म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप में अब तक 1600 लोगों की मौत हो गई है, वहीं 3400 से ज्यादा लोग घायल हैं। म्यांमार की रेस्क्यू एजेंसियों का दावा है कि मृतकों के आंकड़े और बढ़ सकते हैं. द यूएन ऑफिस फॉर द कोऑर्डिनेशन ऑफ ह्यूमैनिटेरियन ऑपरेशंस इन म्यांमार ने शनिवार को कहा है कि सड़कें टूटी हैं, जिसकी वजह से रेस्क्यू अभियान में दिक्कतें आ रही हैं। दवाइयों और दूसरे मेडिकल संसाधनों की भी किल्लत हो गई है।
हजारों लोग, बार-बार आ रहे भूकंप की वजह से सड़कों पर सो रहे हैं। लोग गलियों में रातें बिता रहे हैं। घर खत्म हो चुके हैं, सड़कें धंस गई हैं। OCHA ने कहा है कि म्यांमार में आए भूकंप की वजह से ज्यादातर पुल टूट गए हैं, सड़कें गड्ढे में तब्दील हो गई हैं। लोग प्रभावित इलाकों तक पहुंच ही नहीं पा रहे हैं।
सड़कों पर मलबा, रेस्क्यू हुआ मुश्किल
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी OCHA ने कहा, 'यांगून-ने पी ताव-मांडले एक्सप्रेसवे को हुए नुकसान की वजह से रेस्क्यू सेवाएं बाधित हुई हैं। जगह-जगह दरारें हैं, घर गिरे हुए हैं। बसों को रोकना पड़ा है।'
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जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रही राहत सामग्री
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार के लिए दुनियाभर से राहत सामग्री भेजी जा रही है। भारत ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत अब तक जरूरी दवाइयां, राहत सामग्री भेज चुका है। म्यांमार में मेडिकल सप्लाई ठप पड़ी है, जिसकी वजह से लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है।
मेडिकल सेवाओं का बुरा हाल
OCHA ने कहा, 'मेडिकल सप्लाई बाधित होने की वजह से रेस्क्यू की कोशिशों में दिक्कतें आ रही हैं। ट्रॉमा किट, ब्लड बैक, एनेस्थेटिक्स जैसे इंस्ट्रूमेंट न होने से रेस्क्यू में दिक्कतें आ रही हैं। लोगों के टेंट की भी जरूरत है।'
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कराह रहे अस्पताल, घायलों की संख्या बढ़ी
समाचार एजेंसी AP के मुताबिक OCHA ने कहा है कि सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं, सड़कों पर मलबा जमा है। ऐसी विदेश से आई राहत सामग्री लोगों तक नहीं पहुंचाई जा सकती है। मांडले, मैगवे और नेपीडॉ के अस्पताल में घायलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। संकट से निपटने के लिए म्यांमार का सैन्य प्रशासन जुंटा ने दुनिया से मदद की अपील की है।