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म्यांमार: लाशों का अंबार, इलाज के लिए हाहाकार, जुंटा के हमले नहीं रुके

म्यांमार एक तरफ भूकंप से कराह रहा है, दूसरी तरफ वहां की सेना लोकतंत्र के समर्थकों पर कहर ढा रही है। लोकतंत्र समर्थक विद्रोही गुटों पर हवाई हमले हुए हैं। पढ़ें रिपोर्ट।

Myanmar Crisis

म्यांमार भूकंप में अब तक 1600 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। (Photo Credit: PTI)

म्यांमार में भूकंप से भीषण तबाही मचाई है। शुक्रवार को 7.7 तीव्रता के तेज भूकंप से म्यांमार की धरती कांप गई थी। म्यांमार मिलिट्री काउंसिल के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 1644 लोगों की मौत हो गई है, वहीं 3408 लोग जिंदगी-मौत से जंग लड़ रहे हैं। 139 से ज्यादा लोग लापता हैं। प्राकृतिक आपदा के बीच म्यांमार की सैन्य जुंटा लोकतंत्र समर्थकों पर कहर ढा रही है।

जुंटा ने लोकतंत्र के समर्थन में आवाज उठाने वाले विद्रोही गुटों पर हवाई हमले किए है, जिसमें कम से कम 7 लोग मारे गए हैं। सैन्य जुंटा ने सागाइंग के चांग-यू टाउनशिप जैसी जगहों पर हमले किए हैं। सागाइंग वही इलाका है, जिसे भूकंप का केंद्र कहा जा रहा है। यहां भीषण तबाही मची है, सैकड़ों लोग मरे हैं। जुंटा ने म्यांमार-थाईलैंड बॉर्डर के पास के इलाकों में भी हवाई हमले किए हैं। 

हवाई हमले में 7 की मौत, UN ने कहा- हिंसा मंजूर नहीं
संयुक्त राष्ट्र (UN) के विशेष दूत टॉम एंड्रयूज ने कहा है कि ये हमले किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किए जा सकते हैं। एक तरफ जब पूरी दुनिया, म्यांमार को मानवीय आधार पर मदद भेज रही है, दूसरी तरफ सेना बमबारी कर रही है। BBC की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नौंगचो इलाके में हुए हवाई हमले में 7 लोग मारे गए। भूकंप आने के महज 3 घंटे बाद इसे अंजाम दिया गया है। 

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म्यांमार में जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन। (Photo Credit: PTI)

म्यांमार की लोकतंत्र के लिए टीस क्या है?
साल 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट हुआ था। तब से लेकर अब तक वहां गृहयुद्ध की स्थिति है। एक तबका चाहता है कि वहां लोकतंत्र की बहाली हो। सैन्य जुंटा के खिलाफ विद्रोह बढ़ा है। ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं कि सेना का नियंत्रण सिर्फ 24 फीसदी हिस्से पर रह गया है, वहीं 42 प्रतिशत हिस्से पर लोकतंत्र समर्थक काबिज हैं, जिन्हें जुंटा विद्रोही मानते हैं।

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म्यांमार की सैन्य जुंटा को हथियार कहां से मिलते हैं?
म्यांमार की सेना के पास रूस और चीन से सैन्य मदद मिलती है। ज्यादातर हथियार इन्हीं देशों से आए हैं। जुंटा पर स्कूल, अस्पताल और मठों पर भी गोलियां बरसाने के आरोप लगते रहे हैं। भूकंप प्रभावित इलाकों में मानवीय मदद तक रोकी जा रही है। UN ने इस हरकत की आलोचना की है। नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट ने कहा है कि राहत के लिए दो सप्ताह तक आक्रामक सैन्य कार्रवाइयां न की जाएं।

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