178 साल के इतिहास में पहली बार, भारतीय मूल के डॉ. श्रीनिवास 'बॉबी' मुक्कमाला को अमेरिका के सबसे बड़े डॉक्टरों के संगठन अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (AMA) का अध्यक्ष चुना गया है। 53 वर्षीय मुक्कमाला पेशे से ईएनटी (कान-नाक-गला) सर्जन हैं और अब AMA के 180वें अध्यक्ष बन गए हैं। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि इस पल को बस 'विनम्र' कहना काफी नहीं होगा। यह बहुत भावुक करने वाला और हैरान कर देने वाला पल है। उनकी बातों ने वहां मौजूद हर किसी को छू लिया। शिकागो में हुए समारोह में जब वह मंच पर पहुंचे, तो लोगों की तालियों और भावनाओं ने यह दिखा दिया कि यह मौका सिर्फ मुक्कमाला के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारतीय समुदाय के लिए गर्व का पल था।
पिछले साल नवंबर में एक MRI स्कैन में उनके दिमाग के बाएं हिस्से (टेम्पोरल लोब) में 8 सेंटीमीटर का ट्यूमर पाया गया था। यह सुनकर हर कोई चौंक गया लेकिन सिर्फ तीन हफ्तों में उनकी सर्जरी हो गई। सर्जरी के बावजूद, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने काम, सेवा और AMA के मिशन के लिए डटे रहे। डॉ. मुक्कमाला दो बच्चों के पिता हैं और उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में सालों की मेहनत लगी है। उनके अध्यक्ष बनने से दुनिया भर के भारतीय मूल के डॉक्टरों को एक नई प्रेरणा मिली है।
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मुक्कमला की कैंसर से लड़ाई
मुक्कमला के लिए ट्यूमर का 90% निकाल पाना सबसे अच्छी बात थी। उन्होंने अपने करियर में हमेशा मरीजों के हक के लिए आवाज उठाई है। अब जब वह खुद कैंसर से जूझे, तो उन्हें अपने काम की असली अहमियत और भी ज्यादा समझ में आई कि कैसे अपने अनुभव और मंच का इस्तेमाल करके अमेरिका की हेल्थकेयर सिस्टम को और बेहतर और न्यायसंगत बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें तो बिना किसी रुकावट के सबसे अच्छा इलाज मिल गया लेकिन बहुत से मरीजों को इलाज पाने से पहले कई मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ता है। जैसे:
बीमा क्या इलाज का खर्च उठाएगा?
दवा कितनी महंगी होगी?
किसी अच्छे डॉक्टर से मिलने के लिए कितने दिन इंतजार करना पड़ेगा?
मुक्कमला ने कहा कि हमारी स्वास्थ्य प्रणाली को ऐसे डॉक्टरों की जरूरत है जो हर राज्य और हर स्पेशलिटी से हों और जो ईमानदारी और तैयारी के साथ मिलकर काम करें। उन्होंने जोर दिया कि आज के समय में एएमए को मजबूत लीडर्स की जरूरत है जो सबके लिए आवाज उठा सकें।
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एएमए की बैठक और नई नीति
6 से 11 जून तक एएमए की एक बड़ी बैठक हुई। इसमें एक नई नीति को अपनाया गया है जिसका मकसद लोगों को यह समझाना है कि ज्यादा प्रोसेस्ड फूड्स सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। इस नीति के जरिए लोगों को यह सिखाने की कोशिश की जाएगी कि हेल्दी खाना क्या होता है और कैसे कम प्रोसेस्ड या नेचुरल फूड सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
इसके अलावा, यह भी तय किया गया है कि मेडिकल पढ़ाई में न्यूट्रिशन की पढ़ाई को ज्यादा शामिल किया जाएगा ताकि डॉक्टर अपने मरीजों को खाने-पीने की सही सलाह दे सकें, खासकर उन चीजों से दूर रहने की, जो सेहत के लिए नुकसानदायक होती हैं।