प्रोजेक्ट अमाद: ईरान के परमाणु प्रोजेक्ट के पहले ग्रहण की कहानी
ईरान का परमाणु कार्यक्रम 2000 के दशक में ही खत्म हो गया था। साल 2025 में ईरान ने यूरेनियम संवर्धन का काम शुरू किया तो इजरायल ने हमला बोल दिया। ईरान ने अपने न्यूक्लियर प्रोजेक्ट का नाम अमाद चुना था। पढ़ें रिपोर्ट।

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खमेनेई। (AI Generated Image, Photo Credit: ChatGPT)
क्या होता अगर यूक्रेन के पास परमाणु हथियार होता। क्या रूसी सेना ने कीव से लेकर खारकीव तक, जो तबाही मचाई, वैसी मचा पाती? परमाणु तबाही लाते हैं या स्थाई शांति? दुनियाभर के अखबारों में 'जंग और परमाणु हथियार' की प्रासंगिकता पर खबरें छपी हैं। जो देश, परमाणु हथियार बनाने की कोशिश करते हैं, उन पर फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और रूस जैसे देश प्रतिबंध लगाते हैं। ये देश, परमाणु हथियारों पर एकाधिकार चाहते हैं। 1970 के दशक में शुरू परमाणु अप्रसार संधि हर देश पर थोपना चाहते हैं। इन देशों के इसी गठजोड़ का शिकार ईरान बना था। साल था 2003। इरान को अपना महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अमाद रोक देना पड़ा।
1980 के दशक तक, इंटरनेशनल एटमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) को भनक लगी कि ईरान एक न्यूक्लियर प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। ईरान युद्ध स्तर अपने परमाणु प्लांट पर यूरेनियम संवर्धन का काम शुरू कर रहा था। ईरान जिस मसौदे पर हस्ताक्षर कर चुका था, यह उसका उल्लंघन था। ईरान ने अपना परमाणु प्लांट भी तेहरान से करीब 75 किलोमीटर दूर मुबारकियेह इलाके में यह साइट अब भी देखी जा सकती है। वैश्विक दबाव के बाद ईरान को अपना यह प्रोजेक्ट रोकना पड़ा। ईरान इनकार करता रहा कि वह परमाणु क्षमता का इस्तेमाल शांतिपूर्ण काम में करेगा लेकिन पश्चिमी दुनिया को उसकी इस बात पर भरोसा ही नहीं हुआ। पाकिस्तान को अपना परमाणु संयंत्र तोड़ना पड़ा। साल 2004 में ईरान के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की सीलबंदी हो गई थी।
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ईरान के परमाणु प्लांट में ऐसा क्या था?
ईरान का परमाणु प्लांट पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया था। यहां की मेन बिल्डिंग में परमाणु संयंत्रों से जुड़े काम पूरो हो गए थे। वेंटिलेशन डक्ट्स, केमिकल स्टोरेज टैंक, रॉ मैटेरियल स्टोरेज, मेटल रूफ, सब कुछ बनकर तैयार था। परमाणु हथियारों के परीक्षण के लिए मेटल रूफ तक बनकर तैयार हो गया था। सब कुछ होने के बाद भी ईरान को अपना प्रोजेक्ट रोकना पड़ा था। वजह वैश्विक लामबंदी और दुनियाभर के प्रतिबंध थे, जिन्हें ईरान पर लादने की धमकी दी जा रही थी।
जून 2020 में IAEA ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस प्लांट पर परमाणु हथियार बनाए जाने के सारे संसाधन मौजूद हैं। इस सनसनीखेज रिपोर्ट में दावा किया गया कि ईरान के तेहरान में तुर्कुज आबाद नाम की एक जगह है, जहां परमाणु गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। रिपोर्ट में आशंका जाहिर की गई कि परमाणु प्लांट पर यूरेनियम को संवर्धित किया जा रहा है, यहां यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (UF6) के उत्पादन की कोशिशें की जा रही हैं। यह गैस सेंट्रीफ्यूज में इस्तेमाल होती है, जो परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी हो सकती है।
इंटरनेशनल एटमिक एनर्जी एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया कि यहां साल 2004 तक, बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए। ईरान ने इस जगह को छिपाने के लिए जानबूझकर इसे तबाह कर दिया। साल 2003 में IAEA ने ईरान से इस तरह के एक पायलट प्लांट के बारे में सवाल पूछे थे, ईरान इनकार करता रहा। ईरान ने हर बार कहा है कि वह परमाणु क्षमता का इस्तेमाल, शांतिपूर्ण कार्यों के लिए करना चाहता है।
ईरान ने क्या-क्या मिटाया?
2018 में इजराइल ने ईरान के न्यूक्लियल आर्काइव से तस्वीरें और दस्तावेजों का कच्चा-चिट्ठा खोल दिया। ईरान की इस जगह से जुड़ी कई चीजों को इजरायल ने सार्वजनिक किया। एक प्लांट दिखाया गया, जो काफी हद तक, यूरेनियम रिफाइनरी प्लांट जैसा नजर आया। कुछ ढांचे बिलकुल वैसे ही थे, जैसे किसी न्यूक्लियर प्लांट के होते हैं।
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ईरान इसे छिपा क्यों रहा था?
ये सरंचनाएं, ईरान के प्रोजेक्ट अमाद से जुड़ी थीं। ऐसी आशंका थी कि ईरान यहां हथियार ग्रेड यूरेनियम का उत्पादन करेगा, जिससे घातक हथइयार बनाए जाएंगे। ईरान यूरेनियम खनन, निष्कर्षण (Dredging) और केमिकल ट्रांसफॉर्मेशन पर काम करता। अगर यह प्लांट कुछ और दिनों तक अस्तित्व में रहता तो यहां यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड तैयार किया जाता। यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड की मदद से परमाणु रिएक्टरों और परमाणु हथियारों के लिए यूरेनियम संवर्धन का काम आसान हो जाता है। इसे ईरान, सेंट्रीफ्यूज प्लांट में इस्तेमाल करने वाला था।
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तेहरान में परमाणु हथियारों को तैयार करने में जुटा है ईरान
IAEA, इजरायल और अमेरिका को डर है कि ईरान, तेहरान में ही 'न्यू तेहरान प्लांट' के तहत बहुत कुछ ऐसा कर रहा है, जिससे दुनिया को डरने की जरूरत है। कुछ दस्तावेज ऐसे मिले, जो इशारा करते हैं कि तुर्कुज आबाद के प्लांट की तरह ही न्यू तेहरान प्लांट में भी कुछ बड़ा होने वाला था। नए प्लांट में भी यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड और फ्लोरीन गैस को बड़े पैमाने पर उत्पादित किए जाने की तैयारी थी। कुछ इजरायली खुफिया एजेंट ने यह भी दावा किया कि यह योजना, अस्तित्व में कभी नहीं आ पाई।
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ईरान ने प्रोजेक्ट अमाद से क्यों बनाई दूरी?
IAEA का दावा है कि ईरान ने 2003 में इस स्थल के बारे में पूछताछ शुरू होने के बाद 2004 में इसे ध्वस्त कर दिया, जिससे परमाणु गतिविधियों से जुड़े सबूतों को मिटाया जा सके। साल 2016 तक इस जगह को पशु पालन फार्म में बदलने की कोशिश की गई, जहां नए शेड डाले गए, पशु बाड़े बनाए गए।
दुनिया इस प्रोजेक्ट से डरी क्यों?
IAEA ने ईरान से तुर्कुज आबाद के इस प्लांट के बारे में जानकारी मांगी, ईरान ने मदद करने से इनकार कर दिया। जो दस्तावेज सामने आए, सैटेलाइट इमेज मिले, न्यूक्लियर आर्काइव मिले, उनका साफ इशारा था कि ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को छिपाने की कोशिश की है।
क्यों ईरान ने हटाया परमाणु प्लांट?
ईरान ने मार्च 1970 में परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। इस संधि के मुताबिक ईरान, कभी परमाणु हथियार नहीं रख सकता है। इस समझौते के तहत, ईरान ने वादा किया कि वह परमाणु हथियार नहीं बनाएगा।
इजरायल की कार्रवाई इतनी हिंसक क्यों?
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बेंजामिन नेतन्याहू, इजरायल के लिए खतरा समझते हैं। उनका कहना है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है, जो इजरायल और पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। उन्होंने दावा किया कि ईरान के पास 9 परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त यूरेनियम है और उसने हाल के महीनों में हथियार बनाने की दिशा में खतरनाक कदम उठाए हैं।
बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए ताकि इस खतरे को रोका जा सके। उनका कहना है कि यह ऑपरेशन तब तक चलेगा, जब तक ईरान से परमाणु खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ईरान के पास परमाणु हथियार होते, तो इजरायल का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता।
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