तख्तापलट के बीच अफ्रीका में रूस की एंट्री! पीछे क्यों हट रहा पश्चिम?
राष्ट्रपति व्लादिमार पुतिन अफ्रीका के कई देशों में अपने आर्थिक और सैन्य संबंधों को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।

व्लादिमीर पुतिन। Photo Credit- PTI
अफ्रीका महाद्वीप में कई ऐसे देश हैं जहां बीते सालों में तख्तापलट हुए हैं। सिर्फ तख्तापलट ही नहीं यह देश गृहयुद्ध की स्थिती से भी गुजर रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण अफ्रीका का बुर्किना फासो देश है, जहां हाल ही में तख्तापलट हुआ है। इस बीच रूस की तरफ से अफ्रीका के लिए बड़ा बयान सामने आया है। रूस के हालिया बयान से साफ हो गया है कि राष्ट्रपति व्लादिमार पुतिन अफ्रीका के कई देशों में अपने आर्थिक और सैन्य संबंधों को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।
रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि अफ्रीका में रूस की मौजूदगी बढ़ रही है। पेसकोव ने एक मीडिया ब्रीफ में कहा, 'हम वास्तव में अफ्रीकी देशों के साथ अपने संबंधों को बड़े पैमाने पर विकसित करने का इरादा रखते हैं, हम मुख्य रूप से इन देशों में आर्थिक और निवेश संबंधों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।' दिमित्री पेसकोव ने आगे कहा, 'रूस का कदम रक्षा और सुरक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों तक फैला हुआ है।'
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पश्चिमी देशों का हस्तक्षेप खत्म
दरअसल, अफ्रीका में जिन देशों में तख्तापलट हुए हैं वहां इससे पहले पश्चिमी देशों का हस्तक्षेप था। पश्चिमी देश अफ्रीकी देशों में वहां की राजनीति, खनिज और विकास को प्रभावित करते थे। अस्थिरता बढ़ने के बाद पश्चिमी देश अशांत देशों को छोड़कर अपने देश लौट गए हैं। रूस का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हालिया वर्षों में अफ्रीका महाद्वीप के कई देशों में तख्तापलट हुए हैं।
क्या है रूस का प्लान?
रूस का यह कदम पश्चिमी अफ्रीका में भू-राजनीतिक शून्यता को भरने के लिए मास्को द्वारा किए जा रहे प्रयास का हिस्सा है। माली, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक और इक्वेटोरियल गिनी जैसे देशों सहित अफ्रीका के कुछ हिस्सों में रूस सुरक्षा को लेकर अपनी भूमिका बढ़ा रहा है। रूस के इन कदमों को लेकर पश्चिमी देश चिंतित हैं। रूस ने इन देशों में अपनी हस्तक्षेप फ्रांस की वजह से बढ़ाया है क्योंकि फ्रांस की सेनाएं हाल के सालों में कई पश्चिमी अफ्रीकी देशों को छोड़कर चली गई हैं या उसकी सेना को निष्कासित कर दिया गया है।
हालांकि, इसी बीच खबर आई थी कि माली में मौजूद रूस की वैगनर सेना यूक्रेन युद्ध में सेना की मदद करने के लिए वापस चली जाएगी। रूस के द्वारा नियंत्रित की जाने वाली 'अफ्रीका कोर' सेना ने कहा कि वह वैगनर की जगह माली में ही रहेगा।
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रूस का समर्थन करता है माली?
माली में वर्तमान में असिमी गोइता के नेतृत्व वाली सैन्य सरकार है। असिमी गोइता ने 2020-21 में तख्तापलट करके माली की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। सत्ता में आने के बाद असिमी गोइता ने माली से चुनाव स्थगित कर दिए और राजनीतिक दलों को भंग कर दिया। माना जाता है कि असिमी गोइता को रूस और उसकी सेना का समर्थन है। मगर, गोइता इन दावों से इनकार करते रहे हैं।
हालांकि, इसी अवधि के दौरान असिमी गोइता की सरकार ने फ्रांस के साथ सभी तरह के संबंध तोड़ दिए हैं। माली अब राजनीतिक और सैन्य समर्थन के लिए रूस पर निर्भर हो गया है। अपने हितों को देखते हुए रूस भी माली को समर्थन कर रहा है।
अफ्रीका में रूस के लिए काम कर रहा अफ्रीकन कॉर्प्स
बता दें कि वैगनर के संस्थापक येवगेनी प्रिगोझिन और कमांडर दिमित्री उतकिन ने यूक्रेन युद्ध के बीच में जून 2023 में रूसी सेना के खिलाफ असफल विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह के दो महीने बाद येवगेनी प्रिगोझिन एक विमान दुर्घटना में मारे गए, जिसके बाद रूसी रक्षा मंत्रालय के समर्थन से Africa Corps का गठन किया गया। अफ्रीकन कॉर्प्स ही माली और अन्य अफ्रीकी देशों में रूस का नेतृत्व कर रही है।
हालांकि, अफ्रीकन कॉर्प्स में लगभग 70 से 80 प्रतिशत सैनिक वैगनर के पूर्व सदस्य हैं। कोनराड एडेनॉयर फाउंडेशन में साहेल कार्यक्रम के प्रमुख उल्फ लैसिंग के मुताबिक, अब पूरी तरह से सक्रिय होने के बाद अफ्रीकन कॉर्प्स माली की सेना को प्रशिक्षण दे रही है। लैसिंग ने बताया है, 'अफ्रीका कॉर्प्स प्रशिक्षण, उपकरण प्रदान करने और सुरक्षा सेवाएं करने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करता है। अफ्रीका कॉर्प्स, वैगनर के सैनिकों की तुलना में कम लड़ते हैं।'
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