ओमान के विदेश मंत्री बदर अल-बुसैदी ने शनिवार को घोषणा की कि ईरान और अमेरिका के बीच तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर होने वाली वार्ता रद्द कर दी गई है। यह फैसला इज़रायल के हालिया हमलों के बाद लिया गया, जिन्होंने पश्चिम एशिया में तनाव को और बढ़ा दिया है।
ओमान, जो इस मामले में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा था, ने इसकी पुष्टि की। अल-बुसैदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'मस्कट में रविवार को होने वाली ईरान-अमेरिका वार्ता अब नहीं होगी। लेकिन कूटनीति और बातचीत ही स्थायी शांति का एकमात्र रास्ता है।' यह वार्ता छठा दौर होती, जो मस्कट में होनी थी। लेकिन ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने पहले ही कहा था कि इजरायल के हमलों के बीच कोई भी बातचीत 'अनुचित' होगी।
यह भी पढ़ें: ईरान ने नया आर्मी चीफ नियुक्त किया, खामेनेई ने खुद दी जानकारी
इज़रायल ने किया हमला
शुक्रवार को इज़रायल ने ईरान के परमाणु ढांचे पर 'पहले से हमला' करने की बात कही। इज़रायल ने दावा किया कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के करीब है, जो उनके लिए खतरा है। इज़रायली रक्षा बल (IDF) ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'ईरान अब तक के सबसे करीब है परमाणु हथियार बनाने के। ईरानी शासन के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियार इज़रायल और पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं। इज़रायल को अपने नागरिकों की रक्षा के लिए हर जगह कार्रवाई करनी होगी।'
इज़रायल के हमलों में ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। इसके जवाब में ईरान ने तेल अवीव पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिससे दोनों देशों के बीच संघर्ष और तेज हो गया।
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, इज़रायल के एक ड्रोन ने ईरान के एक प्राकृतिक गैस संयंत्र पर हमला किया, जिससे 'जोरदार विस्फोट' हुआ। अगर यह पुष्टि होती है, तो यह इज़रायल का ईरान के तेल और गैस उद्योग पर पहला हमला होगा।
तनाव का असर
इज़रायल के हमलों ने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया है। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन इज़रायल और पश्चिमी देशों का आरोप है कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार बना रहा है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने हाल ही में कहा कि ईरान ने परमाणु संधि (NPT) का उल्लंघन किया है, जिससे संदेह और गहरा गया है।
अमेरिका की भूमिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इज़रायल के हमलों की तारीफ की और ईरान को चेतावनी दी कि अगर उसने परमाणु कार्यक्रम को नहीं रोका तो और बड़े हमले होंगे। हालांकि, अमेरिका ने कहा कि वह इन हमलों में शामिल नहीं था। ट्रंप प्रशासन 2018 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते (JCPOA) से बाहर निकल गया था, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है।
शांति की उम्मीद
ओमान ने हमेशा शांति के लिए मध्यस्थता की है, लेकिन इस बार वार्ता रद्द होने से कूटनीति की राह मुश्किल दिख रही है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ता संघर्ष क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए खतरा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही बातचीत शुरू नहीं हुई तो स्थिति और बिगड़ सकती है।