस। मुझे उम्मीद है कि अब सब शांत हो जाएंगे और हमें अपनी जिंदगी जीने देंगे। हमें उम्मीद है कि सीजफायर कायम रहेगा। हम अब और सहन नहीं कर सकते। मैं झूठ बोलूंगा अगर मैं कहूं कि अपने बेटे को खोने के बाद मैं खुशी-खुशी अपने घर लौट रहा हूं।'
सालों पीछे चला गया गाजा
दुनिया के नक्शे में पतली सी दिखने वाली गाजा पट्टी के एक छोर से दूसरे छोर पहुंचने में एक घंटे का समय लगता है। गाजा पट्टी को 5 शहरों- उत्तरी गाजा, गाजा सिटी, डेर अल-बलाह, खान यूनिस और रफाह में बांटा गया है। पांचों शहरों में इजरायली बमबारी में जबरदस्त तबाही मची है।
अमेरिकी रिसर्चर जैमन वेन डेन होक और कोरी स्केर का मानना है कि इजरायली बमबारी में गाजा पट्टी की कम से कम 60 फीसदी इमारतें पूरी तरह से तबाह हो गईं हैं। इनकी रिसर्च के मुताबिक, गाजा पट्टी में बने 92 फीसदी घर, 88 फीसदी स्कूल 68 फीसदी खेती की जमीन और 68 फीसदी सड़कें तबाह हो चुकीं हैं। 50 फीसदी से ज्यादा अस्पताल ऐसे हैं जो सिर्फ नाम के अस्पताल रह गए हैं।
15 महीने की इस जंग ने गाजा को सालों पीछे धकेल दिया है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि इस युद्ध ने गाजा को 69 साल पीछे धकेल दिया है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, गाजा पट्टी से मलबा हटाने में कम से कम 21 साल लग सकते हैं। इस पर 1.2 अरब डॉलर का खर्च आएगा। बमबारी की वजह से इस मलबे में एस्बेस्टस जैसे खतरनाक तत्व भी हैं, जिससे आने वाले समय में कई बीमारियां भी फैलने का खतरा है।
इस जंग में बहुत से लोगों ने अपनों को खो दिया है। जो बचे हैं, उनमें से कई अपाहिज हो गए हैं। आंकड़े बताते हैं कि 15 महीने की इस जंग में 47 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो गई है। 1.11 लाख से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
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