बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि वह भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे। यह बात उन्होंने अंतरिम सरकार के 100 दिन पूरा होने पर एक टेलीविज़न संदेश के ज़रिए देश को संबोधित करते हुए कही। शेख हसीना इस साल अगस्त में बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद भागकर भारत आ गई थीं और तब से यहीं रह रही हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार उन लोगों पर मुकदमा चलाएगी जो छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान सैकड़ों मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। उनका इशारा शेख हसीना की तरफ था। इस विद्रोह के बाद शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था और उसके तीन दिन बाद यूनुस ने 8 अगस्त, 2024 को पदभार संभाला।
हसीना पर किए सैकड़ों केस दर्ज
यूनुस ने हसीना पर आरोप लगाया कि न केवल प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में मौतें हुईं, बल्कि हसीना के सत्ता में रहने के दौरान भी कथित तौर पर काफी लोग अगवा किए गए। इस सबके लिए यूनुस ने शेख हसीना को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि इन लोगों के खिलाफ हुए मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने शेख हसीना और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी के लिए 'रेड कॉर्नर नोटिस' जारी करने के लिए वैश्विक पुलिस संगठन इंटरपोल की मदद मांगने की बात भी कही।
चुनाव कराने की दोहराई
मोहम्मद यूनुस लगातार यह बात कहते रहे हैं कि उनकी अंतरिम सरकार का मुख्य काम निर्वाचित सरकार को सत्ता सौंपने के लिए चुनाव कराना है, लेकिन इसके लिए पहले उन्हें ज़रूरी सुधार करने पड़ेंगे। उन्होंने वादा किया कि एक बार सारे सुधार हो जाएंगे तो फिर चुनाव कराए जाएंगे और सत्ता नई चुनी हुई सरकार को सौंप दी जाएगी। हालांकि, उन्होंने इसके लिए कोई भी समय-सीमा अभी तक नहीं बताई है।
'1500 लोगों की हुई मौत'
अपने संबोधन में यूनुस ने कहा कि शेख हसीना के खिलाफ प्रदर्शन में करीब 1500 लोगों की मौत हुई और उनके शासनकाल के 15 सालों के दौरान करीब 3500 लोगों को अगवा किया गया। उन्होंने कहा कि रोज़ाना शहीदों की सूची में लोगों के नाम जुड़ रहे हैं जिनको हम न्याय दिलाना सुनिश्चित करेंगे।
क्या हसीना को प्रत्यर्पित करने को मजबूर है भारत
भारत और बांग्लादेश के बीच साल 2013 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किया गया था, जिसमें बाद में 2016 में संशोधन भी किया गया। यह संधि भारत के पूर्वोत्तर में फैले विद्रोह और बांग्लादेश में भी जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेयूएमबी) जैसे चरमपंथियों के भारत के बंगाल, असम जैसे राज्यों में शरण लेने के कारण साइन की गई थी।
तो संधि के हिसाब से भारत पर हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए दबाव बनाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि भारत इसके लिए मना नहीं कर सकता। संधि के अनुच्छेद 8 के मुताबिक कई ऐसी शर्तें हैं जिनके आधार पर भारत शेख हसीना को बांग्लादेश को प्रत्यर्पित करने को मना कर सकता है।