कोविड महामारी के चपेट से उबरकर दुनिया अभी थोड़ी सी राहत महसूस ही कर रही थी कि एक नई महामारी दस्तक देने की कगार पर है। नाम है-एचएमपीवी यानी ह्यूम मेटान्यूमोवायरस। कोविड के बारे में भी कहा जा रहा था कि वह चीन से फैली थी और इसके बारे में भी कहा जा रहा है कि चीन से ही इसकी उत्पत्ति हुई है।
लेकिन यह पहली बार नहीं है कि दुनिया महामारियों की चपेट में है। सैकड़ों वर्षों से महामारियां आती रही हैं। इसमें जनामाल का काफी नुकसान भी हुआ है लेकिन साथ ही लोगों ने इससे निपटने का तरीका भी निकाल ही लिया।
खबरगांव आपको ऐसी की कुछ महामारियों के बारे में बता रहा है जिसने पूरी दुनिया को घुटनों पर ला दिया था।
दि ब्लैड डेथ
14वीं सदी में 'दि ब्लैड डेथ' नाम की महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दिया। यह ब्यूबॉनिक प्लेग पैंडेमिक थी जो कि यूरोप में 1346 से 1353 के बीच आया था। कुछ रिसर्रचर का मानना है कि यह अगले 300 सालों तक किसी न किसी तरह से असर डालती रही है।
आज तक के इतिहास में यह सबसे ज्यादा खतरनाक महामारी थी जिसमें 5 करोड़ लोगों की जान गई थी। यह संख्या यूरोप की उस वक्त की कुल आबादी का आधा था। यानी कि इस महामारी की वजह से यूरोप की आधी आबादी साफ हो गई। इस महामारी का कारण एक बैक्टीरिया यरसिनिया पेस्टिस था जो कि मक्खियों के माध्यम से हवा के जरिए फैलता था।
लोगों के लिए इससे निपटना काफी मुश्किल था क्योंकि तब तक मेडिकल के क्षेत्र में विकास ज्यादा हुआ नहीं था। हालांकि, लोगों यह पता लग गया था कि पास पास आने से यह बीमारी फैलती है।
बीमारी को फैलने से रोकने के लिए उस वक्त दूसरे देशों से आने वाले नाविकों को 30 दिनों तक उनके जहाजों पर ही रुकना होता था।
पर्पल डेथ या स्पेनिश फ्लू
इस महामारी को 'स्पेनिश फ्लू' के नाम से भी जाना जाता है। 1918 में फैले इस इन्फ्लुएंजा ने पूरी दुनिया में भारी तबाही मचाई। इसको पर्पल डेथ इसलिए कहा जाता था क्योंकि इसकी वजह से रोगी के चहरे पर नीले-बैगनी रंग के धब्बे दिखने लगते थे।
यह भी दुनिया की काफी तबाही मचाने वाली महामारियों में से एक थी जिसने दुनिया की उस वक्त की लगभग एक तिहाई आबादी को प्रभावित किया था और लाखों लोग इसमें मारे गए थे।
यह इन्फ्लुएंजा ए वायरस के सब-टाइप एच1एन1 के जरिए फैला था। शुरुआती मामला अमेरिका के कंसास में आया था। इस महामारी की शुरुआत के सिर्फ दो ही सालों में यानी कि 1920 तक करीब 50 करोड़ लोग इसकी जद में आ चुके थे।
इसे स्पेनिश फ्लू इसलिए कहा गया क्योंकि कथित रूप से लोगों को ऐसा लगा कि यह स्पेन से शुरू हुआ है।
जस्टिनियन का प्लेग
541 से 543 ईस्वी के बीच फैली महामारी जस्टिनियन प्लेग भी यरसिनिया पेस्टिस से फैला था। इस महामारी ने भूमध्य सागर से मिडिल ईस्ट के बीच काफी तबाही मचाई थी।
माना जाता है कि सेंट्रल एशिया और अफ्रीका के बीच इसकी उत्पत्ति हुई थी। इस प्लेग में पूरी दुनिया में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान गई थी, क्योंकि महामारी बाद में यूरोप, एशिया और उत्तर अमेरिका तक फैल गई थी।
करीब डेढ़ हजार साल पहले लोगों को कुछ भी नहीं पता था कि इसके लिए क्या उपाय अपनाया जाए। उन्होंने सिर्फ इतना किया कि बीमार और मृत व्यक्ति से दूरी बनाकर रखी।
1968 की फ्लू महामारी
साल 1968 में H3N2 फ्लू की वजह से पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान चली गई थी। सिर्फ अमेरिका में ही इसकी वजह से एक लाख मारे गए।
इसे हॉन्गकॉन्ग फ्लू के नाम से भी जाना गया जो कि चीन से शुरू हुआ था। इसकी शुरुआत को 1957-58 से हुई थी लेकिन 1968 तक इसने तेजी पकड़ी जब दो फ्लू वायरस ने एक साथ जुड़कर एंटीजेनिक शिफ्ट कर लिया।
ज्यादातर लोगों के पास इस फ्लू के खिलाफ किसी तरह की कोई इम्युनिटी नहीं थी इसलिए जानमाल का काफी नुकसान हुआ। बता दें कि वायरस में एटीजेनिक शिफ्ट हमेशा नहीं होता है। एंटीजेनिक शिफ्ट की वजह से संक्रमित व्यक्ति पर बार-बार प्रभाव पड़ता है।
2009 का स्वाइन फ्लू
साल 2009 में एच1एन1 फ्लू वायरस पूरी दुनिया में काफी तेजी से फैल गया। इसे 'स्वाइन फ्लू' के नाम से जाना गया। साल 2009 और 2010 में स्वाइन फ्लू के 6 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए, ढाई लाख से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और हजारों लोगों की मौत हो गई। पूरी दुनिया में इसकी वजह से 5 लाख 75 हजार लोगों की मौत हुई।
स्वाइन फ्लू ने महिलाओं और बच्चों पर सबसे ज्यादा असर डाला। हालांकि आधिकारिक रूप से माना गया कि 2010 में यह खत्म हो चुका है, लेकिन समय समय पर यह दिखता रहता है।