इसाई धर्म के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप फ्रांसिस की तबियत बेहद नाजुक है। वेटिकन ने बताया कि वह 14 फरवरी से अस्पताल में भर्ती हैं, इस बीच पिछले 24 घंटों में उनकी तबीयत और बिगड़ गई है। पोप की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ में खून चढ़ाया जा रहा है। बताया गया है कि फ्रांसिस पिछले दो सालों में कई बार बीमार हो चुके हैं।
दरअसल, पोप की 88 साल के हैं। पिछले कई दिनों से उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी, जिसके बाद पोप को अस्पताल में भर्ती करवाया गया। ईलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि पोप के दोनों फेफड़ों में निमोनिया का इन्फेक्शन है।
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फेफड़ों में संक्रमण होने का खतरा ज्यादा
रिपोर्ट में बताया गया है कि पोप फ्रांसिस को फेफड़ों में संक्रमण होने का खतरा ज्यादा है क्योंकि युवावस्था में उन्हें फुफ्फुसशोथ हो गया था, जिसकी वजह से उनके एक फेफड़े का हिस्सा निकाल दिया गया था। अब जब पोप की हेल्थ बिगड़ रही है तो पूरी दुनिया में उनकी मौत की अटकलें आने लगी हैं। उनकी हेल्थ संबंधित गंभीरता ने पोप की मौत और उनके उत्तराधिकारी के चुनाव की चर्चाएं तेजी कर दी हैं।
पोप की मौत होने पर क्या होता है?
पोप फ्रांसिस ने साल 2013 में पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद अपना पदभार संभाला था। परंपरा के मुताबिक वेटिकन का एक वरिष्ठ अधिकारी पोप की मौत की पुष्टि करता है। वर्तमान में यह पद आयरिश मूल के कार्डिनल केविन फैरेल के पास है।
परंपराओं ने मुताबिक, फैरेल अपने प्राइवेट चैपल से पोप फ्रांसिस की मौत की पुष्टि करने के लिए अस्पताल का दौरा करेंगे, फिर पोप को जगाने के लिए उन्हें अपना नाम बताएंगे। हालांकि, माना जा रहा है कि डॉक्टर भी पोप की मौत की घोषणा कर सकते हैं।
परंपरा के अनुसार, पोप की अंगूठी को निकाला जाएगा और उसे नष्ट कर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि पोप का कार्यकाल खत्म हो गया है और पोप के अपार्टमेंट को सील कर दिया जाएगा।
निकाले जाएंगे अंग?
वरिष्ठ चर्च अधिकारियों के एक निकाय कार्डिनल्स कॉलेज को सार्वजनिक घोषणा से पहले मौत के बारे में सूचित करेगा। परंपरा के मुताबिक, पोप के पार्थिव शरीर को संरक्षण दिया जाता था और कुछ को दफनाने से पहले उनके अंग निकाल लिए जाता है।