पूरी दुनिया में डिमांड, फिर रूस में कम क्यों हुआ वोडका का प्रोडक्शन?
रूस की वोडका की डिमांड दुनियाभर में बहुत ज्यादा है। रूस में खुद सबसे ज्यादा वोडका पी जाती है। इसके बावजूद वोडका का प्रोडक्शन कम हो गया है। रूस में वोडका को लेकर कितना क्रेज है? और क्यों इसका प्रोडक्शन घटा? जानते हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
ऐसा कहा जाता है कि रूस में हर दिन छुट्टी रहती है। यह इसलिए क्योंकि यहां के लोग शराब के शौकीन हैं। आमतौर पर एक सामान्य व्यक्ति छुट्टी में शराब पीता है लेकिन रूस में ऐसा नहीं है। रूस के लोगों के लिए वोडका उनकी जिंदगी का 'अहम हिस्सा' है। ऐसा दावा किया जाता है कि वोडका रूस में ही बनी और यहीं से फिर दुनियाभर तक पहुंची। यानी रूस खुद को 'फादर ऑफ वोडका' बताता है।
2007 में एक रूसी मैग्जीन Ekspert में लेख छपा था। इसमें लिखा था, 'वोडका कभी भी तेल या गैस की जगह नहीं ले सकती। हालांकि, यह भी उतनी ही अहमियत रखती है। रूस के लिए वोडका इतनी मायने रखती है कि इसका प्रोडक्शन कंट्रोल करने के लिए पुतिन को गजप्रोम जैसी कंपनी खड़ी करनी पड़ी।'
दरअसल, रूस में तेल और गैस पर सरकारी कंपनी गजप्रोम का कंट्रोल है। साल 2000 में जब व्लादिमीर पुतिन पहली बार रूस के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने शराब के कारोबार पर कंट्रोल रखने के लिए Rosspirtprom नाम की एक कंपनी बनाई। अब रूस में शराब का लगभग सारा कारोबार यही कंपनी संभालती है। हालांकि, रूसी राष्ट्रपति पुतिन खुद शराब को अच्छा नहीं मानते। पुतिन की पूर्व पत्नी ल्यूडमिना पुतिना ने कहा था, 'सच कहूं तो उन्हें शराब का कोई शौक नहीं है।'
पीने में शराब 'खराब' लेकिन कमाने में नहीं!
रूस की राजधानी मॉस्को के बीचोबीच लाल ईंटों वाली एक बड़ी सी इमारत बनी है। यह इमारत कभी 'क्रिस्टल डिस्टिलरी' की फैक्ट्री हुआ करती थी। यहां वोडका का प्रोडक्शन होता था। हालांकि, 2013 में यहां वोडका का प्रोडक्शन बंद कर दिया गया।
क्रिस्टल डिस्टिलरी को 1901 में शुरू किया गया था। एक दौर में यह इमारत रूस की ताकत का प्रतीक हुआ करती थी। इस फैक्ट्री को जब शुरू किया गया था, तब रूस में राजशाही हुआ करती थी। हालांकि, 1917 की रूसी क्रांति के बाद भी यहां वोडका का प्रोडक्शन होता रहा। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने इस 'लाल ईंटों वाली इमारत' पर कई बार बमबारी की लेकिन यहां न सिर्फ वोडका बनती रही, बल्कि मोलोतोव कॉकटेल भी बने। मोलोतोव कॉकटेल असल में एक छोटे बम की तरह होते हैं।
2000 में जब पुतिन सत्ता में आए तो वे समझ गए कि शराब उतनी भी 'खराब' नहीं है। उन्होंने आते ही शराब के कारोबार पर सरकारी हाथों में लेने के लिए Rosspirtprom नाम से कंपनी शुरू की। 2001 में 'क्रिस्टल डिस्टिलरी' का Rosspirtprom ने अधिग्रहण कर लिया। मामला अदालतों तक गया लेकिन आखिरी फैसला पुतिन के पक्ष में ही आया।
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पुतिन और उनका वोडका एम्पायर
पुतिन का शराब से कोई नाता नहीं है। वह शराब से दूर ही रहते हैं। हालांकि, पुतिन जब सत्ता में आए तो उन्होंने एक 'वोडका एम्पायर' बनाने का सपना देखा था। इसके लिए उन्होंने पहले Rosspirtprom नाम से कंपनी बनाई।
इतना ही नहीं, शराब और वोडका के कारोबार पर अपना नियंत्रण रखने के लिए उन्होंने अपने 'रईस दोस्तों' को चुना। शराब और वोडका कंपनियों का मालिकाना हक पुतिन या उनके रईस दोस्तों से जुड़ी कंपनियों के पास ही रहता था।
साल 2003 में क्रिस्टल डिस्टिलरी ने 'Putinka' नाम से वोडका का एक नया ब्रांड निकाला। यह राष्ट्रपति पुतिन के नाम से प्रेरित था। Putinka एक रूसी शब्द है, जिसका मतलब 'छोटा पानी' होता है। इसलिए कहा जाने लगा कि इस बोतल में 'छोटा पुतिन' है। इस ब्रांड का नाम और ट्रेडमार्क पुतिन के रईस दोस्त आर्कडी रोटेनबर्ग ने खरीद लिया। यह शायद पुतिन की लोकप्रियता ही था कि 2004 में ही 'Putinka' को 'सुपरब्रांड' बना दिया।
फरवरी 2023 में रूस की एक मीडिया कंपनी Proekt ने अपनी जांच में दावा किया कि 'Putinka' ब्रांड ने हर वोडका की 4 करोड़ बोतलें बेचीं। Proekt को एक सूत्र ने बताया था, 'आपको अंदाजा भी नहीं है कि कितना पैसा आता था। Putinka बेचने की चाहत रखने वाले रोटेनबर्ग पैसों से भरे बैग लाते थे। उस पैसे में से कुछ पुतिन के लिए होता था।'
Proekt ने अपनी जांच में दावा किया था कि 2004 से 2019 के बीच Putinka की बिक्री से पुतिन को 50 करोड़ डॉलर की कमाई हुई है।
Putinka का मालिकाना हक कई बार बदला लेकिन इस पर हमेशा पुतिन और उनके रईस दोस्तों का कब्जा रहा। Proekt ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 2014 में इस ब्रांड का मालिकाना हक साइप्रस में रजिस्टर्ड 'एमिरा कंसल्टेंट' के पास चला गया। यह कंपनी असल में सेंट पीटर्सबर्ग में रहने वाले व्लादिस्लाव कोपीलोव की थी। जांच रिपोर्ट में बताया कि यह कंपनी असल में पुतिन के 'वॉलेट' की तरह थी।
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यूक्रेन से जंग का वोडका पर असर
24 फरवरी 2022 को पुतिन ने यूक्रेन के साथ जंग का ऐलान कर दिया था। पुतिन के इस ऐलान-ए-जंग के बाद अमेरिका समेत यूरोपीय देशों ने रूस पर कई सारे प्रतिबंध लगा दिया। रूस की जिन चीजों पर प्रतिबंध लगा, उसमें 'वोडका' भी थी।
अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और कनाडा ने रूसी वोडका पर प्रतिबंध लगा दिया था। फरवरी 2022 से ही पश्चिमी मुल्कों में शराब की दुकानों से रूसी वोडका हटाई जाने लगी। यूक्रेन से जंग छेड़कर पुतिन सबसे बड़े 'दुश्मन' बन गए थे। लोगों ने भी रूसी वोडका पर प्रतिबंध को सही ठहराया।
इन प्रतिबंधों का असर रूसी वोडका के प्रोडक्शन पर भी पड़ा। जंग शुरू होने से पहले तक रूसी वोडका का एक तिहाई एक्सपोर्ट अमेरिका, यूरोप और कनाडा को होता था। रूस की न्यूज एजेंसी RIA के मुताबिक, 2021 में रूसी वोडका के एक्सपोर्ट से रूस को 16.83 करोड़ डॉलर की कमाई हुई थी। हालांकि, 2024 में रूसी वोडका के एक्सपोर्ट से रूस की कमाई घटकर 3.46 करोड़ डॉलर पर आ गई।
जंग शुरू करने को लेकर पश्चिम ने भले ही रूस और उसकी वोडका पर प्रतिबंध लगा दिया हो लेकिन इसके बावजूद पुतिन इसका इस्तेमाल अपना मैसेज भेजने के लिए करते रहे हैं। मई 2022 में Putinka की बोतलों पर दो तरह के लेबल लगाए गए थे, जिन पर रूसी झंडे के साथ 'Z' और 'V' छपा था। Putinka के काले 'Z' वाले लेबल पर लिखा है 'svoikh ne brosayem' यानी 'हम अपनों को नहीं छोड़ते'। यह डोनेत्स्क और लुहांस्क के लोगों के लिए मैसेज था। वहीं, सफेद 'V' वाले लेबल पर 'sila V pravde' लिखा है, जिसका मतलब होता है 'सच्चाई में ताकत है'।
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पीने वाले खूब लेकिन प्रोडक्शन में गिरावट!
यह शायद प्रतिबंधों का ही असर है कि रूस में वोडका पीने वाले तो बहुत हैं लेकिन इसका प्रोडक्शन अब घट रहा है। रूस में शराब का प्रोडक्शन 16 फीसदी से ज्यादा घट गया है।
पॉलिटिको ने रूसी सरकार के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि 2025 के पहली छमाही में रूस में वोडका का प्रोडक्शन 10.9% कम हो गया है। आंकड़े बताते हैं कि इस साल की पहली छमाही यानी जनवरी से जून तक रूस में 3.13 लाख लीटर वोडका का प्रोडक्शन हुआ था, जबकि 2024 की पहली छमाही में 3.34 लाख लीटर वोडका बनी थी। रूस में वोडका और शराब का प्रोडक्शन घट रहा है लेकिन खपत बढ़ रही है।
इसी साल मार्च में एक मार्केट फर्म finexpertiza ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 2024 में रूस में शराब की खपत 10.2% बढ़ी है। हालांकि, इसमें वोडका की खपत शामिल नहीं है। रूस में सालाना जितनी शराब बिकती है, उसमें 60% से ज्यादा वोडका होती है। यह रिपोर्ट बताती है कि रूस में हर व्यक्ति सालाना औसतन 5.2 लीटर वोडका पीता है। सखालिन, चुकोत्का, करेलिया, कोमी और मगादान जैसे इलाकों में रहने वाला एक व्यक्ति सालभर में औसतन 10 लीटर से ज्यादा वोडका पी जाता है।
रूस के लोगों के लिए वोडका उनकी संस्कृति का अहम हिस्सा है। अगर आप किसी रूसी व्यक्ति से वोडका के बारे में पूछेंगे तो वह बड़े गर्व से इसके बारे में बताएगा। रूसी लोगों के लिए वोडका से बड़ी कोई चीज नहीं है। रूसी वोडका पर किताब लिख चुके प्रोफेसर मार्क लॉरेंस ने मई 2023 में पॉलिटिको मैग्जीन में एक लेख में लिखा था- 'पड़ताल करने के बाद मैंने पाया है कि शराब और राजनीतिक शक्ति के बीच संबंध को समझे बिना आप रूस को नहीं समझ सकते।'
रूस में भले ही वोडका और शराब को लेकर दीवानगी हो लेकिन एक धड़ा ऐसा भी है जिसका मानना है कि 'वोडका हमें वापस पूंजीवाद की ओर ले जाएगी।' कम्युनिस्ट सोच से प्रभावित रूस में आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं, जो मानते हैं कि 'वह शराब ही है जो अमीर को और अमीर और गरीब को और गरीब बनाती है।' इसी सोच के कारण रूसी क्रांति करने वाले व्लादिमीर लेनिन ने भी शराब से परहेज किया था। साल 1922 में उन्होंने शराब और वोडका को बाजार में लाने के खिलाफ तर्क देते हुए कहा था, 'इससे भले ही फायदा हो लेकिन यह हमें कम्युनिज्म की ओर नहीं, बल्कि कैपिटलिज्म की ओर ले जाएगा।'
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