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भारत के लिए क्यों खास है कुवैत? PM मोदी की यात्रा के बहाने समझिए सबकुछ

पीएम नरेंद्र मोदी दो दिन की कुवैत यात्रा पर जा रहे हैं। लंबे समय से भारत का कारोबारी दोस्त रहा कुवैत कई खास वजहों से चर्चा में रहता है, आइए इसके बारे में जानते हैं।

india and kuwait flag

भारत और कुवैत का झंडा, Photo: Social Media

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिन यानी 21 और 22 दिसंबर को कुवैत की यात्रा पर हैं। भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के न्योते पर कुवैत की यात्रा पर जा रहे हैं। रोचक बात यह है कि पिछले 4 दशकों में पहली बार भारत के किसी प्रधानमंत्री का यह कुवैत दौरा है। यहीं से सवाल भी खड़ा होता है कि आखिर कुवैत की भारत के लिए इतनी अहमियत क्यों है कि भारत के प्रधानमंत्री खुद उस देश का दौरा कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी से पहले साल 1981 में इंदिरा गांधी ही प्रधानमंत्री के रूप में कुवैत की यात्रा पर गई थीं।

 

तेल, कारोबार, विदेशी मुद्रा और भारतीय समुदाय, ये चार ऐसी चीजें हैं जो भारत और कुवैत के रिश्ते की अहम कड़ी हैं। दोनों देशों के बीच अच्छा-खासा कारोबार होता है। कुवैत में रहने वाले भारतीय भारी मात्रा में पैसा भेजते हैं जिससे विदेशी मुद्रा कोष में इजाफा होता है। भारत ढेर सारा तेल कुवैत से ही आयात करता है। इसके अलावा, भारत के हजारों लोग कुवैत में काम भी करते हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं कि एक छोटा सा देश भारत के लिए इतना अहम क्यों है?

कुवैत की कहानी

 

फ़ारस की खाड़ी के एक छोर पर बसा छोटा सा है कुवैत। एक तरफ विशालकाय सऊदी अरब तो दूसरी तरफ इराक से घिरा है। तीसरी तरफ फ़ारस की खाड़ी है जिसे पार करने पर ईरान आ जाता है। यहां के ज्यादातर लोग सुन्नी मुसलमान हैं। खाड़ी देशों के आसपास होने के बावजूद कुवैत कई मायनों में अलग है। असल में यह देश खाड़ी देशों की तुलना में थोड़ा ज्यादा लोकतांत्रिक है और यहां की राजशाही यानी अल-सबह परिवार के खिलाफ विपक्षी नेता खुलकर आवाज भी उठा सकते हैं। कुल मिलाकर एक ऐसा देश जो है तो कंजर्वेटिव मानसिकता वालों के बीच लेकिन थोड़ा का खुला भी है।

 

राजशाही होने की वजह से लोकतंत्र है तो जरूर लेकिन अंतिम फैसला राजघराने के पास ही है। यानी राजनीतिक मामले हों, चुनाव कराना हो या फिर चाहे संसद ही भंग करनी हो, इस सबका अंतिम निर्णय राज परिवार का ही होता है। आबादी लगभग 44 लाख लोगों की है। मौजूदा समय में शेख मिशल कुवैत के शासक हैं। दिसंबर 2023 में उनके भाई नवाफ अल-अहमद अल-जबर अल-सबह की मौत के बाद वह सत्ता पर काबिज हुई। उनकी भी उम्र 84 साल हो चुकी है। यानी मौजूदा वक्त में कुवैत की सत्ता शेख मिसल हैं जिन्हें अमीर कहा जाता है। 

भारत और कुवैत का कारोबार

 

भारत और कुवैत कारोबारी रूप से एक-दूसरे के मजबूत सहयोगी रहे हैं। हर साल इन दोनों देशों का आपसी कारोबार और मजबूत हो रहा है। 2023-24 में दोनों देशों ने लगभग 10.749 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार किया। तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की वजह से भारत जितनी कीमत का निर्यात कुवैत को करता है उससे लगभग 4 गुना आयात करता है। डेटा देखें तो 2023-24 में भारत ने 2103 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया और 8375 मिलियन डॉलर का आयात किया।

 

 

भारत कुवैत को एयरक्राफ्ट, स्पेसक्राफ्ट, दालें, ऑर्गैनिक केमिकल, गाड़ियां, सोना-चांदी, बेशकीमती पत्थर और अन्य चीजें भेजता है। वहीं, कुवैत से भारत में पेट्रोलियम उत्पाद, ऑर्गैनिक केमिकल, प्लास्टिक, लोहा-स्टील और अन्य धातु उत्पाद खूब आते हैं। भारत की दर्जनों कंपनियां कुवैत में कारोबार करती हैं और कई ब्रांड अपना उत्पाद भी बेचते हैं। वहीं, कुवैत की कंपनियां भी भारत में अपना कारोबार कर रही हैं। उदाहरण के लिए- शिपरॉकेट और Kirby बिल्डिंग सिस्टम जैसी कंपनियां कुवैत की ही हैं। 

कुवैत की रीढ़ की हड्डी हैं भारतीय!

 

कुवैत में मौजूद भारतीय दूतावास की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, कुवैत में रह रहे कुल लोगों में 21 पर्सेंट लोग भारतीय हैं। इतना ही नहीं, कुवैत की वर्कफोर्स यानी काम करने वाले लोगों में 30 पर्सेंट लोग भारतीय हैं। कुवैत में कम से कम 10 लाख भारतीय रहते हैं और लगभग 9 लाख लोग वहां काम करते हैं। कुवैत में लगभग 1 हजार भारतीय डॉक्टर, 500 डेंटिस्ट और 24 हजार नर्सें भी काम कर रही हैं।

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