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सीरिया संकट के बारे में सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

सीरिया के सत्ताधीश बशर-अल-असद की सत्ता खत्म होने की कगार पर है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि विद्रोहियों की बेहिसाब बढ़ती ताकतों के आगे उन्हें भागना पड़ा है। सीरिया में इस्लामिक विद्रोहियों के कब्जे में कई शहर आ गए हैं।

Syria Crisis

सीरिया में विद्रोही गुटों ने कई शहरों पर कब्जा जमा लिया है। (क्रेडिट- x.com/ernestojmro)

सीरिया में बशर-अल-असद सरकार के गिरने से दुनिया भी चिंतित है। वजह ये है कि विद्रोही लड़ाके, इस्लामिक कट्टरपंथी हैं, जिनके काबिज होने का मतलब है कि अफगानिस्तान जैसे हालात, सीरिया में भी नजर आएंगे। बशर अल असद सरकार के रुख से कई देश खुश नहीं हैं लेकिन उनके साम्राज्य का पतन भी लोगों को रास नहीं आ रहा है।  

पश्चिम और अरब देश के साथ-साथ इजरायल भी चाहता है कि सीरिया में ईरान का प्रभाव खत्म हो। इन देशों में कोई भी देश, बशर अल असद की जगह कट्टरपंथी इस्लामी शासन नहीं चाहता है। रूस के लिए सीरिया के पतन का मतलब यह है कि मिडिल ईस्ट में उसकी पकड़ कमजोर हो गई जाएगी। अब सवाल यह उठता है कि कौन हैं विद्रोही लड़ाके, जिनके ताकतवर होने से दुनिया को डर लग रहा है। 

कौन हैं ये सीरिया के लड़ाके?
सीरियाई लड़ाकों का जत्था नवंबर के अंत में तेजी से इलाकों को कब्जाते आगे बढ़ा है। दक्षिणी सीरिया में यह संगठन सबसे ज्यादा मजबूत है। यह वही जगह है जहां साल 2011 में बशर अल असद के खिलाफ आंदोलन हुए थे। सीरिया में विद्रोही गुट इस्लामिक आतंकवादी समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है। यह सीरिया के संघर्ष में वर्षों से काबिज है। हयात तहरीर अल-शाम को अमेरिका, तुर्की और दूसरे देश आतंकी संगठन मानते हैं।

हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के ज्यादातर लड़ाके, अलकायदा से आए हैं। साल 2011 में बना यह संकठन जबहात अल नुसरा के नाम से जाना जाता था। इस्लामिक स्टेट (IS) ग्रुप का सबसे बड़ा आतंकी अबू बकर अल बगदारी भी इस संगठन का हिस्सा था। यह समूह बशर-अल-असद के खिलाफ सबसे कट्टर संगठन माना जाता था। इसे आत्मघाती लड़ाके दुनियाभर में कुख्यात थे।

हयात तहरीर अल-शाम की विचारधारा इस्लामिक चरमपंथ की है। इनका नाराज आजाद सीरिया है। साल 2016 में अबू मोहम्मद अल जवलानी ने अलकायदा छोड़ दिया था, तब जबहात अल नुसरा को भंग कर दिया गया था। आतंकियों ने एक नया संगठन बनाया, जिसका नाम हयात तहरीर अल शाम तय किया गया।

सीरिया में गृह युद्ध साल 2011 से ही चल रहा है।



हयात तहरीर अल-शाम के लड़ाकों का पश्चिमी हिस्से इदलिब पर कब्जा है। यहां का स्थानीय प्रशासन इसी सगंठन के अंतर्गत आता है। इसे संवैधानिक मान्यता नहीं मिली है। यहां मानवाधिकारों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। आए दिन यहां हिंसक झड़पें होती रही हैं। इदलिब से आगे ये लड़ाके नवंबर में बढ़े और अब पूरे सीरिया पर इस संगठन का कब्जा होता नजर आ रहा है।

'इस्लाम का राज चाहते हैं लड़ाके'
अल-कायदा से अलग होकर यह संगठन सीरिया में इस्लामिक शासन की स्थापना चाहता है। इस्लामिक संगठन (IS) ने यह करने की कोशिश की थी लेकिन फेल रहा था। सीरिया में एक बार फिर संघर्ष भड़का है और इस बार बशर अल असद कमजोर नजर आ रहे हैं। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वे देश छोड़कर भाग गए हैं। 

सीरिया की कमान, किस-किस के हाथ?
सीरिया में किसी एक के हाथ सत्ता नहीं है। अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग गुटों का कब्जा है। सीरिया में बशर अल असद की सरकार है तो राष्ट्रपति भी वही हैं। आधिकारिक तौर पर वे पूरे सीरिया को कंट्रोल करते हैं। जमीनी स्तर पर एक अब अलेप्पो और हामा जैसे शहरों पर कब्जा विद्रोहियों का है। ये विद्रोही, हयात-तहरीर अल-शाम का हिस्सा हैं। दक्षिणी-पश्चीमी हिस्से पर विद्रोही गुटों का कब्जा है। जिन विद्रोहियों को तुर्की फंड देता है, वे भी कई जगहों पर काबिज हैं। कुर्दिश लड़ाकों ने भी कब्जा जमाया है। अल तंफ का भी कुछ हिस्से पर कब्जा है। 

सीरिया में इस्लामिक शासन चाहते हैं विद्रोही। 



सीरिया संकट की कहानी क्या है?
सीरिया में 2011 से ही गृह युद्ध चल रहा है। इसी साल, सीरिया के दारा शहर में लोकतंत्र के लिए विरोध प्रदर्शन होने शुरू हुए थे। सीरियाई सरकार ने विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए हिंसा का इस्तेमाल किया था। लोगों ने मांग की थी कि राष्ट्रपति इस्तीफा दें लेकिन यह मांग दबा दी गई थी। बशर अल असद ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन दुनिया के कई देशों के इशारे पर हो रहा है। 



सैकड़ों विद्रोही समूह आगे आए और इस्लामिक आतंक अपने चरम पर पहुंच गया। इस्लामिक स्टेट और अलकायदा जैसे समूहों ने भी इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। पूरा देश गृह युद्ध में झुलस गया था। दुनिया के कई देश इस जंग में उतरे। जंग में 5 लाख से ज्यादा लोग मारे गए। 12 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए।  

खत्म हो गया गृहयुद्ध अचानक कैसे भड़का?

सीरिया के एक बड़े हिस्से पर बशर अल असद प्रभावी रूप से काबिज थे। कई हिस्से उनके नियंत्रण से बाहर थे, जहां उनका कब्जा नहीं था। कुर्द लड़ाके सीरिया से अलग ही थे। साल 2011 में हिंसक झड़प के बाद अल असद ने दक्षिणी हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। इस्लामिक स्टेट के लड़ाके, हमेशा ही असद सरकार के लिए खरा बने रहे। उत्तर-पश्चिम और इदलिब प्रांत आतंकी समूह काबिज हैं। इदलिब इलाके से ही अलेप्पो की ओर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ने धावा बोला है। 



इदलिब में सीरियाई सेना हर बार नाकाम हुई है। साल 2020 में बशर अल असद की मदद के लिए रूस आगे आया था। यहां रूस ने मध्यस्थता कराई थी तो हालात सामान्य हुए। यह वह हिस्सा है, जहां 40 लाख से ज्यादा लोग रहते थे, अब जंग की वजह से यहां से बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हो चुके हैं।

दुनिया के कई देश सीरिया में कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव से डरे हुए हैं।

बशर अल असद की सरकार की मदद से रूस हटा तो हालात बेकाबू हो गए। वे सिर्फ अपनी सेना के भरोसे इन विद्रोहों को नहीं दबा सकते थे। विद्रोही लगातार आगे बढ़ते गए। रूसी वायुसेना और ईरानी सेना दोनों ने असद को छोड़ दिया तो सरकार संकट में आ गई। अब हिजुबल्लाह भी उनके खिलाफ खड़ा नजर आ रहा है। 

लेबनान में इजरायल ने हिजबुल्लाह को तबाह किया। सीरिया में ईरानी सैन्य कमांडरों पर इजरायल ने हमला किया। इदलिब में जिहादी संगठन अचानक सक्रिय होने लगे और अलेप्पो पर हमला बोल दिया। बीते कुछ महीनों में इजरायल ने ईरान से जुड़े समूहों पर हमले तेज कर दिए हैं। उनका नेटवर्क टूट गया है। ईरान, सीरिया को बैकअप नहीं दे पा रहा है और अब त्रासदी की स्थिति में बशर अपने देश को छोड़कर भागने के लिए मजबूर हैं।

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