logo

ट्रेंडिंग:

असद शासन का कुख्यात जेल 'सयदनाया', कैदियों को किया जाता था टॉर्चर

सीरिया में असद शासन की सबसे कुख्यात जेल 'सयदनाया' पर विद्रोहियों ने कब्जा किया और कैदियों को रिहा किया। इस जेल में हजारों विरोधियों को फांसी दी गई।

know the harsh truth of Syria human slaughterhouse

सयदनाया जेल, Image Credit: Freepik

13 साल के विद्रोह के बाद आखिरकार सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता का खात्मा हो गया। राष्ट्रपति असद अपने परिवार के साथ देश छोड़कर भागने पर मजबूर हुए और अब रूस ने मानवीय कारणों से उन्हें शरण दे दी है। सीरिया में पांच दशक तक असद परिवार का शासन रहा जिसका अंत 8 दिसंबर को पूरी तरह से हो गया।

 

जब इस्लामिक विद्रोही बल राजधानी दमिश्क में घुसे तो लोगों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। मस्जिदों के बाहर लोग खुशी से झुमते हुए दिखे और सरकारी जेलों में सालों से बंद कैदियों की रिहाई होने लगी। विद्रोहियों ने दमिश्क, हमा और अलेप्पो के पास सरकारी जेलों में वर्षों से बंद कैदियों को रिहा कर दिया। इन जेलों में सबसे कुख्यात 'सयदनाया' है जिसे इंसानों का स्लॉटरहाउस भी कहा जाता है। 

1 लाख से अधिक लोगों को दी गई फांसी

ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने साल 2021 में एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में असद के शासन के दौरान जेलों में 1 लाख से अधिक लोगों को फांसी दी गई  या उनकी मौत हो गई है। इनमें से अकेले 'सयदनाया' जेल में 30 हजार से अधिक लोग मौत के घाट उतारे गए। एमनेस्टी इंटरनेशनल की जांच में पाया गया कि 2011 के बाद 'सयदनाया' जेल में कैदियों की या तो हत्या कर दी जाती थी। नहीं तो यातना और जबरन गायब कर दिया जाता था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 'सयदनाया' में जो भी कुछ हुआ वो 'मानवता के खिलाफ एक अपराध है।'

जेल में दी जाती थी सामूहिक फांसी

एमनेस्टी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस जेल में दो डिटेंशन सेंटर थे। एक लाल और दूसरी सफेद रंग की इमारत। लाल वाले इमारत में 2011 में विद्रोह शुरू होने के बाद से गिरफ्तार किए गए नागरिकों को रखा गया था। वहीं, सफेद वाले इमारत में विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के कारण गिरफ्तार किए गए सैनिक शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार, लाल इमारत वाले में हजारों कैदियों को गुप्त फांसी दी जाती थी।

 

कैदियों को फांसी पर लटकाए जाने से पहले पीड़ितों को दमिश्क के अल-काबून पड़ोस में स्थित सैन्य फील्ड कोर्ट में 'मुकदमे' में मौत की सजा दी जाती है। इसके बाद कैदियों को नागरिक जेल में स्थानांतरित कर दिया जाता था। लाल इमारत के तहखाने में एक कोठरी में सभी को लाया जाता था जहां उन्हें दो या तीन घंटों तक बुरी तरह पीटा जाता है। आधी रात में उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है और डिलीवरी ट्रकों या मिनी बसों में सफेद इमारत में शिफ्ट कर दिया जाता है। वहां उन्हें बेसमेंट के एक कमरे में ले जाकर फांसी दे दी जाती थी। 

20 से 50 कैदियों को एक साथ उतारा जाता था मौत के घाट

फांसी 1 या 2 नहीं बल्कि 20 से 50 लोगों को एक साथ दी जाती थी। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कैदियों को  यह कभी नहीं बताया जाता कि उन्हें कब फाासी दी जाएगी। फांसी से कुछ मिनट पहले ही उन्हें इसकी जानकारी दी जाती है। इस दौरान पीड़ितों की आंखों पर पट्टी बंधी रहती है। एमनेस्टी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सितंबर 2011 और दिसंबर 2015 के बीच यहां 5,000 और 13,000 लोगों को न्यायेतर फांसी दी गई थी। 

कैदियों को कैसे किया जाता था टॉर्चर?

यौन हिंसा, पिटाई और प्रताड़ना कैदियों को नियमित दिया जाता था।  भोजन, पानी, दवा, चिकित्सा देखभाल और स्वच्छता से वंचित किया जाता था जिसके कारण कैदियों को गंभीर बीमारी भी हो जाती थी। 

Related Topic:#Syria Crisis

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap