1 नहीं 7 बार, भारत के हर भरोसे पर पाकिस्तान ने दिया जख्म
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते फिर बिगड़ गए हैं। ऐसे में जानते हैं उन 7 मौकों के बारे में, जब भारत के भरोसे पर पाकिस्तान ने सिर्फ जख्म ही दिए।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
वैसे तो भारत और पाकिस्तान के रिश्ते कभी उतने अच्छे रहे नहीं और आतंकी घटनाएं इसे और बिगाड़ देती हैं। पुलवामा और फिर बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के रिश्तों में जो तनाव था, अब ठीक वैसा ही पहलगाम अटैक के बाद हो गया है। भारत ने पाकिस्तान पर कार्रवाई करते हुए सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। यह पहली बार है जब भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर इस तरह का फैसला लिया है।
भारत ने साफ कर दिया है कि जब तक क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म को बंद नहीं किया जाता, तब तक सिंधु जल संधि पर लगी रोक भी नहीं हटेगी।
अब तक की जांच में यह साफ हो चुका है कि पहलगाम अटैक में पाकिस्तान का हाथ है। बताया जा रहा है कि इस हमले में 5 आतंकी शामिल हैं, जिनमें से 3 पाकिस्तानी हैं। इन आतंकियों के नाम- आदिल हुसैन थोकर, अली भाई और हाशिम मूसा हैं। इन पर 20 लाख रुपये का इनाम भी रखा गया है। हालांकि, पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार दावा कर रहे हैं कि इस हमले की जिम्मेदारी जिस संगठन ने ली है, उससे हमारा कोई संबंध नहीं है।
अब पाकिस्तान की जिम्मेदारी है कि वह क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म को रोके, जिसकी गुंजाइश न के बराबर है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि वह बिल्कुल भी भरोसेमंद नहीं है। 1960 में भारत ने सिंधु जल संधि पर दस्तखत भी इसलिए की थी ताकि पानी के बदले शांति मिल सके। मगर संधि के 5 साल बाद ही पाकिस्तान ने हमला कर दिया।
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पाकिस्तान क्यों नहीं भरोसे लायक?
- बंटवारे के बाद ही तुरंत हमलाः 1947 में जब बंटवारा हुआ तब यह रियासतों के ऊपर था कि वह भारत में आना चाहती हैं या पाकिस्तान में। जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने आजाद रहने का फैसला लिया था। मगर पाकिस्तान इससे बौखला गया और 22 अक्टूबर 1947 को उसके हजारों कबायलिये कश्मीर में घुस आए। राजा हरि सिंह ने भारत में विलय कर लिया। भारत ने सेना उतार दी और पाकिस्तानी सेना के समर्थन से लड़ रहे कबायलियों को खदेड़ दिया। हालांकि, जनवरी 1948 में मामला संयुक्त राष्ट्र के पास चला गया और सीजफायर हो गया।
- समझौते के 7 साल बाद फिर हमलाः कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान में तनाव बना रहता था। इसे कम करने के मकसद से 1958 में भारत-पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ, जिसे 'नो वॉर पैक्ट' भी कहा जाता है। इसमें दोनों देशों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि दोनों एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य बल का इस्तेमाल नहीं करेंगे। साथ ही विवाद को बातचीत से सुलझाने पर भी सहमति बनी। हालांकि, इसके ठीक 7 साल बाद 1965 में पाकिस्तान ने हमला कर दिया। कुछ दिनों की जंग के बाद सीजफायर हो गया। यह समझौता भारत के तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुआ था।
- 1971 में फिर ले लिया पंगाः 1965 की जंग में हार के बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। 1971 में पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लोगों पर अत्याचार करने लगी। भारत चुप रहा। हालांकि, तभी 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हवाई हमला कर दिया। भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की और सिर्फ 13 दिन में पाकिस्तान को घुटने पर ला दिया। पाकिस्तानी सेना के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारत के आगे सरेंडर कर दिया।
- बस सर्विस शुरू की तो फिर किया हमलाः 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पाकिस्तान से संबंध सुधारने की पहल शुरू की। इसके बाद फरवरी 1999 को भारत और पाकिस्तान के बीच बस सर्विस को लेकर समझौता हुआ। इसके तहत दिल्ली से लेकर लाहौर तक बस शुरू हुई। कुछ महीने बाद ही पाकिस्तानी सेना ने करगिल में घुसपैठ कर दी। 8 मई 1999 को भारत-पाकिस्तान के बीच चौथी जंग शुरू हुई। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को करगिल से खदेड़ दिया और 21 जुलाई 1999 को करगिल में तिरंगा फहराया।
- मुशर्रफ आगरा आए, फिर संसद पर हमलाः करगिल जंग को भुलाकर वाजपेयी ने एक बार फिर पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। उन्होंने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को भारत आने का न्योता दिया। वाजपेयी के न्योते पर मुशर्रफ भारत भी आए और आगरा भी गए। उनके दौरे के कुछ महीने बाद ही 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकी हमला हो गया। इस हमले को पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने अंजाम दिया था। हमला करने वाले पांचों आतंकी मारे गए। इस हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई।
- मोदी पाकिस्तान गए, बदले में उरी-पुलवामा मिलाः 2014 में जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी बुलाया। अगले ही साल दिसंबर 2015 में नवाज शरीफ की बेटी की शादी में शामिल होने पाकिस्तान गए। मोदी का यह दौरा अचानक हुआ था। मगर इसके 9 महीने बाद ही सितंबर 2016 में पाकिस्तानी आतंकियों ने उरी में हमला कर दिया। बदले में भारत ने एयरस्ट्राइक की। उरी के बाद फरवरी 2019 में पुलवामा में CRPF के काफिले पर हमला किया, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। इसका जवाब देते हुए भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर दी।
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गोलीबारी-घुसपैठ करना पाकिस्तान का काम
भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कई समझौते हुए हैं। पिछले 25 साल में ही दो समझौते हो चुके हैं। 2003 में वाजपेयी सरकार के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ कि सीमा पर दोनों पक्ष शांति बनाए रखेंगे और गोलीबारी नहीं करेंगे। मगर ऐसा हुआ नहीं। फरवरी 2021 में दोनों के बीच फिर समझौता हुआ। इसमें तय हुआ कि दोनों देश 2003 के समझौते को लागू करेंगे।
हालांकि, इसके बाद भी पाकिस्तान की सेना न सिर्फ आए दिन गोलीबारी करती है, बल्कि आतंकियों को घुसपैठ करने में मदद भी करती है।
अप्रैल की शुरुआत में ही पाकिस्तानी सेना की तरफ से सीजफायर उल्लंघन किया गया था। पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर के कृष्णा घाटी के पास गोलीबारी की थी। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में 46 बार पाकिस्तानी आतंकियों ने घुसपैठ करने की कोशिश की थी।
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